Logo
दुनिया भर में क्रिसमस की धूम है। लेकिन, यह विडंबना ही है कि प्रभु यीशु के जन्मस्थान बेथलहम में ही इस साल कोई उत्सव नहीं हुआ। इजरायल-हमास युद्ध के कारण ऐसा हुआ।

Birthplace Of Jesus Christ Deserted: दुनिया भर में  क्रिसमस का जश्न मनाया जा रहा है, लेकिन यीशु के जन्मस्थान पर ही इस साल सन्नाटा पसरा है। प्रभु यीशु का जन्मस्थान बेथलहम है। यहां पर हर साल बड़े उत्साह के साथ क्रिसमस मनाया जाता रहा है। हालांकि, इस साल यहां पर इजरायल-हमास युद्ध के कारण कोई भी आयोजन नहीं हुआ। बेथलहम के सभी चर्चों में सन्नाटा पसरा रहा। इजरायल की ओर से गाजा पर किए गए हमले ने इस ऐतिहासिक चर्च की सदियों पुरानी परंपरा पर रोक लगा दी। दुनिया भर में इस बात को लेकर काफी चर्चा है। 

बेथलहम स्थित चर्च ऑफ द नेटिविटी माना जाता है पवित्र
आम तौर पर हर साल सैकड़ों की तादाद में लोग क्रिसमस पर बेथलहम पहुंचते रहे हैं। बेथलहम स्थित चर्च ऑफ द नेटिविटी दुनिया भर में इसाई धर्मावलंबियों के लिए धार्मिक केंद्र माना जाता है। जो चर्च कभी क्रिसमस के कई दिनों पहले ही गुलजार हो जाया करता था, वहां इस साल कोई सजावट नहीं हुई। न तो लोग प्रार्थना के लिए जुटे और न ही क्रिसमस ट्री सजाया गया। हालांकि चर्च के पादरी ने अकेले ही क्रिसमस पर होने वाली प्रार्थना और दूसरे रस्मों की अदायगी की। यह चर्च को यूनेस्को के एतिहासिक धरोहरों की सूची में शामिल है। 

चर्च परिसर में युद्ध त्रासदी बताने वाली यीशु की झांकी
चर्च ऑफ द नेटिविटी में इस बार वहां के पादरी फादर डॉ. मुंथर इशाक ने एक विशेष झांकी सजाई। यह इजरायल-हमास युद्ध की कहानी बयां कर रही है। इस झांकी में प्रभु यीशु को एक छोटे बच्चे के तौर पर दिखाया गया है। वह पत्थरों के बीच लेटे हुए नजर आ रहे हैं। पत्थर आसपास कुछ इस तरह से बिखरे हुए हैं जैसे वह किसी मकान का टूटा हुआ मलबा हो। ऐसा इजरायल के हमले में मारे गए बच्चों को श्रद्धांजलि देते हुए किया गया है। 

कहां है बेथलहम और इसे इसाई क्यों मानते हैं पवित्र‍ ? 
बेथलहम येरूशलम से महज 10 किलोमीटर दक्षिण में है। यह फिलिस्तीन के अधीन आता है। इसे फिलिस्तीन की संस्कृति और पर्यटन के लिहाज से बेहद अहम माना जाता है। बेथलहेम में मुसलमानों की संख्या फिलिस्तीन के अन्य शहरों के मुकाबले काफी ज्यादा हैं। बाइबिल में इस बात का जिक्र है कि प्रभु यीशु के माता-पिता पहले नाजरेथ में रहते थे। वहां से वह बेथलहम आ गए। यहां पहुंचने पर ही यीशु का जन्म हुआ। यही वजह है कि इसे इसाई धर्म में पवित्र स्थल माना जाता है।

5379487