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इंट्रावास्कुलर अल्ट्रासाउंड (आइवीयूएस) तकनकी में नसों का आकलन करने के लिए ध्वनि तरंगों का उपयोग किया जाता है। यह उपकरण रक्त वाहिकाओं के अंदर से वास्तविक समय की छवियों को कैप्चर करता है।

(सचिन सिंह बैस) भोपाल। राजधानी के हमीदिया अस्पताल के हृदय रोग विभाग में मंगलवार को पहली बार इंट्रावास्कुलर अल्ट्रासाउंड (आइवीयूएस) गाइडेड एंजियोप्लास्टी हुई। इस तकनकीक से 42 वर्षीय मरीज की सर्जरी के दौरान स्टंट सही जगह लगा है और उसका साइज सही है। यह जानकारी तत्काल मिल रही थी। जिससे सर्जरी के सफल होने की संभावना कई गुना बढ़ गई। यह सर्जरी जीएमसी में ह्रदय रोग विभाग के डॉ. राजीव गुप्ता और डॉ. अजय शर्मा द्वारा की गई। हमीदिया अस्पताल से मिली जानकारी के अनुसार इस तकनीक के द्वारा एंजियोप्लास्टी करने में प्राइवेट अस्पतालों में लगभग तीन लाख का खर्चा आता है। वहीं हमीदिया अस्पताल में यह लगभग 10 हजार रुपए आया। आयुष्मान कार्ड धारकों के लिए यह फ्री रहता है।

क्या है इंट्रावास्कुलर अल्ट्रासाउंड
इंट्रावास्कुलर अल्ट्रासाउंड (आइवीयूएस) तकनकी में नसों का आकलन करने के लिए ध्वनि तरंगों का उपयोग किया जाता है। यह उपकरण रक्त वाहिकाओं के अंदर से वास्तविक समय की छवियों को कैप्चर करता है। जिससे नसों की तीन लेयर की स्थित, जमे कैलसियम, स्टंट सही जगह लगा है या नहीं और स्टंट आकार सही है या नहीं इस तरह की बारीकियों की जानकारी भी मिल जाती है। नरम ऊतकों इंट्रावास्कुलर अल्ट्रासाउंड अक्सर हृदय ( कोरोनरी धमनियों ) के पास धमनियों और नसों का मूल्यांकन करता है
डॉ. अजय शर्मा, प्रोफेसर, ह्रदय रोग विभाग, जीएमसी

आइवीयूएस के लाभ

  • कोरोनरी धमनियों की दीवारों को अंदर से देखा जा सकता है।
  • प्लाक बिल्डअप की मात्रा और प्रकार के बारे में जानकारी मिलती है।
  • इससे यह पता चलता है कि बीमारी है या नहीं, और दिल का दौरा पड़ने का खतरा है या नहीं।
  • मरीज़ के इलाज और स्टेंट लगाने की सही जगह के बारे में पता चलता है।
  • इससे जटिलताओं को कम करने में मदद मिलती।
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