हरि अग्रहरि, भोपाल: मध्यप्रदेश में पिछले सात सालों में चार सरकारें बदली, पर सबसे महत्वपूर्ण ई-आफिस प्रणाली पर काम शुरू नहीं हो पाया। 2018 में शिवराज सरकार में लागू करने की योजना बनी, 2019 में कमलनाथ सरकार में महज चर्चा होती रही। 2020 में फिर से शिवराज सरकार अस्तित्व में आई और 2023 में मोहन सरकार ने काम शुरू किया। ई-आफिस प्रणाली मप्र के ज्यादातर सरकारी कार्यालयों में अभी भी किसी शिगूफे से कम नहीं लग रही है। इसकी सबसे बड़ी वजह अफसरों में काम करने की रूचि नहीं होना है।
मुख्य सचिव अनुराग जैन ने अभी हाल में ही बैठक लेकर ऐसे सभी अफसरों व विभागों से साफ कर दिया है कि हर हाल में वे 30 दिसंबर तक अपने विभाग में ई-आफिस प्रणाली लागू करें। एक जनवरी से सारे काम-काज इसी प्रणाली पर होंगे। यह आदेश अभी महज मंत्रालय के लिए होगा, इसके बाद सभी संचालनालयों व प्रदेश भर में इसे क्रियान्वित किया जाएगा। दरअसल, अफसरों ने इस प्रणाली को लागू करने में कोई रूचि नहीं ली। इस वजह से मंत्रालय में आज तक ई-आफिस प्रणाली लागू नहीं हो पाया।
ई-आफिस प्रणाली की इस तरह से बनी थी रूपरेखा
सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) ने सबसे पहले मार्च 2018 में सभी विभागों को आदेश जारी कर ई-आफिस प्रणाली का क्रियान्वयन कराने को कहा था। उस वक्त जीएडी के कुछ सैक्सन को छोड़कर बाकी किसी भी विभाग ने कोई खास काम नहीं किया। जबकि इस कार्य के लिए बाकायदे राशि का अलाटमेंट किया गया था। इस राशि से कंप्यूटर से लेकर अन्य सामानों की खरीदी भी की गई। पर, अफसरों की रूचि नहीं होने की वजह से इस प्रणाली में कुछ खास प्रगति नहीं हो पाई। जीएडी ने बाद में जून 2019 में भी पत्र भेजकर स्मरण कराया, इसके बाद भी किसी ने कोई रूचि नहीं ली। वर्ष 2021 में भी इसी तरह का एक पत्र भेजा गया।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने नए वर्जन के लिए ली सहमति
अक्टूबर 2022 में विज्ञान एवं प्रौद्योगिक विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव निकुंज कुमार श्रीवास्तव ने सभी विभागों के अपर मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों व सचिवों को प्ात्र भेजकर बाकायदे ई-आफिस प्रणाली के नए वर्जन के लिए सहमति ली। उन्हांेने समझाया कि ई-आफिस प्रणाली में नस्तियों का निराकरण तेजी से होता है। यह भी बताया कि यह आिखर समय के साथ कदमताल करने के लिए क्यों जरूरी है। एक प्रपत्र में उन्होंने विभागीय अभिमत भी ले लिया, किंतु यहां एक बार फिर से अफसरों की रूिच व अरूचि का मुद्दा सामने आया और सब कुछ ठंडे बस्ते में ही रहा।
एमपीएसईडीसी ने क्रियान्वयन के लिए यह काम भी किया
पिछले वर्ष जुलाई 2023 में एमपीएसईडीसी के एमडी अभिजीत अग्रवाल ने विशेष रूचि लेकर ई-आफिस प्रणाली को कि्रयान्वित करने को लेकर जरूरत के अनुसार सभी सक्रिय व पुरानी नस्तियों को स्कैन व डिजिटाइज करने के लिए निविदा के जरिए सेवा प्रदाता को प्रति पेज के हिसाब से संबंधित कंपनी को एंपैनल किया है। यदि कोई इसका लाभ लेना चाहे तो एमपीएसईडीसी से संपर्क कर सकते हैं। इसके बाद कुछ विभागों को छोड़कर बाकी किसी भी विभाग के अफसर ने ऐसा कुछ कार्य नहीं, जिससे ई-आफिस प्रणाली लागू हो सके।
अब जीएडी ने उक्त दोनों पत्रों का हवाला देकर फिर से पत्र लिखा
नए मुख्य सचिव जैन के पदभार ग्रहण करने के बाद संभावना जगी है कि अब पहले मंत्रालय के विभागों में इसके बाद प्रदेश भर में ई-आफिस प्रणाली पर काम शुरू हो जाएगा। जीएडी ने अभी 7 नवबर 2024 को सभी विभाग के एसीएस, पीएस व सचिवों को पत्र भेजकर 2018 से लेकर 2023 तक के पत्रों का हवाला देकर इस बार काम शुरू कराने को कहा है। जीएडी के एसीएस संजय दुबे ने लिखा कि इस व्यवस्था को मंत्रालय में सुदृढ़ करने का निर्णय लिया गया है। प्रथम चरण में एक जनवरी 2025 से ई-आफिस प्रणाली लागू किया जाना है। एक जनवरी से सभी नस्तियां इलेक्ट्रानिक मोड में ही भेजी जाएगी। मंत्रालय में ई-आफिस प्रणाली को हाईब्रिड मोड में उपयोग किया जा रहा है। ऐसे में संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों के ईएमडी (एंपलाई मास्टर डाटा) का अपडेट कराना सुनिश्चत करें।