आनंद सक्सेना, भोपाल: भोपाल जिला प्रशासन द्वारा भिक्षा मांगने और देने पर दो दिन पहले लगाई रोक के बाद एक मात्र बनाए गए आश्रय स्थल को भिक्षुओं का इंतजार है। नगर निगम के द्वारा कोलार में बनाए गए आश्रय स्थल में दूसरे दिन भी भिक्षु नहीं टिके और आंख बचाकर भाग गए। जिला प्रशासन द्वारा बनाई गईं 6 टीम पहले दिन 7 भिक्षुओं को पकड़कर लाई थीं, जबकि दूसरे दिन गुरुवार को 3 भिक्षु सुबह लाए गए, लेकिन वो भी दीन दयाल रसोई में खाना खाकर भाग गए। आश्रय स्थल के कर्मचारी उन्हें ढूंढने गए, लेकिन एक भी नहीं मिला।

भोपाल में वैसे तो धार्मिक स्थलों की संख्या 8 हजार से ज्यादा है, लेकिन 18 धार्मिक स्थल ऐसे हैं, जहां भिक्षुओं की संख्या और कमाई दोनों ही सबसे ज्यादा है। यहां परिवार के परिवार करीब 35 साल से भीख मांग रहे हैं, इसलिए मंदिरों पर इनका डेरा भी जमा रहता है। इसके बाद भी जिला प्रशासन की टीमों को यह दिखाई नहीं दे रहे हैं। इन टीमों के अनुसार भिक्षुओं को चौराहे पर ढूंढा जा रहा है, अब कल से मंदिरों पर भी तलाश करेंगे। जबकि हकीकत यह है कि टीम सिर्फ कुछ ही चौराहों पर ही अभी तक भिक्षुओं की तलाश हुई है।

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पूरा परिवार मांगता है भिक्षा
भिक्षा देने वाले भी 5 या 10 रुपए के अलावा 50 या 100 रुपए तक दे जाते हैं। 1100 क्वाटर स्थित धार्मिक स्थल पर बैठे भिक्षुओं के अनुसार वो एक ही बस्ती में रहते हैं और पूरा परिवार ही भिक्षा लेने के लिए यहां बैठता है। घर में भोजन बनाने की जरूरत नहीं और कपड़े भी भरपूर मिल जाते हैं। कुछ सरकारी लोगों ने जानकारी ली थी, जिनसे बोल दिया कि हम तो यहीं ठीक हैं। क्योंकि आश्रय स्थल में सिर्फ खाना और रहना फ्री है।  

कई जगह घटती बढ़ती है संख्या
यही हालत छोला और मरघटिया धार्मिक स्थल की हैए जहां पूरा परिवार ही भिक्षा मांगने बैठा मिला। गुफा मंदिर और बिरला मंदिर के बाहर रोजाना भिक्षुओं की संख्या घटती बढ़ती रहती है। इन दो धार्मिक स्थलों पर भिक्षा देने वाले भी उन्हीं से सिक्के लेकर वहीं भिक्षा में दे देते हैंए जबकि नोट देने वालों की संख्या भी अच्छी है।

भिक्षुओं का आश्रय स्थल लाना शुरू हो गया 
नगर निगम भोपाल के अपर आयुक्त रणवीर सिंह ने बताया कि नगर निगम ने आश्रय स्थल पर भिक्षुओं को लाना शुरू कर दिया है। इन पर निगाह भी रखी जा रही है कि वो रुके रहें।