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Varanasi Gyanvapi Masjid ASI Survey: ज्ञानवापी विवाद दशकों पुराना है, लेकिन अगस्त 2021 में पांच महिलाओं ने वाराणसी की अदालत में याचिका दायर कर परिसर के अंदर स्थित मां श्रृंगार गौरी स्थल पर पूजा के अधिकार की मांग की। इसके बाद अदालत ने मई 2022 में सर्वे कराने का आदेश दिया था।

Varanasi Gyanvapi Masjid ASI Survey: दशकों पुराने ज्ञानवापी मस्जिद-काशी विश्वनाथ मंदिर विवाद में अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी (AIMC) के वकील अखलाक अहमद ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने टीओआई से बातचीत में विवादित स्थल पर मस्जिद से पहले मंदिर होने के हिंदू पक्ष के दावे को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि एआईएम ने छत्ताद्वार में 5-6 मूर्तिकारों को किराए पर दुकानें दी थी। इस बात की प्रबल संभावना है कि 1993 से पहले उन दुकानदारों ने क्षतिग्रस्त मूर्तियों और कचरे को मस्जिद दक्षिणी हिस्से में फेंक दिया होगा। 1993 में इसे लोहे की ग्रिल से ढक दिया गया था।

उन्होंने कहा कि संभव है कि एएसआई टीम ने अपने सर्वेक्षण के दौरान मलबा हटाते समय उन्हीं मूर्तियों को बरामद किया हो। एएसआई रिपोर्ट में दावे बिलकुल मई 2022 में हुए कमिश्नर के सर्वेक्षण जैसे हैं। हमने रिपोर्ट नहीं देखी है। रिपोर्ट का अध्यन करेंगे, उसके बाद टिप्पणी करेंगे।

Temple evidence in Gyanvapi
पश्चिमी कक्ष से मिला टूटा हुआ शिवलिंग।

 

मस्जिद कमेटी ने कहा- हम रिपोर्ट का अध्ययन करेंगे
उधर, अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी के संयुक्त सचिव एसएम यासीन ने कहा कि संस्था एएसआई सर्वेक्षण रिपोर्ट का अध्ययन करेगी। इसका विश्लेषण करेगी। विशेषज्ञों से परामर्श करेगी और फिर अपने अगले कदम पर फैसला करेगी। वर्तमान परिस्थितियों में मस्जिद को सुरक्षित रखना हमारी पहली और सबसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। एएसआई ने अपनी जांच के अनुसार रिपोर्ट दी है। यह एक रिपोर्ट है, फैसला नहीं है।

सील क्षेत्र का सर्वेक्षण कराएंगे- हिंदू पक्ष
हिंदू पक्ष की तरफ से वकील विष्णु शंकर जैन गुरुवार रात एएसआई रिपोर्ट को सार्वजनिक करते हुए कहा कि वे मस्जिद के सील क्षेत्र के नए सिरे से सर्वेक्षण के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। वजूखाना सील है। उसी जगह शिवलिंग जैसी संरचना मिली थी। हालांकि मुस्लिम पक्ष ने उसे फव्वारा बताया था। बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर वजूखाने को सील कर दिया गया।  

क्या है एएसआई रिपोर्ट में?
रिपोर्ट में बताया गया है कि मंदिर को मुगल बादशाह औरंगजेब के शासनकाल के दौरान नष्ट कर दिया गया था। एक कमरे के अंदर पाए गए अरबी-फ़ारसी शिलालेख में जिक्र है कि मस्जिद औरंगजेब के शासनकाल में बनाई गई थी। 17वीं शताब्दी में औरंगजेब के शासनकाल के दौरान मंदिर को नष्ट किया गया। 

ज्ञानवापी विवाद दशकों पुराना है, लेकिन अगस्त 2021 में पांच महिलाओं ने वाराणसी की अदालत में याचिका दायर कर परिसर के अंदर स्थित मां श्रृंगार गौरी स्थल पर पूजा के अधिकार की मांग की। इसके बाद अदालत ने मई 2022 में सर्वे कराने का आदेश दिया था।

सर्वे के दौरान हिंदू मंदिरों के कई प्रतीक चिन्ह विवादित स्थल पर मिले थे। जबकि मुस्लिम पक्ष दावा करता है कि ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण 600 साल पहले जौनपुर के एक जमींदार ने कराया था। इसका जीर्णोद्धार मुगल सम्राट अकबर ने अपने शासनकाल के दौरान करवाया था। फिर ज्ञानवापी मस्जिद का विस्तार और नवीनीकरण मुगल सम्राट औरंगजेब द्वारा किया गया था। 

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