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Bhopal SSC GD constable exam: भोपाल के राधारमण कॉलेज में शुक्रवार (7 फरवरी) को एसएससी जीडी एग्जाम में मुरैना निवासी मनोज कुमार (21) की जगह मंडला निवासी सॉल्वर सुनील ठाकुर परीक्षा देने पहुंचा था, पुलिस ने उसे अरेस्ट कर लिया है।

Bhopal SSC GD constable exam: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में दूसरे अभ्यर्थी के स्थान पर परीक्षा दे रहे साल्वर को गिरफ्तार किया गया है। आरोपी सिक्योरिटी कंपनी में गार्ड की नौकरी करता है। SSC जीडी आरक्षक परीक्षा पास कराने के बदले उसने अभ्यर्थी से 50 हजार रुपए लिए थे, लेकिन राधारमण कॉलेज में जैसे ही वह परीक्षा देने आया पुलिस ने गिरफ्त कर लिया। शनिवार को उसे कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया है। पुलिस ने पूछताछ के लिए आरोपी की रिमांड नहीं मांगी।

50 हजार में परीक्षा पास कराने का ऑफर 
भोपाल के रातीबड़ स्थित राधारमण कॉलेज में शुक्रवार को एसएससी जीडी का एग्जाम था। यहां मुरैना निवासी मनोज कुमार (21) का एक्जाम सेंटर था, लेकिन सेंटर उसने खुद परीक्षा देने की बजाय मंडला निवासी सॉल्वर सुनील ठाकुर को अपनी जगह बैठने का ऑफर दिया। एक्जामिनर ने एक्जाम सेंटर के बाहर सुनील को रोककर कड़ाई से पूछताछ की तो फर्जीवाड़ा सामने आ गया। पूछताछ के बाद आरोपी को पुलिस के हवाले कर दिया गया। 

आधार कार्ड में लगा ली अपनी फोटो 
आरोपी सुनील ने पुलिस को बताया कि मनोज से उसकी पहचान 2018 से हुई थी। वह प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने आया था। सफलता नहीं मिली तो सिक्यूरटी कंपनी में नौकरी करने लगा। पुराना परिचय होने के कारण मनोज ने उसे कॉल कर अपने स्थान पर परीक्षा देने का ऑफर दिया। 50 हजार में सौदा तय हुआ। एडवांश में रुपए लेने के बाद उसने परीक्षा देने की बात स्वीकारी। 

गिरफ्तारी की भनक लगते ही दूसरा आरोपी फरार 
एक्जाम सेंटर तक सुनील और मनोज दोनों साथ-साथ पहुंचे थे। परीक्षा के बाद कॉलेज के बाहर मिलने की बात हुई, सुनील के गिरफ्तारी की भनक लगते ही मनोज फरार हो गया। सुनील का मोबाइल और पर्स भी उसी के पास है। पुलिस मनोज की तलाश कर रही है। धोखाधड़ी सहित अन्य धाराओं के तहत केस दर्ज कर एक टीम मुरैना रवाना की गई है। 

गिरोह का हो सकता था खुलासा 
SSC जीडी आरक्षक परीक्षा में साल्वर की गिरफ्तारी के मामले में पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। पूछताछ के लिए उसकी रिमांड नहीं मांगी गई। जबकि, जानकारों ने इस वारदात में संगठित गिरोह का हाथ होने की आशंका जताई है। बताया कि मध्य प्रदेश में पहले भी इस तरह के फर्जीवाड़े संगठित तरीके से किए जाते रहे हैं। पूछताछ की जाती तो ऐसे गिरोह का खुलासा हो सकता था। 

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