ग्वालियर। मध्यप्रदेश में खाद्य सुरक्षा विभाग की चलित लैब को लेकर हाईकोर्ट की युगल पीठ ने आश्चर्य जताया है। कोर्ट ने कहा कि 52 जिलों में 15 चलित लैब हैं। हर माह 100 टेस्ट भी नहीं कर पा रहे हैं। कोर्ट के आदेश का सही से पालन हो सके, उसके लिए जिम्मेदार अधिकारी का शपथ पत्र पेश किया जाए। साथ ही हर जिले में एक चलित लैब हो। शहर के एंट्री व एक्जिट गेट पर निगरानी होना चाहिए। मिलावटी दूध और मावा शहर के अंदर न आ सके। अवमानना याचिका की सुनवाई 24 जनवरी को होगी। ग्वालियर-चंबल संभाग सहित विदिशा कलेक्टर को मिलावट रोकने के लिए गए प्रयास के संबंध में अपना शपथ पत्र देना होगा।
अधिकारी मावे को पकड़ते हैं सैंपल लेकर छोड़ देते हैं
जस्टिस रोहित आर्य और विनोद कुमार द्विवेदी की युगल पीठ ने भोपाल लैब टेस्ट की संख्या पूछी। एक साल में 6 हजार टेस्ट की जानकारी पर कोर्ट ने नाराजगी जताई। कहा, ये अधिकारी कोर्ट में आ जाते हैं, लेकिन इनको कुछ पता नहीं रहता है। इनकी बाबू जैसी स्थितियां हैं। अधिकारी मावे को पकड़ते है और सैंपल लेकर छोड़ देते हैं।
फंड मिलने के बाद जल्द काम शुरू करेंगे
बता दें कि अतिरिक्त महाधिवक्ता ने कोर्ट के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि भोपाल में एक लैब संचालित है। इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर में लैब तैयार की जा रही है। भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण से मोबाइल लैब और लेबोरेट्री के लिए फंड मांगा है, जिसमें 40 वाहन और उनके उपकरण, लैब के लिए उपकरण का प्रस्ताव दिया है। फंड मिलने के बाद जल्द काम किया जाएगा।
जानें पूरा मामला, किसने, अब और क्यों दायर की थी याचिका
दरअसल उमेश कुमार बोहरे ने हाईकोर्ट में ग्वालियर चंबल संभाग में दूध, दही, पनीर, मावा में मिलावट के कारोबार को लेकर जनहित याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता का कहना था कि दोनों संभाग में नकली पनीर, घी, मावा तैयार किया जा रहा है। पूरे देश में इसकी आपूर्ति की जा रही है। इससे लोग बीमार पड़ रहे हैं, लेकिन प्रशासन मिलावट का कारोबार रोकने में नाकाम है। कोर्ट ने जनहित याचिका का दिशा निर्देशों के साथ जनहित याचिका का निराकरण कर दिया, लेकिन कोर्ट के आदेश के बाद मुख्य सचिव ने कोई कदम नहीं उठाए। इसके चलते अवमानना याचिका दायर की।