जबलपुर। पाकिस्तान और चीन बॉर्डर पर बर्फबारी के बीच अब भारतीन सेना के जवानों की पेट्रोलिंग आसान हो जाएगी। सेना और अर्द्धसैनिक बलों को स्वदेशी सिक्स बाई सिक्स माइन प्रोटेक्टेड व्हीकल और बख्तरबंद सैन्य वाहन टाइफून देने की दिशा में परीक्षण सफल हुआ है। दोनों वाहन जम्मू कश्मीर, लद्दाख समेत हिमालीय दुर्गम क्षेत्रों में माइनस 20 डिग्री तापमान और बर्फबारी के बीच आसानी से मूवमेंट कर पाएंगे। खास यह कि दोनों सैन्य वाहवों को वीकल फैक्ट्री जबलपुर ने विकसित किया है।
प्रमाण भी एकत्रित किए गए
इन वाहनों को करगिल, द्रास सेक्टर सहित उन बर्फीले इलाकों में दौड़ाया गया जहां तापमान माइनस 20 डिग्री तक रहता है। खास बात यह रही कि यह दोनों ही वाहन मापदंडों में खरे उतरे हैं। इसका मकसद 18 हजार फीट जैसे ऊंचाई वाले क्षेत्रों, शून्य से नीचे तापमान और कम ऑक्सीजन वाले वातावरण में क्षमता का आकलन करना था। इसके प्रमाण भी एकत्रित किए गए।
अधिकारियों ने वाहनों की खूबियां बताईं
जम्मू एंड कश्मीर से लौटने पर इन दोनों वाहनों की प्रदर्शनी म्यूनिशंस हाउस में लगाई गई। यहां सेना के साथ बीएसएफ, सीआरपीएम, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के अलावा रक्षा मंत्रालय से जुड़े विभागों के अधिकारी शामिल हुए। अधिकारियों ने इन वाहनों की खूबियां बताईं। साथ ही जो सुविधाएं सैन्य बलों कों चाहिए, उसे भी नोट किया गया। रन ट्रायल में न केवल वीकल फैक्ट्री के विशेषज्ञों के साथ रसियन इंजीनियर भी साथ थे।
अलग-अलग स्थानों पर किया गया प्रदर्शन
वीएफजे ने मॉडिफाइड माइन प्रोटेक्टेड व्हीकल के अलावा सिक्स बाइ सिक्स माइन प्रोटेक्टिड वीकल (एमपीवी) बनाया है। इसके दो प्रोटोटाइप को तैयार किया गया है। अलग-अलग स्थानों पर प्रदर्शन भी किया गया लेकिन यह पहला मौका था जब बर्फीले क्षेत्रों में इन्हें दौड़ाया गया।
क्या है दोनों वाहनों की खासियत
टाइफून ट्रक
- रसियन कंपनी का वाहन प्रोटेक्टेड मोबिलिटी व्हीकल स्टैंडर्ड (पीएमवीएस) है।
- यह वाहन चेचिस पर बना।
- एक घंटे में 100 किमी की दूरी तय करने की क्षमता।
- पूरी तरह बुलेटप्रूफ।
- टायर के अलावा फ्यूल टैंक में गोलीबारी का असर नहीं।
- 10 सैनिक बैठने की क्षमता।
सिक्स बाइ सिक्स एमपीवी
- छह पहिए, सभी पहिए स्टेयरिंग से जुड़े।
- 260 एचपी का हैवी इंजन लगाया गया।
- कई किलो बारूद के विस्फोट को सहन करने में सक्षम।
- बुलेटप्रूफ होने के कारण गोलीबारी का असर नहीं।
- एक साथ 15 से ज्यादा सैनिक बैठ सकेंगे।