भोपाल। मध्यप्रदेश में वर्षों से लंबित सहकारी संस्थाओं के चुनाव जल्द होने की उम्मीद है। मप्र राज्य सहकारी निर्वाचन प्राधिकारी ने इसके लिए ज्वाइंट कमिश्नर सहकारिता को पत्र लिखा है। पत्र में हाईकोर्ट के आदेश का जिक्र करते हुए कहा है कि सहकारी संस्थाओं में स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी निर्वाचन उनके लोकतांत्रिक स्वरूप को बनाए रखने के लिए जरूरी है। उच्च न्यायालय ने मप्र सहकारिता चुनाव लोकसभा चुनाव से पहले कराने के निर्देश दिए हैं।
6 माह के लिए ही नियुक्त होते हैं प्रशासक
प्रदेश में 4531 प्राथमिक कृषि साख सहकारी संस्थाएं पंजीकृत हैं। अधिकांश में प्रशासक ही कार्यरत हैं। जबकि निर्वाचित संचालक मंडल अधिनियम के अनुसार, प्रशासक 6 माह की समयावधि के लिए नियुक्त किया जाता है।
उपलब्ध नहीं कराई सदस्यता सूची
मप्र राज्य सहकारी निर्वाचन प्राधिकारी ने पत्र में बताया कि देवास जिले को छोड़कर सभी जिलों को उप/सहायक आयुक्त, सहकारिता व जिला निर्वाचन समन्वयक को पत्र जारी कर पंजीकृत सहकारी संस्थाओं की सदस्यता सूची मांगी गई, लेकिन उपलब्ध नहीं कराई जा सकी।
10 मार्च से पहले चुनाव कराने के आदेश
उच्च न्यायालय ने याचिका पर सुनवाई करते हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता व निर्वाचन प्राधिकारी की स्टैडिंग कांउसिल को आदेशित करते हुए कहा है कि सभी प्राथमिक कृषि साख सहकारी संस्थाओं के चुनाव लोकसभा चुनाव 2024 की आदर्श आचार संहिता प्रभावशील होने के पहले करा लिए जाएं। कोर्ट ने 10 मार्च से पहले सहकारी संस्थाओं के चुनाव कराने की डेडलाइन तय की है।
4 चरण में पूरी होगी चुनाव प्रक्रिया
निर्वाचन प्राधिकारी ने चार चरणों में चुनाव कराने के निर्देश दिए हैं। कहा, सबसे पहले संस्थाओं की सदस्यता सूची अपडेट कराएं। रजिस्ट्रीकरण रिटर्निंग अधिकारी नियुक्त करने विकासखंड और सोसायटीवार अधिकारी कर्मचारियों की सूची कलेक्टर से अनुमोदित की जाएगी। इसके बाद सात दिन में जिला निर्वाचन प्रकोष्ठ और नोडल अधिकारी का नाम भेजने को निर्देशित किया। पारदर्शी व निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया की सतत मॉनिटरिंग के लिए भी कहा है।