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रंगश्री लिटिल बैल ट्रूप में मुंशी प्रेमचंद की कहानी 'बड़े भाई साहब' का मंचन हुआ। लगभग 40 मिनट के इस मंचन की कहानी दो भाइयों के बीच के रिश्ते को लेकर है।

Bhopal News : रंगश्री लिटिल बैल ट्रूप में मुंशी प्रेमचंद की कहानी 'बड़े भाई साहब' का मंचन हुआ। लगभग 40 मिनट के इस मंचन की कहानी दो भाइयों के बीच के रिश्ते को लेकर है। जहा छोटा भाई पढ़ाई को लेकर अपने साथ बड़े भाई के रवैये को बड़े ही व्यंग्यात्मक तरीके से पेश करता है। वहीं, दूसरी तरफ बड़े भाई के भी पढ़ाई को लेकर अपने दर्द हैं, जिसको बड़े भाई ने अपने संवादों में बड़े ही व्यंग्य के साथ मंचन करता है। रंग विदूषक संस्था द्वारा यह नाटक प्रस्तुत किया गया। इसका निर्देशन हर्ष दौंड ने किया। 

नाटक की कहानी
हिंदी भाषा के प्रसिद्ध कहानीकार मुंशी प्रेमचंद की लघु और विनम्र हास्य कथा का नाटकीय रूपांतरण के दौरान सभागार में कलाकारों के भाव भंगिमाओं और चंचल संवादों ने दर्शकों को खूब गुदगुदाया। इस कहानी में परंपरागत भारतीय परिवार में बड़े भाई के रोबीली छवि के दायरे में विनम्र छोटे भाई की भूमिका नाट्य मंचन के माध्यम से जीवंत करने की कोशिश की गई। बड़ा भाई कितबी शिक्षा की जगह जीवन के अनुभव को अधिक महत्वपूर्ण और उपयोगी बताता है। वह सदा आचरण को महत्वपूर्ण मानता है, छोटे भाई के खेलकूद और उसकी स्वच्छंदता पर नियंत्रण रखता है। उससे पूछता रहता है कि वह कहां था , क्या कर रहा था। छोटे भाई के खेलने और ना पढ़ने पर लंबे-लंबे भाषण देता रहता था। जिससे पढ़ाई के कठिन होने पर फेल होने का भय दिखाकर  अपने को खेलकूद से दूर रहने का उदाहरण देता था। इसके साथ ही वो सफलता से अधिक बुद्धि के विकास को महत्वपूर्ण बताता। अपने ज्ञान को बढ़ा-चढ़कर बताते हुए वो छोटे भाई पर हावी होने का प्रयास करता। उदाहरण द्वारा अभिमानी लोगों का कैसा अंत होता है यह बताता। 

बड़े भाई साहब कहानी को पढ़ते समय मुझे खुद अपना बचपन याद आने लगा, जब हम छोटे बालक होते हैं तो पढ़ाई को बोझ की तरह लेते हैं। यदि हम पढ़ाई को खेल का हिस्सा बनाकर पढ़ें तो शिक्षा को हम और रोचक बना सकते हैं। हमें अपनी क्षमता स्थिति और सीमा को समझना चाहिए, उसी के अनुरूप व्यवहार करना चाहिए। दूसरों में कमी ढूंढने से पहले स्वयं के भीतर कमी तलाशें। 
हर्ष दौंड, निर्देशक

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