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Burhanpur: मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में चौंकाने वाला मामला सामने आया है। इंदौर-इच्छापुर नेशनल हाईवे की खुदाई के दौरान एक खेत से सोने-चांदी के सिक्के निकल रहे हैं। खजाने की खोज में दूर-दूर से लोग पहुंच रहे हैं।

Burhanpur: बुरहानपुर में चौंकाने वाला मामला सामने आया है। असीरगढ गांव के पास इंदौर-इच्छापुर नेशनल हाईवे के निर्माण के लिए खुदाई हो रही है। चर्चा है कि खुदाई के दौरान एक खेत से मुगलकालीन सोने-चांदी के सिक्के निकल रहे हैं। यह बात आग की तरह फैली और ग्रामीण  की भीड़ पहुंचने लगी। रोज शाम होते ही देर रात तक ग्रामीण टॉर्च की रोशनी में सोने-चांदी के सिक्के मिलने की लालच में खुदाई कर रहे हैं। खेत मालिक और मजदूर भी सिक्के मिलने की बात से उत्साहित होकर खुदाई में जुटे हैं। कुछ लोगों का दावा है कि उन्हें सिक्के भी मिले हैं।  

खजाने की खोज में उमड़ रही भीड़ 
सबसे पहले यह खबर फैली कि खेत मालिक और मजदूरों को खुदाई के दौरान सोने-चांदी के सिक्के मिले हैं। इसके बाद गांव में यह अफवाह तेजी से फैल गई कि कई ग्रामीणों ने खुदाई करते समय ऐसे ही सिक्के पाए हैं। यहां तक कहा जा रहा है कि जिन लोगों को सिक्के मिले, उन्होंने इन्हें स्थानीय सराफा बाजार में बेचकर नकदी प्राप्त कर ली है। इस घटनाक्रम ने गांव में एक खजाने की खोज का माहौल बना दिया है, जिससे यहां भीड़ बढ़ती जा रही है।

जानें क्या बोले विशेषज्ञ
पुरातत्वविद और इतिहास के विशेषज्ञ कमरूद्दीन फलक का कहना है कि असीरगढ़ का किला ऐतिहासिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है। विशेषज्ञ ने बताया कि इस क्षेत्र से पहले भी मुगलकाल के सिक्के प्राप्त हो चुके हैं। उस समय यह क्षेत्र संपन्न लोगों के लिए सुरक्षित स्थान माना जाता था, जब वे अपने धन को छिपाने के लिए जमीन में गाड़ देते थे। 

सिक्कों का मिलना कोई आश्चर्य की बात नहीं
फलक ने यह भी बताया कि उस समय धन को सुरक्षित रखने के केवल दो ही प्रमुख विकल्प थे। पहला, शाही खजाने में जमा करना, जिसमें पावती मिलती थी। दूसरा अपने धन को जमीन में छिपाकर रखना। इस कारण से खुदाई के दौरान सिक्कों का मिलना कोई आश्चर्य की बात नहीं है। फलक ने आगे कहा कि अगर नेशनल हाईवे के लिए पहाड़ी क्षेत्र में गहरी खुदाई हुई है और सिक्के मिलने की बात सामने आ रही है तो जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन और पुरातत्व विभाग को इसकी गहनता से जांच करनी चाहिए। 

कुछ लोग अफवाह भी फैला सकते हैं 
फलक ने यह भी कहा कि अक्सर यह भी देखा जाता है कि कुछ लोग ऐसी अफवाह फैला कर नकली सिक्कों को असली बता कर लोगों से पैसे ऐंठने का काम भी करते हैं। कुल मिलाकर अफवाह की जांच कर यह भी पता लगाया जाना चाहिए कि कहीं तथाकथित ठग तो इस तरह की अफवाह नहीं फैला रहे रहे हैं। 

जिला प्रशासन से जांच की मांग 
पुरातत्वविद अजय रघुवंशी ने जिला प्रशासन से इसकी जांच की मांग की है। अजय का कहना है कि यदि ये सिक्के वास्तव में मुगलकालीन हैं, तो इन्हें जब्त कर सरकारी खजाने में जमा किया जाना चाहिए। वहीं, अगर यह महज अफवाह है, तो इसके पीछे के लोगों की पहचान कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। जिला प्रशासन और पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी इस मुद्दे पर आधिकारिक तौर पर अब तक कुछ नहीं कह रहे हैं।

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