Krishna Janmashtami 2024: मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बड़ा ऐलान किया है। मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को वीडियो जारी कर कहा कि सरकार इस बार जन्माष्टमी के पर्व को विशेष तौर पर मनाने जा रही है। मध्य प्रदेश भगवान श्रीकृष्ण और भगवान श्रीराम से प्रेरित और पावन भूमि है। एमपी में जहां श्रीकृष्ण के चरण पड़े, वहां तीर्थस्थल बनाए जाएंगे। उज्जैन के सांदीपनी आश्रम, नारायण धाम, धार का अमझेरा मंदिर और इंदौर के जानापाव को तीर्थस्थल के रूप में विकसित किया जाएगा।
मध्यप्रदेश भगवान श्री राम और श्री कृष्ण के आशीर्वाद से धन्य भूमि है...
— Dr Mohan Yadav (@DrMohanYadav51) August 23, 2024
प्रदेश में स्थित भगवान श्री कृष्ण से सम्बंधित सांदीपनि आश्रम, नारायण धाम, अमझेरा धाम एवं जानापाव धाम को राज्य सरकार द्वारा तीर्थ स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा।
आइये! जन्माष्टमी के पावन पर्व पर हम सभी… pic.twitter.com/Mbl7tBxPhG
हर जिले में होंगे सांस्कृतिक कार्यक्रम
सीएम ने कहा कि जन्माष्टमी पर हर जिले में मंदिरों की साफ-सफाई और सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षा, मित्रता के प्रसंग और जीवन दर्शन के साथ भारतीय सांस्कृतिक परम्पराओं, योग आदि पर आधारित विभिन्न विषयों पर विद्वानों के व्याख्यान कार्यक्रम होंगे। सरकारी, निजी स्कूल, कॉलेज में भी कार्यक्रम होंगे।
मध्यप्रदेश भगवान कृष्ण और राम से प्रेरित पावन भूमि है
सीएम ने कहा कि मध्य प्रदेश भगवान श्रीकृष्ण और भगवान श्रीराम से प्रेरित और पावन भूमि है। हमारा सौभाग्य है कि कंस को मारने के बाद भगवान श्री कृष्ण ने उज्जैन के सांदीपनि आश्रम से शिक्षा ग्रहण की और दुनिया में श्री कृष्ण के नाम से जाने गए। मध्यप्रदेश का सौभाग्य है कि जहां नारायण धाम है। यहां ये वो स्थान है, जहां भगवान कृष्ण की सुदामा से मित्रता हुई। यानी गरीबी और अमीरी की मित्रता का सबसे श्रेष्ठ स्थान है।
चारों स्थानों को तीर्थ बनाने का लिया संकल्प
मध्यप्रदेश में धार के पास अमझेरा स्थान है, जहां वीरता के बलबूते पर भगवान ने कृष्ण ने रुक्मिणी हरण में रुक्मी को युद्ध में हराया था। सीएम ने कहा कि इंदौर के पास जानापाव नामक स्थान है, जहां विनम्रता और श्रद्धा से परशुराम जी से सुदर्शन चक्र भगवान श्री कृष्ण ने प्राप्त किया था। ये चारों धाम भगवान श्री कृष्ण के इतिहास को जीवंत करते हैं। जिसके कारण भगवान कृष्ण की लीला दुनिया में अलग प्रकार से पहचानी गई। जहां-जहां श्रीकृष्ण के चरण पड़े ऐसे स्थानों को तीर्थ बनाने के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने संकल्प लिया है।
जानें चारों स्थानों का महत्व
7000 साल पुराना मंदिर
द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण ने जिस स्थान से माता रुक्मिणी का हरण किया था, वो अमका-झमका मंदिर धार के अमझेरा में स्थित है। 7000 साल पुराना मंदिर रुक्मिणी जी की कुलदेवी का था। वो यहां पूजा करने आती थीं। 1720- 40 में मंदिर का राजा लाल सिंह ने जीर्णोद्धार करवाया था। रुक्मिणि वहीं के राजा की पुत्री थीं। उसके बाद मंदिर के नाम से जगह को अमझेरा नाम दिया गया।
जानापाव में कृष्ण को मिला सुदर्शन चक्र
भगवान श्री कृष्ण 13 साल की उम्र में परशुराम से मिलने उनकी जन्मस्थली जानावाप(इंदौर) गए थे। परशुराम ने भगवान श्रीकृष्ण को उपहार में सुदर्शन चक्र भेंट किया था। इस चक्र को शिव ने त्रिपुरासुर वध के लिए बनाया था और विष्णुजी को दिया था। कृष्ण के पास आने के बाद यह उनके पास ही रहा।
एकमात्र मंदिर जहां कृष्ण और सुदामा विराजे
उज्जैन में एकमात्र मंदिर है जहां श्री कृष्ण अपने मित्र सुदामा के साथ में विराजते हैं। नारायण धाम मंदिर में कृष्ण-सुदामा की अटूट मित्रता को पेड़ों के प्रमाण के तौर में भी देख सकते हैं। कहा जाता है कि नारायण धाम ये पेड़ उन्हीं लकड़ियों से फले-फूले हैं, जो श्रीकृष्ण व सुदामा ने एकत्रित की थीं। सांदीपनि आश्रम में भगवान कृष्ण ने शिक्षा ग्रहण की थी।