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Macron Dissolves Parliament: फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने संसद को भंग कर दिया है और नए चुनावों की घोषणा की है। यह कदम यूरोपीय संघ के चुनावों में उनकी पार्टी की हार के बाद उठाया गया है।

Macron Dissolves Parliament: फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने रविवार को एक बड़ा कदम उठाते हुए देश की संसद को भंग कर दिया। इसका मतलब है कि उन्होंने संसद के सभी सदस्यों को हटा दिया और अब नए चुनाव करवाए जाएंगे। फ्रांस में अब संसदीय चुनाव दो चरणों में 30 जून और 7 जुलाई को होंगे। मैक्रो ने फ्रांस की संसद के निचले सदन को भंग किया है। यह फैसला यूरोपीय संघ के संसदीय चुनावों में दक्षिणपंथी नेशनल रैली के हाथों मैक्रों की पार्टी की करारी हार के बाद लिया गया है।

क्या कहते हैं एग्जिट पोल?
फ्रांस के संसदीय चुनाव के लिए हुए  एग्जिट पोल के शुरुआती अनुमानों के अनुसार, मरीन ले पेन की नेशनल रैली को लगभग 31-32% वोट मिलने का अनुमान है, जो मैक्रों की रेनेसां पार्टी (Renaissance) के हिस्से से दोगुना से भी अधिक है, जिसे लगभग 15% वोट मिलने का अनुमान है। एग्जिट पोल के यह नतीजे फ्रांसीसी राजनीति में एक अहम बदलाव का संकेत दे रहे हैं। 

संसद भंग करना जरूरी था: मैक्रों
राष्ट्रपति मैक्रों ने कहा कि मैंने लोगों का संदेश सुना है और अब वे चाहते हैं कि लोग अपने नए नेताओं को चुनें। उन्होंने कहा कि यह कदम जरूरी था ताकि लोग अपनी आवाज उठा सकें। नए चुनाव में रेनेसॉन्स और नेशनल रैली समेत फ्रांस की दूसरी पार्टियां हिस्सा लेंगी। जो पार्टी सबसे ज्यादा सीटें जीतेगी, वह संसद में सबसे ज्यादा ताकतवर होगी। इससे फ्रांस की राजनीति में बड़े बदलाव आ सकते हैं।

मैक्रों के राष्ट्रपति कार्यकाल में तीन साल बाकी
बता दें कि मैक्रों ने यूरोपीय यूनियन के चुनावों में हिस्सा नहीं लिया था। अभी भी मैक्रों के राष्ट्रपति कार्यकाल में तीन साल बाकी हैं। मैक्रों ने संसद को भंग करने के अपने फैसले को एक गंभीर कदम बताया। मैक्रों ने कहा कि यह कदम जरूरी था । उन्होंने जनता को आश्वस्त किया, "अगले कुछ दिनों में, मैं वही कहूंगा जो मुझे लगता है कि राष्ट्र के लिए सही होगा। मैंने आपका संदेश, आपकी चिंताएं सुनी हैं, और मैं उनका जवाब दिए बिना नहीं रहूंगा। 

नए चुनाव तय करेंगे कि फ्रांस के संसद में कौन रहेगा
फ्रांस में राष्ट्रपति और संसद के चुनाव अलग-अलग होते हैं। राष्ट्रपति को 2022 में चुना गया था और वे अभी भी अपने पद पर रहेंगे, लेकिन संसद में कौन होगा, यह अब नए चुनावों से तय होगा। यह कदम फ्रांस और यूरोप की राजनीति में बहुत मायने रखता है। अब देखना होगा कि आने वाले चुनावों में क्या होता है और कौन सी पार्टी जीतती है।

उल्टा भी पड़ सकता है मैक्रों का यह नया दांव
2022 के संसदीय चुनावों में, मैक्रों की  पार्टी ने सबसे अधिक सीटें हासिल की थीं, लेकिन नेशनल असेंबली में बहुमत से चूक गई। इसे कानून पारित करने के लिए राजनीतिक पैंतरेबाजी की जरूरत पड़ रही थी। ऐसे में मैक्रों का यह नया दांव उल्टा भी पड़ सकता है। इससे ले पेन के सत्ता में काबिज होने की संभावना बढ़ सकती है। संसदीय चुनाव में अगर विपक्षी पार्टी  जीतती है कोहैबिनेटेशन के नियम को लागू करना पड़ा सकता है। इस नियम के मुताबिक  मैक्रों को विपक्षी पार्टी के नेता को प्रधानमंत्री नियुक्त करना पड़ेगा। ऐसे में अहम फैसलों पर सहमति बनाने में दिक्कतें आएंगी। 

ले पेन ने मैक्रों के फैसले का स्वागत किया
फ्रांस के नेशनल असेंबली में विपक्षी पार्टी नेशनल रैली समूह का अगुवाई करने वाली ले पेन ने मैक्रों के फैसले का स्वागत किया। पेन ने कहा कि हम इसके लिए तैयार हैं।अगर फ्रांसीसी लोग हम पर भरोसा करते हैं तो हम चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं। हम सत्ता का में आने के लिए तैयार हैं। हम देश को बदलने के लिए तैयार हैं, फ्रांस के हितों की रक्षा के लिए तैयार हैं, सामूहिक आव्रजन को समाप्त करने के लिए तैयार हैं, फ्रांस की क्रय शक्ति को प्राथमिकता बनाने के लिए तैयार हैं।

फ्रांस में कैसे होता है राष्ट्रपति चुनाव?
फ्रांस में राष्ट्रपति का चुनाव दो चरणों में होता है। पहला चरण मतदान 10 और 24 अप्रैल 2022 को हुआ था, जिसमें किसी भी उम्मीदवार को बहुमत नहीं मिला, इसलिए एक रनऑफ आयोजित किया गया था। रनऑफ में इमैनुएल मैक्रॉन ने मरीन ले पेन को हराया और फिर से फ्रांस के राष्ट्रपति के रूप में चुने गए.
चुनाव प्रक्रिया के तहत, मतदाता अपने पसंदीदा उम्मीदवार के लिए वोट देते हैं, और उम्मीदवार जो सबसे अधिक वोट प्राप्त करता है, वह दूसरे चरण में आगे बढ़ता है। यदि किसी उम्मीदवार को बहुमत नहीं मिलता है, तो एक रनऑफ आयोजित किया जाता है, जिसमें दो सबसे अग्रिम उम्मीदवारों के बीच सीधा मुकाबला होता है। रनऑफ में जीतने वाला उम्मीदवार फ्रांस का राष्ट्रपति चुना जाता है

यूरोपीय यूनियन के चुनाव नतीजों से मैक्रों काे झटका
यूरोपीय यूनियन के चुनाव परिणामों ने मैक्रों को एक बड़ा झटका दिया है। मैक्रों ने यूक्रेन का समर्थन करने और यूरोपीय संघ की सुरक्षा और उद्योग को मजबूत करने के लिए यूरोप-व्यापी पहल की है। यूरोपीय संघ के चुनावों के लिए नेशनल रैली के प्रमुख उम्मीदवार जॉर्डन बार्डेला ने प्रवासियों की मुक्त आवाजाही को सीमित करने और यूरोपीय संघ के जलवायु नियमों को कम करने के लिए अभियान चलाया। यही वजह रही कि मैक्राें की पार्टी रेनेसां के उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ा।

मैक्रों के ऑफिस ने संसद भंग करने के फैसले काे सही ठहराया। 
बार्डेला ने देश की संसद भंग होने पर कहा, "आज रात, हमारे देशवासियों ने बदलाव की इच्छा व्यक्त की है। इमैनुएल मैक्रों आज रात एक कमजोर राष्ट्रपति हैं। मैक्रों के कार्यालय के एक अधिकारी ने  मौजूदा "संसदीय अव्यवस्था" का हवाला देकर नेशनल असेंबली के भंग करने के कदम को उचित ठहराया। अधिकारी ने कहा कि जब आप लोगों को अपनी बात कहने का मौका देते हैं तो आप कभी गलत नहीं होते।

फ्रांस के सोशलिस्ट पार्टी के लिए उभरने का मौका
यूरोपीय संघ के चुनाव के एग्जिट पॉल के मुताबिक, सोशलिस्ट पार्टी के फिर से उभरने के भी संकेत मिल रहे हैं है। सोशलिस्ट पार्टी ने यूरोपीय व्यवसायों और मजदूरों के लिए  जलवायु नीतियों और सुरक्षा के लिए अभियान चलाया, और लगभग 14% वोट हासिल किए। मैक्रों की घोषणा के बाद फ्रांस के वामपंथी नेता फ्रेंकोइस रफिन ने ग्रीन्स समेत सभी वामपंथी नेताओं से एक "पॉपुलर फ्रंट" बैनर के तहत एकजुट होने का आह्वान किया है। फ्रांस यूरोपीय संसद के लिए 81 सदस्यों का चुनाव करने वाला है, जिसमें कुल 720 सीटें हैं।

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