Nagpur Violence: नागपुर में हिंसा मामले में पुलिस को बड़ी कामयाबी मिली है। पुलिस ने मुख्य आरोपी फहीम खान को बुधवार को अरेस्ट कर लिया है। कोर्ट में पेशी के बाद उसे 21 मार्च तक पुलिस कस्टडी में भेज दिया गया है।
फहीम खान को इस हिंसा का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है। गणेशपेठ में दर्ज एफआईआर के मुताबिक, उसने भीड़ इकट्ठा कर पुलिस थाने के बाहर प्रदर्शन किया और लोगों को भड़काया। आरोप है कि उसने पथराव की साजिश रची, जिसके लिए पहले से पत्थर जमा किए गए थे।
नामजद 51आरोपियों पर मामला दर्ज
इस हिंसा को लेकर कुल 51 नामजद आरोपियों पर मामला दर्ज किया गया है। पुलिस रिपोर्ट के अनुसार, ये सभी एक ही धर्म के हैं और सुनियोजित तरीके से हिंसा भड़काने की कोशिश की गई। एफआईआर में यह भी कहा गया है कि हिंसा के दौरान महिला पुलिसकर्मियों के साथ छेड़खानी, बदसलूकी और दुष्कर्म की साजिश रची गई। पुलिस के अनुसार, यह घटना जानबूझकर की गई ताकि प्रशासन को दबाव में लाया जा सके।
कौन है फहीम खान ?
फ़हीम शमीम ख़ान ने 2024 के लोकसभा चुनावों में नागपुर से अल्पसंख्यक लोकतांत्रिक पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था। उनके चुनावी हलफनामे के अनुसार, उन्होंने 10वीं कक्षा तक शिक्षा प्राप्त की है और व्यवसाय से जुड़े हुए हैं।
उनके वित्तीय दस्तावेज़ों के अनुसार, उन्होंने मात्र 75,000 रुपए की संपत्ति घोषित की थी और कोई देनदारी या वार्षिक आय दर्ज नहीं की थी। हालांकि, उनके खिलाफ तीन आपराधिक मामले लंबित थे, लेकिन इनमें से कोई भी गंभीर श्रेणी में नहीं था। चुनावों में उन्हें मात्र 1,073 वोट मिले थे।
कैसे हुई हिंसा की शुरुआत?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, एफआईआर में दावा किया गया है कि फ़हीम ख़ान इस हिंसा के मुख्य आयोजकों में से एक था। यह हिंसा तब शुरू हुई जब विश्व हिंदू परिषद (VHP) और बजरंग दल के सदस्यों ने गांधी गेट के पास प्रदर्शन किया, जिसमें औरंगज़ेब की कब्र के खिलाफ नारेबाजी और प्रतीकात्मक पुतला दहन किया गया।
इसके जवाब में फ़हीम ख़ान के नेतृत्व में एक बड़ी भीड़ इकट्ठा हो गई, जो कथित रूप से कुल्हाड़ी, पत्थर और लाठियों से लैस थी। स्थिति जल्द ही हिंसक हो गई और दहशत फैलाने की कोशिश की गई।
महिला पुलिसकर्मियों को चोटें आईं
भीड़ ने भालदारपुरा चौक क्षेत्र में हिंसक हमले किए, जिसमें पुलिस पर पत्थर और हथियारों से हमला किया गया। पुलिस को कमजोर करने के उद्देश्य से पेट्रोल बम भी फेंके गए। हिंसा केवल पुलिस पर हमलों तक सीमित नहीं रही, बल्कि कुछ उपद्रवियों ने महिला पुलिसकर्मियों को भी परेशान किया।
हिंसा में 33 पुलिसकर्मी घायल
इस हिंसा में 33 पुलिसकर्मी घायल हो गए, जिनमें तीन उपायुक्त (DCP) भी शामिल हैं। एक अधिकारी पर कुल्हाड़ी से हमला किया गया। इसके अलावा, पांच नागरिक घायल हुए, जिनमें से तीन को मामूली चोटें आईं और उन्हें इलाज के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई, जबकि एक व्यक्ति की हालत गंभीर बनी हुई है और वह आईसीयू में भर्ती है।