भोपाल। रानी कमलापति से दिल्ली की ओर जा रही शताब्दी एक्सप्रेस जैसे ही सांची के आसपास पहुंची, ट्रेन के कोच अटेंडर सुनील कुमार (उम्र 43 वर्ष निवासी लखनउ) को झटका सा लगा और वह कुर्सी पकड़कर बैठ गए। उसी वक्त उसके पास से तीन कोच के डिप्टी सीएस (कोच अधीक्षक) मनीष कुमार दुबे निकल रहे थे। उन्होंने कोच अटेंडर को देख, उसकी नाजुक हालत को समझा और उसकी मदद की।
मनीष कुमार दुबे के पास मेडिकल बॉक्स तो था, लेकिन कोच अटेंडर सुनील कुमार को परेशानी क्या थी, यह समझ नहीं पाए। तब उन्होंने ट्रेन में अनाउंसमेंट कराया और अपील की कि यदि ट्रेन में डाक्टर्स यात्रा कर रहे हों तो वह मदद के लिए कोच C 3 में पहुंचे।
डॉक्टरों की तत्परता से बची जान
मनीष कुमार दुबे ने बताया कि अनाउंसमेंट पूरी ट्रेन में एक साथ होता है, इसलिए अनाउंसमेंट सुनते ही 10 से 15 डाक्टर मदद को आ गए। सभी ने अपने स्तर पर प्राथमिक उपचार दिया। इस बीच डिप्टी सीएस ने कंट्रोल को खबर कर दी। जिससे बीना स्टेशन पर रेलवे स्टेशन का स्टाफ सहित रेलवे अस्पताल तत्काल डॉक्टरों की टीम पहुंच गई। मरीज को तुरंत सिविल अस्पताल भर्ती कराया गया। यहां ड्यूटी डाक्टर ने उसे देखा और गंभीर हालत को देखते हुए बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज सागर रैफर कर दिया। जहां पर मरीज की हालत ठीक है।
अटेंडर की स्वास्थ्य जांच नहीं कराई जाती है
शताब्दी एक्सप्रेस में कोच अटेंडर का काम ओबीएचएस कंपनी के पास है। सूत्रों के अनुसार कंपनी की ओर से कर्मचारियों से लगातार काम कराया जा रहा है। साथ ही न ही उनका रूटीन चैकअप कराया जाता है। इसके चलते अटेंडर के स्वस्थ्य पर इसका असर पड़ रहा है।