AIIMS Jodhpur: सेंट्रल जीएसटी ने एम्स जोधपुर को 100 करोड़ रुपए की नोटिस जारी किया है। हालांकि सेंट्रल जीएसटी विभाग ने देशभर के सभी 20 एम्स अस्पतालों को यह जीएसटी नहीं जमा करने पर कारण बताओ नोटिश जारी किया है। अगर अस्पताल प्रशासन इसका जवाब नहीं देता है तो, उसे जीएसटी भरना पड़ सकता है।
बता दें, एम्स जोधपुर का निर्माण सरकारी विभाग सीपीडब्ल्यूडी ने करवाया है। सीपीडब्ल्यूडी सरकारी विभाग होने के कारण कभी भी टैक्स नहीं देती है, लेकिन एम्स अपने आपको स्वायत्तशासी संस्थान मानता है। जिसकी वजह से यह नोटिस जारी हुआ है। जानकारी के अनुसार यह रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म के अंतर्गत नोटिस जारी हुआ है। इसमें टोटल लागत पर जीएसटी सरकार को जमा कराना चाहिए था।
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जवाब नहीं देने पर भरना होगा जीएसटी
सेंट्रल जीएसटी ने एम्स देहरादून में हुए एक मामले को लेकर देश के सभी एम्स को जीएसटी जमा नहीं करने पर कारण बताओ नोटिस भेजे हैं। इसमें सभी की राशि अलग-अलग है। हालांकि नोटिस मिलने के बाद एम्स प्रशासन कर एवं वित्तीय सलाहकारों से बातचीत कर रहा है। ऐसे में अगर नोटिस का जवाब नहीं दिया जाता है, तो एम्स को जीएसटी भरना पड़ेगा।
स्वास्थ्य सेवाओं पर नहीं देना पड़ता जीएसटी
स्वास्थ्य सेवाओं को देशभर में जीएसटी मुक्त रखा गया है। एम्स ने डॉक्टरी चैकअप, ऑपरेशन, क्लिनिकल जांचें सहित जो भी सुविधाएं प्रदान की हैं, उसका जीएसटी नहीं लिया जाता है। ऐसे में एम्स अगर निर्माण कार्यों पर जीएसटी भरता है, तो उसका इनपुट टैक्स क्रेडिट खातों में ही रह जाएगा। अगर कोई भी सरकारी विभाग अपनी रद्दी बेचता है तो, सरकारी विभाग उस पर जीएसटी नहीं लेता है लेकिन खरीदार को इस पर जीएसटी देना पड़ता है।
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देशभर में सभी एम्स को जारी हुआ नोटिस
कारण बताओ नोटिस जारी होने के मामले में महीपाल सिंह, अतिरिक्त उपायुक्त, सेंट्रल जीएसटी जोधपुर ने बताया कि हमने रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म के अंतर्गत एम्स जोधपुर को जीएसटी जमा कराने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया है। यह नोटिस देशभर में सभी एम्स को जारी हुए हैं।