Jharkhand Assembly Election 2024: झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 से पहले प्रदेश में सियासी हलचल बढ़ रही है और भारतीय जनता पार्टी (BJP) अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए रणनीति पर काम कर रही है। जनमत संग्रह, आदिवासी मुद्दों पर फोकस और गठबंधन से भाजपा का मास्टरप्लान तैयार है। वहीं, सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) अंदरूनी कलह से जूझ रही है। जिससे राज्य में सत्ता बदलने की स्थिति बनती दिख रही है।

भाजपा का मास्टरप्लान: जमीनी स्तर पर पकड़ मजबूत करना
भाजपा की रणनीति का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा 'रायशुमारी' यानी जनता से सलाह लेना है। पंचायत स्तर तक के पार्टी कार्यकर्ताओं से परामर्श करके, पार्टी सुनिश्चित कर रही है कि उसके निर्णय समावेशी और लोकतांत्रिक हों। इस बार भाजपा प्रति विधानसभा क्षेत्र में लगभग 500-700 कार्यकर्ताओं से फीडबैक लेकर उम्मीदवारों का चयन करेगी।

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इस रणनीति के जरिए भाजपा न केवल जमीनी स्तर पर अपनी पकड़ मजबूत कर रही है, बल्कि संगठन में आंतरिक एकता भी बनाए रख रही है। यह प्रयास पार्टी को उन उम्मीदवारों को चुनने में मदद करेगा जो कार्यकर्ताओं और जनता के समर्थन का आनंद उठाते हैं।

एनडीए को मजबूत करना: गठबंधन की राजनीति
2019 में अकेले चुनाव लड़ने के बाद, इस बार भाजपा एनडीए के घटक दलों के साथ मजबूत गठबंधन बनाने की कोशिश कर रही है। भाजपा ने ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (AJSU) के साथ पहले ही हाथ मिला लिया है। यह गठबंधन भाजपा के लिए आदिवासी क्षेत्रों में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है, क्योंकि AJSU का पारंपरिक रूप से इन इलाकों में असर रहा है। 

इसके अलावा भाजपा का जनता दल यूनाइटेड (JDU) और लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) जैसे क्षेत्रीय दलों के साथ भी गठबंधन करने का प्रयास जारी है। यह गठबंधन सीट-बंटवारे में भाजपा को मदद करेगा और पार्टी को एक मजबूत एनडीए गठबंधन के रूप में उभरने का मौका देगा।

आदिवासी मुद्दों पर भाजपा की नजर 
झारखंड की आदिवासी आबादी, जो पिछले चुनाव में JMM का समर्थन कर रही थी। इस बार भाजपा का मुख्य फोकस बन गई है। भाजपा आदिवासी समुदायों के मुद्दों पर विशेष ध्यान दे रही है। पार्टी ने हाल ही में झामुमो के नेता चम्पाई सोरेन और गीता कोड़ा को अपने साथ जोड़ा है, जो कोल्हान और संथाल परगना क्षेत्र में भाजपा के समर्थन को बढ़ाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं।

भाजपा ने आदिवासी पहचान की रक्षा और अवैध अप्रवास के मुद्दों पर जोर दिया है। यह रणनीति आदिवासी मतदाताओं के बीच काफी सकारात्मक प्रतिक्रिया पा रही है, जिससे भाजपा जनजातीय समुदायों में एक प्रमुख पार्टी के रूप में उभर रही है।

JMM की आंतरिक कलह से भाजपा को फायदा
जहां भाजपा अपने मास्टरप्लान को पूरी गंभीरता से लागू कर रही है। वहीं झारखंड मुक्ति मोर्चा आंतरिक कलह और सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पार्टी के भीतर चुनौतियों से जूझ रहे हैं। वरिष्ठ नेता चम्पाई सोरेन के झामुमो से अलग होने से पार्टी में असंतोष बढ़ रहा है। इसके अलावा, भ्रष्टाचार के आरोप और अधूरे वादों की वजह से झामुमो के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर भी तेज हो रही है। भाजपा इस असंतोष का फायदा उठाकर चुनाव को सोरेन सरकार के खिलाफ जनमत संग्रह के रूप में पेश कर रही है।

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झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में भाजपा की रणनीति बेहद स्पष्ट है। जमीनी स्तर पर जनता की राय लेना, आदिवासी समुदायों के मुद्दों पर फोकस, और एनडीए को मजबूत करना उसकी रणनीति के मुख्य स्तंभ हैं। वहीं, JMM की आंतरिक समस्याएं और सत्ता विरोधी लहर भाजपा को चुनाव में बढ़त दिलाने का मौका दे रही हैं।