भोपाल (आशीष नामदेव): हे मध्यमा शीघ्र आओ... पखावज का कर्णप्रिय स्वर और मन को भक्ति भाव से भर देने वाले पांचजन्य की मधुर आवाज, कुछ इन्हीं तरह के दृश्यों के साथ महाकवि भास का प्रसिद्ध ‘मध्यम व्यायोग’ पर आधारित नाटक मोहे पिया का मंचन भारत भवन के अंतरंग सभागार में किया गया। 

गीत संगीत से सजी इस प्रस्तुति का निर्देशन वरिष्ठ रंगकर्मी वामन केन्द्रे ने किया, जिसकी प्रस्तुति रंगपीठ नाट्य संस्था मुंबई के कलाकारों ने दी। मंचित नाटक भीम और घटोत्कच के पिता-पुत्र के रूप में पुनर्मिलन और ऐसा होने तक के वृतान्त के इर्द-गिर्द घूमता है। 

Mohe Piya Natak Manchan

भीम के आग्रह पर घटोत्कच महाभारत में करता है युद्ध 
नाटक में संघर्ष, भावनाएं, संवाद और क्रिया के माध्यम से मानवीय अनुभवों का चित्रण किया गया। इसमें दिखाया गया कि उपवास कर रही हिडिम्बा अपने पुत्र घटोत्कच को जंगल से एक मनुष्य लाने की आज्ञा देती है ताकि उसे खाकर वह उपवास तोड़ सके। आज्ञा का पालन करते हुए घटोत्कच यात्रा कर रहे एक ब्राह्मण परिवार को रोक लेता है, जिसका दूसरा बेटा मध्यम अपने परिवार के लिए बली चढ़ने को राजी हो जाता है। आगे बताया गया है कि बाद में अपने पिता के आग्रह पर घटोत्कच महाभारत युद्ध में जाता है और लड़ाई करते हुए मारा जाता है।

Mohe Piya Natak Manchan