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एम्स के बाल चिकित्सा नेफ्रोलॉजी और उच्च रक्तचाप विभाग के डॉ. गिरीश सी. भट्ट ने कनाडाई रिसर्च किया। जिसमें बताया कि मोटापे से ग्रसित बच्चों में वयस्क होने पर हृदय संबंधी खतरा 2 से 3 गुना बढ़ जाता है। 

AIIMS Bhopal: आजकल खेल-कूद से दूरी और तेली व फास्ट फूड से बच्चों में बहुत तेजी के साथ मोटापा बढ़ रहा है। ऐसे 43 फीसदी बच्चों में हाइपरटेंशन की समस्या देखे को मिल रही है। जो आगे चलकर उनमें दिल से जुड़ी समस्या की संभावना को 2 से 3 गुना तक बढ़ा देता है।

हृदय संबंधी बीमारी का 2 से 3 गुना असर
एम्स भोपाल ने रिसर्च करते हुए यह खुलासा किया है। जिसे अमेरिकन जर्नल ऑफ हाइपरटेंशन में भी प्रकाशित किया गया। एम्स के बाल चिकित्सा नेफ्रोलॉजी और उच्च रक्तचाप विभाग के डॉ. गिरीश सी. भट्ट ने कनाडाई रिसर्च का अध्ययन करने के बाद कहा कि ऐसे बच्चों में वयस्क होने पर हृदय संबंधी खतरा 2 से 3 गुना बढ़ जाता है। 

स्कूल में ही जांच कराना जरूरी
हृदय संबंधी रुग्णता और मृत्यु दर को कम करने के लिए बचपन में प्रारंभिक पहचान जरूरी है। संस्थान के निदेशक डॉ. अजय सिंह ने बताया कि बच्चों का समय-समय पर उच्च रक्तचाप के लिए मूल्यांकन किया जाना चाहिए। स्कूल इन जांचों के लिए आदर्श स्थान हैं।

60 बच्चों पर की रिसर्च, तीन स्टेज में बीपी को किया मॉनिटर 
अध्ययन के लिए 60 मोटे बच्चों का चयन किया गया। जिसमें तीन स्टेज में बीपी को मॉनिटर किया गया। पहले बच्चे का बीपी सामान्य रूप से अस्पताल में देखा गया। इसके बाद घर पर जांच की गई। अंत में एबीपीएम (एंबुलेटरी रक्तचाप की निगरानी) जांच हुई। जिसमें एक छोटी डिवाइस बच्चों के हाथ में बेल्ट से बांध दी जाती है। यह डिवाइस 24 घंटे तक लगातार बीपी मॉनिटर करती रहती है। अध्ययन के दूसरे भाग में हाई बीपी व समान्य बच्चों के दिल व अन्य अंगों की भी जांच की गई। जिससे कई चौकाने वाली बात सामने आई।

रिसर्च में हुआ खुलासा

  • कुल मोटे बच्चों में से 43 फीसदी हाई बीपी यानी हाइपरटेशन से ग्रसित थे। इनमें से 22 फीसदी में छुपा हुआ उच्च रक्त चाप देखा गया।
  • हाइपरटेंशन से ग्रसित बच्चों में से 25 फीसदी ऐसे थे, जिनके दिल पर बुरे प्रभाव पड़े हैं।
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