Parvati Kalisindh Chambal Project: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में मंगलवार(17 दिसंबर) को पार्वती-कालीसिंध-चंबल (PKC) नदी लिंकिंग परियोजना की शुरुआत हुई। जयपुर में मध्य प्रदेश, राजस्थान और केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय के बीच त्रिस्तरीय एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए। इस परियोजना से दोनों राज्यों में पानी की समस्या का समाधान होगा। 72 हजार करोड़ रुपए की लागत वाली इस परियोजना का मकसद सिंचाई, पेयजल और औद्योगिक जल आपूर्ति को सुनिश्चित करना है।
बहुप्रतीक्षित पार्वती-कालसिंध-चंबल (PKC) और पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ERCP) का शिलान्यास होने से राजस्थान और मध्य प्रदेश के बीच जल विवाद का समाधान होने की बात कही जा रही है। 20 साल पुराने इस मुद्दे को सुलझाकर पीएम मोदी ने दोनों राज्यों के लिए जल संकट से राहत का वादा किया।
दो दशकों पुराना जल विवाद खत्म
जयपुर के कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव और राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा भी मौजूद रहे। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कहा कि यह जल समाधान पीएम मोदी के प्रयासों से संभव हुआ है। 20 साल पुराने इस जल विवाद को सुलझाने में देरी के लिए उन्होंने कांग्रेस सरकारों को जिम्मेदार ठहराया। इस परियोजना से राजस्थान के 21 जिलों को पानी मिलेगा और 2.5 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होगी।
मोदी की गारंटी: घर-घर तक पहुंचेगा पानी
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह मेरी गारंटी है कि राजस्थान के हर घर तक पानी पहुंचेगा। पीएम मोदी ने कहा कि यह परियोजना ऐतिहासिक है। यह न सिर्फ पेयजल बल्कि किसानों की सिंचाई जरूरतों को भी पूरा करेगी। मोदी ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों की 46 हजार करोड़ से ज्यादा योजनाएं भी इसी कार्यक्रम में जनता को समर्पित की गई हैं।
भैरोंसिंह शेखावत को किया याद
अपने भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत को याद किया। पीएम मोदी ने कहा कि जब मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था, तब बिना किसी विवाद के नर्मदा का पानी राजस्थान को दिया था। पीएम मोदी ने कहा कि राजस्थान के विकास को हमेशा प्राथमिकता दी जाएगी।
पेपर लीक मामले में कांग्रेस पर हमला
मोदी ने कांग्रेस पर पेपर लीक को लेकर भी निशाना साधा। पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस के शासन में पेपर लीक राजस्थान की पहचान बन गया था, जिससे युवाओं को नौकरियों से वंचित रहना पड़ा। पीएम मोदी ने भजनलाल सरकार की तारीफ करते हुए कहा कि भाजपा के आने के बाद हालात बदल रहे हैं। पेट्रोल-डीजल की कीमतों में भी राहत दी जा रही है।
PKC-ERCP: क्या है ये परियोजना?
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के कार्यकाल में 2017 में PKC-ERCP का प्रारूप तैयार किया गया था। यह परियोजना पार्वती, चंबल और कालीसिंध नदियों को जोड़ने का काम करेगी। इसके तहत जयपुर, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, अलवर, भरतपुर और धौलपुर समेत 21 जिलों को जल संकट से राहत मिलेगी। परियोजना के जरिए सिंचाई के साथ-साथ पेयजल की सुविधा भी सुनिश्चित होगी।
सिंचाई और पेयजल का होगा समाधान
PKC परियोजना से मध्य प्रदेश के 11 जिलों में 6 लाख 13 हजार हेक्टेयर भूमि की सिंचाई संभव होगी। इन जिलों में गुना, शिवपुरी, सीहोर, देवास, उज्जैन, राजगढ़, आगर-मालवा, शाजापुर, इंदौर, मंदसौर और मुरैना शामिल हैं। साथ ही, ग्रामीण क्षेत्रों में पीने के लिए पानी उपलब्ध कराया जाएगा। राजस्थान में भी सिंचाई और पेयजल के लिए इस परियोजना से मदद मिलेगी। किसानों को बेहतर जल आपूर्ति मिलने से कृषि क्षेत्र में सुधार होगा।
21 बांध और बैराज बनाए जाएंगे
परियोजना के तहत कुल 21 बांध और बैराज बनाए जाएंगे। इनमें श्रीमंत माधवराव सिंधिया सिंचाई कॉम्प्लेक्स में 4 बड़े बांध और 2 बैराज, कुम्भराज कॉम्प्लेक्स में 2 बांध और रणजीत सागर क्षेत्र में 7 बांध शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, चंबल, क्षिप्रा और गंभीर नदियों पर छोटे बांधों का निर्माण भी होगा। इन संरचनाओं की कुल जल भंडारण क्षमता 1908.83 घन मीटर होगी। 172 मिलियन घन मीटर पानी पीने और औद्योगिक जरूरतों के लिए रिजर्व रखा जाएगा।
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एमपी के सीएम मोहन यादव ने की प्रोजेक्ट की तारीफ
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि यह परियोजना किसानों और नागरिकों के लिए वरदान साबित होगी। किसानों को पर्याप्त सिंचाई का पानी मिलेगा, जिससे कृषि उत्पादन में बढ़ोतरी होगी। साथ ही, औद्योगिक क्षेत्रों को भी पानी की आपूर्ति की जाएगी। परियोजना से दोनों राज्यों के बीच सहयोग बढ़ेगा और जल संकट के स्थायी समाधान की दिशा में यह मील का पत्थर साबित होगी।
5 साल में पूरा होगा परियोजना का काम
इस विशाल परियोजना को केंद्र सरकार के सहयोग से पांच साल में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। परियोजना की कुल लागत का 90% हिस्सा केंद्र सरकार और 10% हिस्सा मध्य प्रदेश और राजस्थान की सरकारें साझा करेंगी। इस दौरान चंबल दाईं मुख्य नहर (CRMC) और उसके सिस्टम का आधुनिकीकरण भी किया जाएगा। इससे श्योपुर, मुरैना और भिंड जिलों को सिंचाई और पेयजल की बेहतर सुविधा मिलेगी।