भोपाल। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने राजधानी भोपाल में बुधवार को EVM को लेकर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। EVM से जुड़े कई सवाल किए और लाइव डेमो के जरिए वोटिंग गड़बड़ी का आरोप लगाया। डेमो में दिखाया कि वोट किसी को दिया गया और गया किसी और को। दिग्विजय सिंह ने कहा कि 2003 में EVM से चुनाव शुरू हुआ। तब कर्मचारियों में नाराजगी थी। बटन दबाओ, वोट कहां चला जाता है पता नहीं लगता। अधिकार लोगों का संवैधानिक है। आखिर लोगों को पता लगना चाहिए कि वोट कहां जा रहा है। दिग्विजय ने कहा कि लाल कृष्ण आडवाणी से लेकर कई नेताओं ने इस पर अविश्वास जताया था। चर्चा हुई तो वीवीपैट मशीन आई।
सबका मालिक अब सॉफ्टवेयर निर्माता है
दिग्विजय सिंह ने कहा कि ईवीएम का सारा काम प्राइवेट लोगों के हाथ मे है। जब सॉफ्टवेयर ही सब करता है तो वही सॉफ्टवेयर तय करेगा सरकार किसकी बनेगी। 140 करोड़ के देश मे जहां 90 करोड़ मतदाता हैं तो क्या हम ऐसे लोगों के हाथ मे ये सब तय करने का अधिकार दे दें। पूरे इलेक्शन प्रोसेस का मालिक न मतदाता है, न अधिकारी-कर्मचारी हैं। इसका मालिक सॉफ्टवेयर बनाने और डालने वाला है। सॉफ्टवेयर कौन डाल रहा है इसकी कोई जानकारी नहीं है। सॉफ्टवेयर बनाने वाला डालने वाला और सॉफ्टवेयर ही तय करेगा की सरकार किसकी बनेगी। इन सबका मालिक अब सॉफ्टवेयर निर्माता है।
कई बार मेरी बात पर लोग भरोसा नहीं करते
दिग्विजय सिंह ने कहा, मैंने मुख्यमंत्री काल में टीएन सेशन साहब का जमाना देखा है। हम लोग कुछ कह दें तो ईसीआई नोटिस दे देता है। नरेंद्र मोदी कर्नाटक में कहें कि बजरंग बली की जय बोलो और कमल का बटन दबाओ तो उनके खिलाफ कोई एक्शन नहीं होता। दिग्विजय सिंह ने कहा, कई बार मेरी बात पर आप लोग और मेरी पार्टी भी भरोसा नहीं करती है।
चुनाव आयोग निष्पक्ष नहीं, दबाव में है
दिग्विजय सिंह ने कहा कि मेरा आरोप है कि चुनाव आयोग निष्पक्ष नहीं है दबाव में है। चुनाव आयोग से हम निष्पक्षता की उम्मीद करते हैं। हमें ईवीएम के वीवीपैट पर भरोसा नहीं, चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर भरोसा नहीं। केवल सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा है। 2024 के बाद लोकतंत्र नहीं रहेगा। हम चाहेंगे कि चुनाव बैलेट पेपर से हों। अगर चुनाव आयोग को ईवीएम से इतना ही प्रेम है तो वीवीपैट की पर्ची वोटर के हाथ में दे। वे कहते हैं कि बहुत टाइम लगेगा। अगर 5 साल के लिए सरकार तय करने के लिए 24-48 घंटे का समय भी नहीं दे सकते, हमसे हफ्ते भर ईवीएम की रखवाली कराते हैं, तो ईमानदारी से वोटिंग और काउंटिंग क्यों न हो।
डेमो में दिखाया किस तरह की जा रही ईवीएम में गड़बड़ी
प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिग्विजय सिंह के साथ आईआईटी दिल्ली के अतुल पटेल भी थे। अतुल ने पूरी मतदान प्रक्रिया का डेमो दिखाया। एप्पल, बनाना और तरबूज को सिंबल बनाया। जिसमें लाइव डेमो के जरिए वोटिंग गड़बड़ी को बताया गया। डेमो में दिखाया कि वोट डाला किसी को और गया किसी और को। एक ईवीएम में 10 वोट डाले गए।अतुल ने बताया कि 2017 में वीवीपैट का ग्लास बदल दिया गया था। वोट डालने के बाद 7 सेकेंड के लिए वीवीपैट में लाइट जलती है। वोटर पर्ची देखकर चला जाता है।
तरबूज पर डाले दो वोट, एक में सेब की पर्टी निकली
अतुल पटेल ने मशीन की गड़बड़ी को दिखाने के लिए एक चिह्न तरबूज को दो वोट डाले। पहला तरबूज की पर्ची वीवीपीएटी में दिखी। दूसरा वोट तरबूज का बटन दबाने के बावजूद सेब की पर्ची प्रिंट हुई। अतुल ने कहा, 2013 से चुनावी प्रक्रिया पर बारीकी से नजर रख रहे हैं। हम बैलेट पेपर से वोटिंग की लड़ाई लड़ रहे हैं। पटेल ने दावा किया कि मशीन के अंदर क्या होता है यह मतदाता को नहीं पता होता है। अतुल पटेल ने कहा कि मैं गुजरात से हूं और इस जादू को पूरी दुनिया से वाकिफ कराऊंगा। जो वोटिंग में एक पार्टी उपयोग कर रही है।
लाेगों ने सवाल पूछे तो अलग-अलग जवाब मिले
दिग्विजय ने आस्ट्रेलिया का जिक्र करते हुए चुनाव आयोग पर सवाल उठाए हैं। दिग्विजय ने कहा, आस्ट्रेलिया की तर्ज पर वीवी पैड पब्लिक डोमेन में क्यों नहीं डालते। आज विश्व में 5 देश ऐसे हैं, जहां EVM से वोट डाला जाता है। यहां सॉफ्टवेयर पब्लिक डोमेन में है। हमारे यहां 2003 से ही ऐसा नहीं है। इन सभी में पारदर्शिता होनी चाहिए। दिग्विजय ने कहा कि लोगों ने आरटीआई लगाकर सवाल भी पूछे? मगर सभी लोगों ने अलग-अलग जवाब दिए। दिग्विजय बोले, जब चुनाव आयोग से बोला गया तो कहा सॉफ्टवेयर को पब्लिक डोमेन में नहीं रख सकते क्योंकि इसका दुरुपयोग हो सकता है। ये तो और भी खतरनाक है कि चुनाव आयोग मानता है इसका दुरुपयोग हो सकता है।