Bhopal News : राजधानी के चारों ओर इन दिनों कंक्रीट का जंगल तेजी से बढ़ रहा है। हाल यह है कि भोपाल में 50 साल से पुराने 7000 से अधिक पेड़ मौजूद हैं, लेकिन इनमें से कई आंधी या तेज हवा में अपने आप गिर रहे हैं। उम्रदराज पेड़ों की यह संख्या करीब तीन साल पहले शहर में नगर निगम द्वारा किए गए सर्वे में सामने आई थी। इसके बाद से नगर निगम और राजधानी परियोजना प्रशासन द्वारा उम्रदराज पेड़ों की संभवतः गिनती नहीं की गई है।

हरियाली गायब होती जा रही है
शहर के अलग अलग क्षेत्रों में कहीं पेड़ के पास चबूतरा बना है तो कहीं आरसीसी रोड शहर में दिनों-दिन कंक्रीट का जंजाल बढ़ रहा है। जिससे हरियाली गायब होती जा रही है। इस कारण पेड़ों को हवा और पानी पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पाता है। इतना ही नहीं जड़ों को पर्याप्त पानी भी नहीं मिल पाने के कारण वह फैल नहीं पाती हैं। इसके चलते तीन से 7 साल के अंदर ही पेड़ कमजोर हो जाते हैं, जो अचानक तेज हवाओं या आधी में अपने आप गिर जाते हैं।

पेड़ों के गिरने से कई लोगों की मौत हो चुकी
राजधानी में बीते वर्षों में लगातार निगम के कंट्रोल रूम में एक ही दिल में 40 से अधिक जगहों पर पेड़ गिरने की शिकायतें आई थी। अभी दो दिन पहले भी हर में एक पेड़ तेज हवा में गिर साया, जिसमें दखले से दो लोगों की मौत की भी खबर है। ऐसे और में उदाहरण हैं दो साल पहले भी भोपाल टॉकीज के पास एक इमली का विशाल पेड़ लोगों की मौत हो गई थी।

सैकड़ों पेड़ गिरने की शिकायतें आ सकती थी
यह स्थिति तब बनी थी, जब राजधानी में महज 40 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चली। जहां तेज आंधी आती तो शायद एक दिन में सैकड़ों पेड़ गिरने की शिकायतें आ सकती थी। वर्ष 2021 से हैरत की बात तो यह है कि इस घटना के दूसरे दिल मी 10 से अधिक पेड़ गिरने की शिकायत दर्ज की गई। अब इस मामले में पर्यावरणविद ने भी कंक्रीट के जंगल बढ़ने के कारण यह स्थिति बनते की बात कही।