MP Patwari Bharti Update: MP में पटवारी भर्ती परीक्षा में क्लीन चिट पर बेरोजगार युवाओं के साथ प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने भी सवाल उठाए हैं। मप्र विधानसभा में उप नेता प्रतिपक्ष हेमंत सत्यदेव कटारे ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर प्रदर्शनकारी युवाओं की तस्वीर शेयर कर सरकार से 10 सवाल पूछे। साथ ही आश्वस्त किया कि MP के बोरोजगर युवाओं के साथ नाइंसाफी नहीं होने देंगे। कांग्रेस बेरोजगारों और योग्य उम्मीदवारों के साथ पूरी तटस्थता के साथ खड़ी रहेगी।
हमारी मांगें सरकार तक अच्छे से पहुंच गई हैं और हमको पूरी उम्मीद है कि सरकार अपनी मांगें जरूर पूरी करेगी।
आज का कार्यक्रम उम्मीद से ज्यादा सफल रहा आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं 💐
एक बार और अच्छे से इसी तरह अपनी ताकत दिखा दी तो हम जरूर सफल होंगे।
आंदोलन की आगे की रूपरेखा… pic.twitter.com/fGeOPl7NRo
— National Educated Youth Union (@NEYU4INDIA) February 19, 2024
पटवारी भर्ती फर्जीवाड़े पर कांग्रेस के 10 सवाल
- उपनेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे ने पूछा क्या टॉपर से बातचीत कर उनके बयान लिए गए हैं। क्या उनके बीच के आपसी कनेक्शन को चेक किया गया है ?
- क्या टॉपर्स अभ्यर्थियों के 10वीं, 12 वीं की मार्कशीट की जांच की गई है? क्योंकि कुछ अभ्यर्थी ऐसे भी थे, जिन्हें 10वीं-12वीं में 35 फीसदी नंबर ही मिले हैं।
- टॉप-10 में से 7 अभ्यर्थियों का सेंटर एक ही कॉलेज, NRI कॉलेज में होना महज एक संयोग था या कुछ और... क्या इस एंगल से जांच की गई है...
- क्या भाजपा विधायक संजीव कुशवाहा के ग्वालियर स्थित NRI कॉलेज के परीक्षा सेंटर में सेंधमारी के स्कोप की जांच की गई है?
- क्या इस पहलू की जांच हुई है कि विकलांग कोटे से चयनित ज्यादातर अभ्यर्थी मुरैना जिले के जौरा के निवासी हैं। ज्यादातर के उपनाम भी त्यागी है ?
- पटवारी परीक्षा पास करने वाले कुछ कुछ अभ्यर्थी ऐसे भी थे, जो वन रक्षक भर्ती परीक्षा में फिट थे, लेकिन पटवारी भर्ती में हैंडीकैप्ड कोटे से आवेदन किया। इस बिंदु की जांच की गई है क्या?
- क्या टॉपर्स की लॉग इन टाइम चेक किया गया, जिससे ये पता चले कि उसने कितने बजे सिस्टम पर लॉग इन किया?
- क्या टॉपर्स की CRL (कैंडिडेट रिस्पांस लॉग) की जांच की गई है? ताकि पता चले कि किस स्टूडेंट ने कब और कितने समय में कौन सा जवाब दिया था। उसने जवाब के ऑप्शन को कब बदला और क्या पूरा पेपर 3 घंटे में दिया या आधे-एक घंटे में लगाए।
- इस मामले में एक सदस्यीय जांच कमेटी के पास जांच के तकनीकी संसाधन नहीं थे, ऐसे में ये जांच केवल बयानों के आधार पर हुई है।
- एक व्यक्ति का प्रदेशभर में शिकायतों की जांच करना आसान नहीं है। चूंकि मामले में कई तकनीकी पहलू हैं, ऐसे में बिना टेक्निकल एक्सपर्ट के सभी पहलुओं की जांच करना संभव नहीं है।
नई सरकार को बने हुए अभी 3 महीने भी पूरे नहीं हुए हैं और युवा फिर से सड़क पर हैं।
युवाओं का ये हुजूम बताता है कि मध्यप्रदेश की सरकार युवाओं के रोजगार को लेकर बिलकुल भी संवेदनशील नहीं है जबकि @RahulGandhi
गाँधी जी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा लगातार युवाओं की आवाज उठा रही है।… pic.twitter.com/PPFvuChwwD
— Ramniwas Rawat (@rawat_ramniwas) February 19, 2024