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Allahabad High Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने देवरिया के बर्खास्त पुलिस जवान की याचिका पर सुनवाई करते हुुए कहा, किसी कर्मचारी को वेतन भत्ता देने से तब तक इनकार नहीं कर सकते, जब तक कि उसने दूसरी जगह वेतन लेकर नौकरी न की हो।

Allahabad High Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को कर्मचारीहित में ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। यूपी पुलिस के बर्खास्त जवान की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा, राज्य सरकार ने अगर किसी कर्मचारी का बर्खास्तगी आदेश रद्द कर नौकरी बहाल कर दी तो फिर नो वर्क नो पे का सिद्धांत लागू नहीं होता। 

याची निलंबित भी नहीं था, जांच में देरी भी नहीं की
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले में यह भी स्पष्ट किया है कि किसी कर्मचारी को वेतन भत्ता देने से तभी इनकार किया जा सकता है, जब उसने सेवा से बर्खास्तगी के दौरान दूसरी जगह वेतन लेकर नौकरी की हो, लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं है। याची निलंबित भी नहीं था और विभागीय जांच में देरी भी नहीं की। सब नियमानुसार हुआ है। 

25 हजार हर्जाने का आदेश 
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी पुलिस के जवान को बहाल कर 25 हजार रुपए हर्जाना दिए जाने का आदेश जारी किया है। कोर्ट ने देवरिया एसपी को आदेशित किया है कि याची को 9 जनवरी 2020 से 29 सितंबर 2020 तक वेतन भत्ते का भुगतान 6 फीसदी ब्याज के साथ करें। साथ ही उसे 25 हजार रुपए हर्जाना दिया जाए। 

यह है पूरा मामला 

  • याची दिनेश प्रसाद यूपी पुलिस में फॉलोअर था। उत्तर प्रदेश पुलिस अधीनस्थ रैंक के अधिकारी (दंड और अपील) नियमावली 1991 (नियम 1991) के नियम 14 के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए उसके खिलाफ आरोप-पत्र जारी किया गया। बताया गया कि अधिकारियों को सूचित किए बिना ही वह ड्यूटी से गायब था। बाद में मेस ड्यूटी से इनकार करते हुए भूख हड़ताल शुरू कर दी। जिसके बाद पुलिस अफसरों ने उसे सेवा से बर्खास्त कर दिया।
  • गोरखपुर डीआईजी ने नौकरी बहाल कर दी, लेकिन एसपी ने वेतन भुगतान से इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय की अदालत ने मामले में सुनवाई करते हुए नो वर्क नो पे के सिद्धांत को अनुचित माना है। 
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