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BSP Chief Mayawati on Akash Anand: बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने मंगलवार रात लोकसभा चुनावों के बीच भतीजे आकाश आनंद को पार्टी के अहम पदों से हटा दिया। मायावती के इस फैसले के कई सियासी मायने हैं।

BSP Chief Mayawati on Akash Anand: उत्तर प्रदेश में पांच बार सरकार बनाने वाली बहुजन समाज पार्टी (बसपा) इन दिनों बुरे दौर से गुजर रही है। दलित, ओबीसी और मुस्लिम फैक्टर के दम पर सबसे बड़े सूबे में पांच बार मुख्यमंत्री रहीं मायावती ने छह माह पहले ही भतीजे आकाश आनंद के रूप में पार्टी को नया नेतृत्व दिया था, लेकिन मंगलवार रात आमचुनावों के बीच उन्हें अचानक हटा दिया। मायावती के फैसले लोग हैरान हैं, यह एक रणनीतिक का हिस्सा है। जानते हैं आकाश आनंद को हटाए जाने की पांच प्रमुख बातें। 

आकाश आनंद पर हुए एक्शन के प्रमुख कारण  

  • मायावती ने आकाश आनंद को मप्र, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव से पहले बसपा का राष्ट्रीय को-आर्डिनेटर और अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया था। तीनों स्टेट के चुनाव एक तरह आनंद के नेतृत्व में लड़े गए, लेकिन कोई खास सफलता नहीं मिली। राजस्थान में जो दो विधायक बसपा के सिम्बल पर जीते थे, वह भी शिवसेना शिंदे गुट में शामिल हो गए। 
  • विधानसभा चुनावों के बाद आकाश आनंद लोकसभा चुनाव में एक्टिव हुए। हरियाणा के फरीदाबाद से उन्होंने अपने चुनाव अभियान की शुरुआत की, लेकिन कुछ खास नहीं कर पा रहे थे। उल्टा एक के बाद एक उनके अपरिपक्व बयान सामने आ रहे थे। 
  • आकाश को यूपी और उत्तराखंड की सियासत से दूर रहने को कहा गया था, इसके बावजूद वह यहां जनसभाएं करते रहे। नगीना की जनसभा में उन्होंने आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर रावण के बारे ऐसा बयान दे बैठे, जिससे उन्हें सियासी तौर पर फायदा हुआ। बसपा नेतृत्व का उनका यह बयान रास नहीं आया। 
  • नगीना के बाद सीतापुर की सभा में भी आनंद वही गलती कर बैठे जो मायावती नहीं चाहती थीं। आकाश के भड़काऊ भाषण के चलते बसपा जिलाध्यक्ष विकास राजवंशी, लखीमपुर प्रत्याशी अंशय कालरा, धौरहरा प्रत्याशी श्याम किशोर अवस्थी और सीतापुर के प्रत्याशी महेंद्र यादव के खिलाफ FIR हो गई। 
  • सीतापुर प्रकरण के बाद बसपा सुप्रीमो ने आकाश आनंद के प्रचार प्रसार पर रोक लगाते हुए उनके सभी कार्यक्रम रद्द कर दिल्ली भेज दिया गया, लेकिन दिल्ली में रहकर भी वह बहुजन समाज के लोगों से संपर्क कर पार्टी का प्रचार करते रहे। वह ऐसे मुद्दों को हवा दे रहे थे, जिससे बसपा नेतृत्व दूरी बनाना चाहता है। आदर्श आचार संहिता की भी ज्यादा परवाह नहीं करते थे। 
  • आकाश आनंद ने सीतापुर की जनसभा में भाजपा नेताओं की तुलना आतंकवादियों से करते हएु इन्हें जूतों से मारने की बात कही थी। जिसके बाद आकाश सहित तीन प्रत्याशियों पर केस दर्ज हुआ। बसपा सुप्रीमो ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए आकाश आनंद की रैलियों में रोक लगा दी थी।

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मायवती के ट्वीट के मायने 
बसपा सुप्रीमो ने X पर आकाश आनंद से जिम्मेदारियां छीनते हुए दो बड़ी बातें लिखी हैं। पहले तो उन्होंने आनंद को अम्च्योर बताते हुए कुछ समय के लिए पद से हटाए जाने की बात लिखी है। यानी उनकी दोबारा वापसी संभव है। दूसरा मायावती ने कहा, बसपा सिर्फ पार्टी नहीं बल्कि यह बाबाा साहब के विचारों पर आधारित एक मूवमेंट है, जिसे कांशीराम के साथ मैंने पूरा जीवन समर्पित किया है। इसे आगे बढ़ाने के लिए कोई भी कुर्बानी देने को तैयार हैं। यानी उनके परिवार नहीं पार्टी महत्वपूर्ण है। 

 
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