MP farmers News: मध्यप्रदेश के साढ़े चार लाख किसानों पर डिफॉल्टर होने का खतरा है। इनमें से सवा दो लाख वह किसान शामिल हैं, जिनसे समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदने के बाद खाते से रकम तो काट ली गई, लेकिन लोन एमाउंट में इसे अर्जेस्ट नहीं किया गया। जबकि, लास्ट डेट निकलने के बाद किसान डिफाल्टर घोषित हो सकते हैं। अफसरों की इस लापरवाही पर कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं। साथ ही आंदोलन की चेतावनी दी है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने X पर जानकारी साझा करते हुए बताया कि प्रदेश के 15 लाख किसानों ने समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने के लिए पंजीयन करवाया था, लेकिन 6.15 लाख ही गेहूं बेचने उपार्जन केंद्र पहुंचे। इनमें से 1.94 लाख किसानों की राशि ही लोन अकाउंट में जमा हुई है, जबकि कटौती भी लोनधारी किसानों से की गई है।
क्या है असमंजस
पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने सरकार से सवाल किया है कि शेष 4.21 लाख किसानों की राशि जमा नहीं हुई या इसे लेकर कोई असमंजस है। अब यदि ऋण भुगतान की आखिरी तारीख भी नहीं बढ़ाई गई, तो यह किसान डिफॉल्टर नहीं घोषित हो जाएंगे।
कैसे बढ़ गए डिफाल्टर किसान
पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने मीडिया रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए दावा किया कि गत वर्ष तक प्रदेश में डिफाल्टर किसानों की संख्या 12 लाख थी। इस साल 30 फीसदी किसान और बढ़ गए। भाजपा सरकार को बताना चाहिए कि इतनी बड़ी संख्या में कैसे डिफाल्टर हुए हैं।
वसूला जा सकता है 14 फीसदी ब्याज
दरअसल, अल्पकालीन फसल ऋण भुगतान की आखिरी तारीख बढ़ाकर 31 मई की थी। साथ ही यह भी निर्देश जारी किए गए हैं कि तय समय सीमा पर ऋण भुगतान करने वाले किसानों से ब्याज नहीं लिया जाएगा, लेकिन भुगतान में एक दिन भी देरी हुई तो पूरे साल का 14 फीसदी ब्याज वसूला जाएगा।
• #मध्यप्रदेश में 4.21 लाख #किसानों पर डिफॉल्टर होने का खतरा मंडरा रहा है! क्योंकि, उपार्जन केंद्र में गेहूं बेचने के बाद 2.25 लाख किसानों से लोन की रकम तो ले ली गई, लेकिन आखिरी तिथि होने के बावजूद यह रकम लोन अकाउंट में नहीं जुड़ी!
• आंकड़े बता रहे हैं कि इस साल 15 लाख किसानों…
— Jitendra (Jitu) Patwari (@jitupatwari) June 1, 2024