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MP Tehsildar Strike: जबलपुर में जमीन धोखाधड़ी का केस दर्ज होने के बाद MP के 1400 तहसीलदार अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। हड़ताल के कारण 52 विभागों का काम-काम ठप हो गया है। 

MP Tehsildar Strike: जबलपुर में तहसीलदार, पटवारी सहित 7 लोगों पर जमीन धोखाधड़ी का केस दर्ज होने के बाद MP के तहसीलदारों ने मोर्चा खोल दिया है। 1400 से ज्यादा तहसीलदार, नायब तहसीलदार और एसएलआर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। राजस्व अधिकारियों के हड़ताल पर चले जाने से MP के 52 विभागों का काम-काम ठप हो गया है। राजस्व के नामांतरण, बंटवारा, ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र और नक्शा तरमीम जैसे अहम काम के लिए लोग भटक रहे हैं।

कैसे हुआ जमीन घोटाला?
जबलपुर के रैगवा गांव में महावीर पांडे के नाम पर एक हेक्टेयर जमीन थी। महावीर की मौत के बाद यह जमीन उनके पुत्र शिवचरण पांडे के नाम पर दर्ज होनी थी। आधारताल तहसील में तैनात कंप्यूटर ऑपरेटर दीपा दुबे ने नकली वसीयत बनाकर जमीन अपने पिता श्याम नारायण दुबे के नाम ट्रांसफर करवा दी। मामले का पता चलने के बाद शिवचरण पांडेय ने धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज कराई।  

तहसीलदारों की गिरफ्तारी पर विरोध
12 सितंबर को इस घोटाले में तहसीलदार हरी सिंह धुर्वे और छह अन्य लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई और तहसीलदार को गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तारी के विरोध में सभी तहसीलदार और नायब तहसीलदार अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। उनका कहना है कि जब तक हरी सिंह धुर्वे के खिलाफ दर्ज एफआईआर वापस नहीं ली जाती, वे काम पर वापस नहीं लौटेंगे।

गुलाब सिंह बघेल का बयान
मध्य प्रदेश राजस्व अधिकारी संघ के अध्यक्ष गुलाब सिंह बघेल का कहना है कि हरी सिंह धुर्वे ने 8 अगस्त 2023 को वसीयत के आधार पर जमीन हस्तांतरण का आदेश दिया था, जिसे 9 सितंबर को एसडीएम ने रद्द कर दिया था। इसके बाद 12 सितंबर को बिना किसी विभागीय अनुमति के एफआईआर दर्ज कर तहसीलदार की गिरफ्तारी कर ली गई। संघ ने तहसीलदारों के लिए न्यायिक सुरक्षा की मांग की है।

हड़ताल से राजस्व विभाग का कामकाज ठप
1400 से अधिक अधिकारियों के हड़ताल पर चले जाने से राज्य के राजस्व विभाग के कई महत्वपूर्ण काम ठप हो गए हैं। जमीन का हस्तांतरण, बंटवारा, EWS प्रमाणपत्र और नक्शा संशोधन जैसे कार्यों के लिए जनता दर-दर भटक रही है। सरकारी दफ्तरों में कामकाज रुकने से लोगों में आक्रोश बढ़ रहा है।  

शिकायतकर्ता का पक्ष
शिवचरण पांडेय ने शिकायत में बताया कि उनके पिता की मौत के बाद उनकी जमीन उनके नाम पर दर्ज होनी थी। लेकिन अगस्त 2023 में तहसीलदार और पटवारी ने फर्जी वसीयत के जरिए इसे हड़पने की साजिश रची। इस मामले में तहसीलदार और पटवारी की संलिप्तता की पुष्टि होने के बाद कार्रवाई की गई है।

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