National Smile Day : हर रोज कई परेशानियों के चलते लोग अपने चेहरे की स्माइल को भुला देते हैं, जिसके पीछे कई कारण हैं, जैसे किसी को नौकरी, तो किसी को शादी, किसी को परिवार की चिंता, कहीं किसी को प्रेम का दुख, तो किसी को जिंदगी की आजादी आदि कारणों के चलते चेहरे की स्माइल को खत्म कर दिया। आज छोटी-छोटी चिंता लोगों के दुख का बड़ा कारण बन गई हैं। जैसे बच्चों के लिए अच्छे नंबर और युवाओं के लिए रोजगार, लोग मुस्कुराना ही भूल गए हैं।

शुक्रवार को नेशनल स्माइल-डे पर हरिभूमि ने कुछ विशेषज्ञों से बात की और जाना कि स्माइल चेहरे की शान होती और उसे हर वक्त कैसे बनाए रखा जा सकता है। नेशनल स्माइल-डे पर हरिभूमि ने कुछ विशेषज्ञों से बात की और जाना कि चेहरे पर स्माइल कैसे बनाए रखें।

आई-टेढ़े दांतों से नहीं घबराना 
डेंटिस्ट डॉ मोहसिन खान ने बताया कि कई लोग आड़े-टेड़े दांत होने के कारण अपने चेहरे पर स्माइल नहीं रखते, उन्हें लगता है कि वो हंसते हुए अच्छे नहीं लगेगे। आज कई तरह की ट्रीटमेंट मौजूद हैं। उनके चेहरे पर स्माइल लाने के लिए डेंटिस्टों के जरिए कॉस्टमेटिक ट्रीटमेंट किया जाता है। ऐसे लोगों से में यही कहूंगा कि आहे-टेड़े दांतों से नहीं घबराना है. स्माइल चेहरे पर लाना है. इसके अलावा। दांतों को साफ साफ करना आदि प्रकार के इलाज किए जा जाते हैं। आज दांतों के कारण दुखी रहने की जरूरत चांदा अच्छे नहीं है. दांतों के जरिए स्माइल में लग जाते हैं चार दांत दिखाते हुए आप जब स्माइल करते हैं, तो लोगों को अच्छा लगता है. साथ हि आत्मविश्वास भी बढ़ता है।

स्माइल एक इमोशन है अंदर से खुश होते हैं तो
ईगो प्रॉब्लम से स्माइल नहीं करते लोग शहर की जानी मानी मनोवैज्ञानिक डॉ. सीमा भट्टाचार्य ने बताया कि आज इनो प्रॉब्लम के कारण लोग स्माइल नहीं करते। उन्हें लगता है किसी को देखकर हम पहले क्यों हंसे. ये परेशानी यादों लोगों में बढ़ती जा रही है। स्माइल एक इमोशन है. अंदर से खुश होते हैं तो अपने आप चेहरे पर स्माइल आती है। अगर कोई स्माइल नहीं कर रहा है तो वो अंदर से दुखी है या अवसाद है। उसके अंदर, तनाव के कारण भी चेहरे पर स्माइल नहीं आती है।

लोगों को अंदर से हंसाती हैं कविताएं
राजधानी के हास्य कवि मनीष श्रीवास्तव बादल ने बताया कि कविताएं लोगों को अंदर से हंसाने का काम करती हैं। किसी भी शायरी और गजल को सुनकर मन के अंदर से जो चेहरे पर स्माइल आती है. वो बनावटी नहीं होती, यही हास्य की ताकत है। स्माइल डे के मौके पर उन्होंने चंद लाइनों से लोगों को स्माइल के लिए प्रेरित किया। पूनम की है चांदनी, कमी अमावस रात, हंसते रहिए साथियों, कुछ भी हो हालात. इन लाइनों से लोगों को स्माइल करने के लिए प्रेरित किया।

छोटी-छोटी चीजों में खुशियां रहना चाहिए
मनोवैज्ञानिक डॉ. पुनीत चंद्रा ने बताया, अपनी इच्छाओं को पूरा करने से जो चेहरे पर स्माइल आती है, वही असली स्माइल होती है। सपनों को पूरा करने की खुशी ही स्माइल देते हैं, लेकिन इंसान को छोटी-छोटी चीजों में खुशियों को ढूंढना चाहिए। जैसे कि कमी ऑफिस से जल्दी घर चले जाएं तो खुश हो जाएं, टाइम पर खाना खा ले तो खुश हो जाएं। ऐसे ही छोटी- छोटी चीजों को लेकर खुश रहने से स्माइल चेहरे पर बनी रहती है। मुझे एक्टिंग करने का रोक है, तो में डॉक्टर होने के बाद थिएटर भी करता हूं जिससे मुझे खुशी मिलती है।