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Parle-G Replaces Iconic Girl's Image With Instagram Influencer Face: सिल्क व्यापारी मोहनलाल दयाल ने मुंबई के विले पारले इलाके में 1929 में बंद पड़ी फैक्ट्री खरीदी। इसके 10 साल बिस्किट बनाने का काम शुरू किया था। 12 लोगों के साथ फैक्ट्री में काम चालू हुआ था।

Parle-G Replaces Iconic Girl's Image With Instagram Influencer Face: दुनिया का सबसे ज्यादा बिकने वाला बिस्किट पारले-जी एक बार फिर सुर्खियों में है। वजह बिस्किट रैपर पर छपने वाली सुंदर सी बच्ची की फोटो। उसकी तस्वीर हर बच्चे, बूढ़े और जवान के मन में बसी है। लेकिन बिस्किट निर्माता पारले ने इंस्टाग्राम पर नए रैपर की फोटो शेयर की है, जिसे देखकर यूजर्स चौंक गए हैं। बच्ची की जगह एक लड़के का मुस्कुराता चेहरा दिखा। इसके पीछे भी एक मजेदार कहानी है, तो पढ़िए पूरी स्टोरी...

जेरवान ने अपने फॉलअर्स से पूछा था ये सवाल
दरअसल, यह मजेदार पोस्ट कंटेंट क्रिएटर जेरवान जे बन्शाह के वायरल वीडियो के जवाब में कंपनी ने पोस्ट की है। जेरवान ने अपने फॉलोअर्स से एक सवाल पूछा था, 'अगर आप पारले बिस्किट कंपनी के मालिक से मिलते हैं, तो क्या आप उन्हें पारले सर, मिस्टर पारले या पारले जी कहकर बुलाते हैं?' 

वीडियो जेरवान अपने चेहरे पर एक भ्रमित भाव लेकर कार में बैठे हुए हैं। बैकग्राउंड में अनिल कपूर की फिल्म राम लखन का 'ऐ जी ऊ जी' गाना बज रहा है। उनका यह वीडियो सोशल मीडिया पर तीन दिनों के भीतर छा गया। वीडियो पारले-जी कंपनी तक भी पहुंचा। इंस्टाग्राम पर पारले-जी के अकाउंट से टिप्पणी की गई कि बन्शाह जी, आप हमें ओजी कह सकते हैं। 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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पारले-जी ने लड़की के बजाय बन्शाह की फोटो छापी
बाद में पारले-जी ने बिस्किट रैपर पर लड़की के बजाय बन्शाह की मुस्कुराती हुई फोटो छापी। कैप्शन में लिखा है, 'जब आप यह सोच रहे हैं कि पारले-जी के मालिक को क्या कहा जाए, तो आप एक कप चाय के साथ आनंद लेने के लिए हमें अपना पसंदीदा बिस्किट कह सकते हैं। क्या कहते हैं बन्शाह जी। इस पोस्ट पर जवाब देते हुए जेरवान बन्शाह ने बचपन के अनुभव शेयर किए। बताया कि उन्हें बचपन में पारलेजी बहुत पसंद था। 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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हर सेकेंड 4500 लोग खाते हैं पारले-जी
सिल्क व्यापारी मोहनलाल दयाल ने मुंबई के विले पारले इलाके में 1929 में बंद पड़ी फैक्ट्री खरीदी। इसके 10 साल बिस्किट बनाने का काम शुरू किया था। 12 लोगों के साथ फैक्ट्री में काम चालू हुआ था। यह सभी मोहनलाल के परिवार के सदस्य थे। चूंकि ब्रांड का नाम नहीं रखा था, इसलिए इलाके के नाम पर बिस्किट का नाम रख दिया। इस समय देश में 130 से ज्यादा फैक्ट्रियां हैं। हर सेकेंड 4500 लोग पारले जी खाते हैं। यह नुक्कड़ से लेकर सुपर मार्केट तक में बिकता है। 

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