विदिशा (अटल तिवारी)। विजयादशमी पर्व पर समूचे देश में रावण के पुतले का दहन किया जाता है। दशहरा के पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत के तौर पर मनाया जाता है। लेकिन, विदिशा जिले की नटेरन तहसील के रावन गांव में दशानन रावण को प्रथम पूज्य ग्राम देवता के रूप में पूजा जाता है।
चौपाइयां सुनाने की परंपरा
विदिशा के रावन गांव में दशानन रावण की पूजा सदियों से परंपरानुसार की जाती है। इतना ही नहीं गांव में रावण का मंदिर है। जहां रावण को श्रीरामचरित्र मानस की चौपाइयां सुनाई जाती हैं।
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शुभकार्य से पहले रावण की पूजा
गांव वालों की रावण के प्रति गहरी आस्था है। वह कोई भी शुभकार्य के पहले ग्राम देवता रावण को याद करते हैं। यहां भंडारा हो या फिर विवाह जैसे मांगलिक कार्य, इसकी शुरुआत रावण बाबा की पूजा के साथ की जाती है। ग्रामीणों का मानना है कि यदि रावण बाबा की पूजा नहीं की जाती है तो शुभकार्य सफल नहीं होते।
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गुफा में रहता था दावन
मंदिर के पुजारी नरेश तिवारी ने बताया कि सामने स्थित पहाड़ी में मय दानव रहता था। अपने पराक्रम के दम पर उसने सबको पराजित कर दिया था। अंत में मय दानव रावण से युद्ध करने लंका पहुंचा। लेकिन वहां उसका क्रोध शांत हो गया। बाद में रावण ने गुफा में पहुंचकर मय दानव को बंद कर दिया, लेकिन रावण भी मूर्छित हो गया। तभी से रावण बाबा की लेटी प्रतिमा यहां स्थापित है। गांव का नाम भी रावन पड़ गया।