Pashupatinath Temple: जबलपुर के नर्मदा तट पर स्थित गोपालपुर का पशुपतिनाथ मंदिर 5 हजार वर्ष पुराना है। प्राचीन शिवालय शिव के त्रिआयामी स्वरूप के लिए प्रसिद्ध है। एक ही प्रतिमा में गणेश, शक्ति और शिव के दर्शन होते हैं। मंदिर का ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व इसे शिवभक्तों के लिए विशेष बनाता है। राजा बलि ने इसी स्थान पर 100 यज्ञ किए थे। बाणासुर की तपोस्थली भी रही है।
एक प्रतिमा में शिव, गणेश और शक्ति का दर्शन
मंदिर में एक तरफ से श्री गणेश, दूसरी तरफ से शक्ति और तीसरी तरफ से शिव के दर्शन होते हैं। गुम्बज श्रीयंत्र से सुशोभित है। परकोटा अनूठा है, जिससे नर्मदा की सुरमय कलकल निनादित धारा मन मोहती है। एक ध्यान गुफा भी है। सीढ़ी नर्मदा के लक्ष्मी घाट की तरफ भी खुलती है। समीप ही श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर स्थित है। चारों तरफ अनुपम दृश्य बनता है।
बाणासुर और राजा बलि की तपोस्थली
पौराणिक कथाओं के अनुसार यह स्थल बाणासुर व राजा बलि की तपोस्थली रहा है। राजा बलि ने यहीं 100 यज्ञ किए थे। यहां एक बार जो दर्शन कर लेता है, बरबस ही बारम्बार आता है। सावन के महीने में पशुपतिनाथ का रुद्राभिषेक करने शिवभक्तों की भीड़ उमड़ रही है।
यहीं रखा था वामन अवतार ने तीसरा पग
जानकारों के मुताबिक, वामन अवतार के समय जब भगवान ने राजा बलि से तीन पग जमीन मांगी थी, तब तीसरा पग भगवान ने इसी स्थान पर रखा था। माना जाता है कि यह शिवलिंग स्वयं यहां स्थापित हुआ है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान राम जब 14 साल का वनवास काट रहे थे, तब कुछ दिन के लिए रुककर उन्होंने भी यहां पर शिवजी की पूजा की थी।
शिव परिवार के होते हैं दर्शन
पशुपतिनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी कहते हैं कि नेपाल काठमांडू के बाद यह दूसरा ऐसा महादेव का मंदिर है, जो कि 5 हजार वर्ष पुराना है। शिवलिंग में भगवान भोलेनाथ के अलावा गणेश भगवान कार्तिकेय और नंदी जी की आकृति दिखती है। इसे नंदेश्वर भी कहा जाता है। इसके अलावा माता भगवती की आंखें और भोलेनाथ का त्रिशूल भी देखने को मिलता है। इस तरह समस्त शिव परिवार के रूप में भगवान पशुपति नाथ महादेव यहां विराजमान हैं।
12 शिवलिंग मंदिर में विराजे हैं
प्राचीन मंदिर की आयु नहीं आंकी जा सकती। प्राचीन मंदिर की वास्तुकला भी बेजोड़ है। मंदिर के गुंबद पर श्रीयंत्र है और ठीक नीचे भगवान भोलेनाथ विराजमान हैं। मंदिर समूह में द्वादश ज्योतिर्लिंग के प्रतिकृति स्वरूप में 12 शिवलिंग मंदिर में विराजे हैं। सावन के महीने में सुबह से श्रद्धालु नर्मदा तट से कांवड़, कलश में जल भर कर पशुपतिनाथ का अभिषेक करने पहुंच रहे हैं। मंदिर में ओंकार का जाप और भोलेनाथ के जयकारे गुंजायमान हैं।