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Lok Sabha Election 2024: मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव के लिए पार्टियां रणनीति बनाने में जुट गई हैं। एक तरफ मोहन यादव ने पदाधिकारियों और मंत्रिमंडल के साथ बैठक की, तो दूसरी ओर कांग्रेस ने कार्यकारिणी ही भंग कर दी। एक विश्लेषण-

लेखक: दिनेश निगम ‘त्यागी’, विशेष संवाददाता, हरिभूमि भोपाल 

भोपाल। विधानसभा चुनाव से निबटने के साथ भाजपा-कांग्रेस (BJP-CONGRESS) ने लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) के लिए कमर कस ली है। भाजपा (BJP) ने जीत के जश्न के साथ चुनाव की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। दूसरी तरफ कांग्रेस (Congress) हार की पीड़ा से उबर कर आगे बढ़ रही है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मंत्रिमंडल की पहली बैठक में ही सभी मंत्रियों को लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखकर काम करने का निर्देश दिया तो भाजपा पदाधिकारियों की बैठक में भी चुनाव की रणनीति पर चर्चा हुई है। कांग्रेस ने भी पहले नेतृत्व बदला। अब प्रदेश प्रभारी भंवर जितेंद्र सिंह ने पार्टी की बैठक में शिकायतें मिलने के बाद प्रदेश कार्यकारिणी भंग कर दी। उन्होंने भरोसा दिलाया है कि लोकसभा चुनाव के टिकट जल्दी घोषित होंगे और कोशिश की जाएगी की सभी बड़े नेता लोकसभा का चुनाव लड़ें। कांग्रेस की तैयारी का ही नतीजा है कि चरण सिंह सपरा को अभी से लोकसभा चुनाव के लिए मप्र का कोऑर्डिनेटर बना दिया है।

बंपर जीत के बाद लोकसभा चुनाव की चिंता
मंत्रिमंडल विस्तार के बाद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कैबिनेट की पहली बैठक बुलाई तो उम्मीद थी कि कोई धमाकेदार फैसला होगा। ऐसा करने की बजाय लोकसभा चुनाव को लेकर चिंता की गई। मुख्यमंत्री यादव ने कहा कि लोकसभा चुनाव में अब ज्यादा समय नहीं है। इसीलिए सभी को इसे ध्यान में रखकर ही सक्रियता बढ़ानी है। हमारी कोशिश होना चाहिए की सभी 29 लोकसभा सीटें भाजपा की झोली में आएं। इसके लिए जो जरूरत पड़े, किया जाए। साफ है कि मुख्यमंत्री को विधानसभा चुनाव में बंपर जीत और पार्टी की सरकार बनने से भी ज्यादा चिंता लोकसभा चुनाव की है। ये नतीजे सरकार पर असर डाल सकते हैं।

जीत के उत्साह में घर न बैठने की नसीहत
मुख्यमंत्री डॉ. यादव और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा की मौजूदगी में हुई पार्टी पदाधिकारियों की बैठक में विधानसभा चुनाव में बंपर जीत के लिए सभी की पीठ थपथपाई गई। इसके साथ नसीहत दी गई कि जीत के जश्न में घर बैठने की जरूरत नहीं है। लोकसभा चुनाव ज्यादा दूर नहीं हैं, इसलिए सभी को पहले की तरह सक्रिय रहना है। बैठक में विकसित भारत संकल्प यात्रा में बढ़ चढ़-कर हिस्सा लेने के निर्देश देते हुए कहा कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को केंद्र एवं राज्य की योजनाओं से अवगत कराएं। यह भी कोशिश करें कि अधिकांश पात्र लोगों को सरकार की योजनाओं का लाभ मिले। इस तरह भाजपा सरकार के मंत्रिमंडल और संगठन ने लोकसभा चुनाव की तैयारी में झोंकने का निर्णय ले लिया।

कांग्रेस कर रही पार्टी में जान फूंकने की कोशिश
कांग्रेस हाईकमान को विधानसभा चुनाव में पार्टी की पराजय से कार्यकर्ताओं में निराशा का अहसास है। संभवत: इसीलिए इस बार उसने लीक से हटकर तत्काल निर्णय लिए। कमलनाथ और दिग्वजय सिंह जैसे बुजुर्ग नेताओं को दरकिनार कर पार्टी की बागडोर युवा नेतृत्व के हाथों में सौंप दी। जीतू पटवारी को प्रदेश अध्यक्ष, उमंग सिंघार को नेता प्रतिपक्ष और हेमंत कटारे को उप नेता प्रतिपक्ष बना दिया। रणदीप सुरजेवाला को भी प्रदेश प्रभारी के दायित्व से मुक्त कर भंवर जितेंद्र सिंह को यह जवाबदारी सौंप दी। जीतू पटवारी ने कार्यकर्ताओं में जोश भरने के लिए ताबड़तोड़ बैठकें शुरू की और जितेंद्र सिंह भी दायित्व मिलते ही भोपाल आ गए। जितेंद्र ने कार्यकर्ताओं की शिकायत मिलने के बाद प्रदेश कार्यकारिणी भंग कर दी। पार्टी की मांग पर उन्होंने यह भी कहा कि लोकसभा चुनाव के लिए जल्दी टिकट घोषित करने की कोशिश होगी और ज्यादातर बड़े नेताओं को चुनाव लड़ाया जाएगा।

राहुल गांधी के सीधे कंट्रोल में प्रदेश कांग्रेस
कमलनाथ के रहते राहुल गांधी मप्र में ज्यादा हस्तक्षेप नहीं कर पाते थे लेकिन अब उन्होंने सारे सूत्र अपने हाथ में ले लिए हैं। लोकसभा चुनाव के लिए  कोऑर्डिनेटर  की नियुक्त कर दी गई है। चरण सिंह सपरा को मप्र की जवाबदारी सौंपी गई है। इससे पहले राहुल ने प्रदेश कांग्रेस की कमान अपने कैंप के युवा नेताओं को ही सौंपी है।  जीतू, उमंग और हेमंत उनके कैम्प से ही हैं। राहुल से जुड़े प्रदेश के आदिवासी विधायक ओंकार सिंह मरकाम को लोकसभा चुनाव के लिए गठित घोषणा पत्र समिति में रखा गया है। इस तरह राहुल अब लोकसभा चुनाव तक प्रदेश कांग्रेस की हर गतिविधि पर नजर रखेंगे। प्रदेश कांग्रेस उनके कंट्रोल में होगी।

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