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AIIMS Bhopal:एम्स भोपाल के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर  (Executive Director) प्रो. (डॉ.) अजय सिंह ने कहा है कि वन स्टेट वन हेल्थ स्कीम की रूपरेखा तैयार कर ली गई है। संस्थान में 60 करोड़ की लागत से दो नए रोबोट्स खरीदे जाएंगे।

AIIMS Bhopal: एम्स भोपाल के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर  (Executive Director) प्रो. (डॉ.) अजय सिंह ने सोमवार, 5 अगस्त को अपने दो वर्षों के कार्यकाल के पूरे होने के अवसर पर एम्स परिवार के साथ मिलकर संस्थान की उपलब्धियों पर चर्चा की। इस मौके पर फैकल्टी मेम्बर्स, अधिकारी, रेज़ीडेंट्स, नर्सिंग स्टाफ और अन्य कर्मचारियों ने हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि इन दो वर्षों में एम्स भोपाल ने रोगी देखभाल, शिक्षा और शोध के क्षेत्र में बहुत ज्यादा प्रगति की है।

'वन स्टेट वन हेल्थ स्कीम' की रूपरेखा तैयार
प्रो. सिंह ने आने वाले दिनों में हृदय और फेफड़े का ट्रांसप्लांट (heart and lung transplant) शुरू करने की योजना का जिक्र किया। प्रो. सिंह ने कहा कि एम्स भोपाल ने "वन स्टेट वन हेल्थ"  (One State One Health) की दिशा में SOP यानी की रूपरेख तैयार की है। इसके तहत पूरे प्रदेश में एम्स के स्तर की चिकित्सा सेवाएं प्रदान की जाएंगी। इसके अलावा, 60 करोड़ रुपए की लागत से दो नए रोबोट्स खरीदे जा रहे हैं जो जटिल रोबोटिक ऑपरेशनों  (robotic surgery) में सहायक होंगे।

ओपीडी मरीजों की संख्या 178% बढ़ी
प्रो. सिंह ने  कहा कि पिछले दो वर्षों में एम्स भोपाल की ओपीडी में आने वाले मरीजों की संख्या में 178% की बढ़ोतरी हुई है। जहां पहले 3.76 लाख मरीज ओपीडी में आते थे, वहीं अब यह संख्या बढ़कर 10.50 लाख हो गई है। मेजर सर्जरी में 92% और माइनर सर्जरी में 300% का इजाफा हुआ है। ट्रॉमा और इमरजेंसी में "नो रिफ्यूजल पॉलिसी" के कारण मरीजों की संख्या में 110% की बढ़ोत्तरी हुई, जबकि भर्ती मरीजों की संख्या में 180% की वृद्धि हुई है। 

आयुष्मान योजना के लाभार्थियों में इजाफा
प्रो. सिंह ने कहा कि आयुष्मान भारत योजना (Ayushman Bharat Scheme) के तहत एम्स भोपाल ने पिछले दो वर्षों में 250% की वृद्धि की है। आयुष्मान लाभार्थियों की संख्या में आई यह उछाल एम्स भोपाल के स्वास्थ्य सेवा में उत्कृष्टता की ओर बढ़ते कदमों का प्रतीक है। संस्थान ने रोगियों के लिए बेहतर सुविधाओं के साथ-साथ अधिक पहुंच और देखभाल सुनिश्चित की है। 

एम्स भोपाल की सेंट्रल लाइब्रेरी अपग्रेड हुुई
एम्स भोपाल की सेंट्रल लाइब्रेरी को भी अपग्रेड किया गया है, जिसमें 800 नए ई-जर्नल्स और हिंदी एवं अंग्रेजी में मेडिकल और नॉन-मेडिकल किताबें जोड़ी गई हैं। लाइब्रेरी पर सालाना खर्च 65 लाख से बढ़कर 3.5 करोड़ हो गया है। हिंदी किताबों की संख्या भी 1,200 से बढ़कर 11,670 हो गई है। साथ ही, लाइब्रेरी में छात्रों की बैठने की क्षमता 250 से बढ़कर 600 हो गई है। 

कई कोर्स में यूजी और पीजी सीटें बढ़ी
एम्स भोपाल ने बीएससी नर्सिंग (BSc Nursing seats) , एमडी/एमएस (MD/MS seats), डीएम/एमसीएच और पीजी नर्सिंग (PG Nursing seats) की सीटों में वृद्धि की है। बीएससी नर्सिंग में 75 से बढ़कर 90 सीटें हो गई हैं, वहीं एमडी/एमएस की सीटें 103 से बढ़कर 165 हो गई हैं। डीएम/एमसीएच की सीटें 30 से 75 और पीजी नर्सिंग की सीटें 28 से बढ़कर 42 हो गई हैं।

रोगी कल्याण के लिए कार्यक्रम शुरू
एम्स भोपाल ने यूजी रिसर्च के लिए अनूठी पहल शुरू की है, जिसमें 18 यूजी स्टूडेंट्स ने नेशनल कॉन्फ्रेंस में भाग लिया और 15 स्टूडेंट्स विदेश में रिसर्च के लिए चयनित हुए। स्टूडेंट वेलनेस सेंटर में एक साल में 714 स्टूडेंट्स ने कंसल्ट किया।  एम्स भोपाल रोगी कल्याण के लिए अन्य कार्यक्रम भी चला रहा है। इन कार्यक्रमों में यह सुनिश्चित किया जाता है कि कोई भी व्यक्ति बिना इलाज के एम्स से बाहर न जाए। प्रो. सिंह ने एम्स भोपाल की उपलब्धियों पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि हमें नए लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए प्रयासरत रहना होगा। 

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