MP Teacher recruitment rules: मध्य प्रदेश में 2018 में शिक्षकों की नियुक्ति नियम विरुद्ध तरीके से की गई है। जबलपुर हाईकोर्ट ने गुरुवार (23 जनवरी) को मामले में सुनवाई करते हुए भर्ती नियमों में बदलाव के निर्देश दिए हैं। कहा, शिक्षक भर्ती में डिवीजन नहीं बल्कि, अंकों को प्राथामिकता दी जाए। 

जबलपुर हाईकोर्ट के सीनियर अधिवक्ता रामेश्वर ठाकुर ने बताया कि 2018 में हुई शिक्षक भर्ती में कुछ ऐसे अभ्यर्थियों को नियुक्ति दे दी गई है, जिन्हें 50 फीसदी से कम अंक मिले हैं। तृतीय श्रेणी पास ऐसे अभ्यर्थियों को अपात्र बता दिया गया है। सरकार के इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। 

हाईकोर्ट में दायर की गईं 12 याचिकाएं
मध्य प्रदेश शिक्षक भर्ती-2018 में हुई नियमों की अनेदखी को लेकर हाईकोर्ट में अलग अलग 12 याचिकाएं दायर की गईं थीं। कोर्ट ने सभी याचिकों पर एक साथ सुनवाई कर रही है।

शिक्षक भर्ती में NCTE के नियमों के अनदेखी
कोर्ट ने बताया कि भर्ती प्रक्रिया में राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद (NCTE) के नियमों के अनदेखी हुई है। इसे लेकर पहले भी नियमों में संशोधन के लिए मध्य प्रदेश सरकार को आदेशित किया था, लेकिन सरकार ने अब ऐसा नहीं किया। 

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भर्ती नियमों में संशोधन के लिए कमेटी गठित
जबलपुर हाईकोर्ट में 22 जनवरी को हुई सुनवाई में महा अधिवक्ता ने राज्य सरकार का पक्ष रखा। उन्होंने बताया कि भर्ती नियमों में संशोधन के लिए कमेटी गठित कर दी गई है। एक दो दिन में इसका ड्राफ्ट तैयार कर कैबिनेट के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। 

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आरक्षण नियमों का हो पालन 
अधिवक्ता रामेश्वर ठाकुर ने बताया कि हाईकोर्ट ने शिक्षक भर्ती में एससी एसटी और ओबीसी आरक्षण नियमों का पालन करने के भी निर्देश दिए हैं। मध्य प्रदेश में होने वाली सभी सरकारी नियुक्तियों में अन्य पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों को 27 फीसदी आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा रहा है। ओबीसी कोटे के 13 फीसदी पद होल्ड किए जा रहे हैं। इससे हर साल हजारों ओबीसी अभ्यर्थी सरकारी नौकारी से वंचित हो रहे हैं।