Russian President Putin rail project: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने रूस और ईरान के बीच रेलवे कनेक्शन बढ़ाने की योजना का ऐलान किया है। रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण यूरोप के साथ व्यापार में गिरावट आने के बादभारत और चीन के साथ व्यापार संबंधों को बढ़ाने के उद्देश्य से यह रेल प्रोजेक्ट शुरू किया जाएगा। पुतिन ने कहा है कि इस रेलवे परियोजना से पश्चिमी देशों पर रूस की आत्मनिर्भरता कम होगी। साथ ही मुंबई तक का सफर महज दस दिनों में तय किया जा सकेगा।
करीब 14,000 करोड़ रुपए होगी लागत
करीब 14,000 करोड़ रुपए की लागत वाली यह रेलवे परियोजना 165 किलोमीटर लंबी होगी और रूस को ईरान के बंदरगाह से जोड़ेगी। इसके बाद जिससे मॉस्को और सेंट पीटर्सबर्ग जैसे रूसी शहरों से मुंबई तक आसानी से पहुंचा जा सकेगा। इसके साथ ही रूस इस पहल के लिए ईरान को लगभग 11,000 करोड़ रुपये का कर्ज भी देगा।
बनेगा एक वैकल्पिक व्यापारिक रूट
पुतिन ने कहा नया रेलवे रूट रूस की राजधानी मॉस्को और सेंट पीटर्सबर्ग से मुंबई तक कार्गो के सफर के समय को 30 दिनों से घटाकर केवल 10 दिन कर देगा। इस परियोजना से समुद्री व्यापार रूट का एक बेहतर विकल्प मिल सकेगा। मौजूदा समय में कॉमर्शियल शिप्स को स्वेज नहर के रूट का इस्तेमाल करना होता है। हालांकि इस रूट के बनने के बाद ऐसी बाध्यता नहीं होगी। माल की ढुलाई इस रेलवे लिंक के जरिए की जा सकेगी।
2028 तक पूरा होने की उम्मीद
इस रेलवे प्रोजेक्ट के 2028 तक पूरा होने की उम्मीद है। यह रेलवे परिेयोजना ईरान के अस्तारा और रश्त शहर को जोड़ेगी। 7,200 किलोमीटर तक फैले अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (आईएनएसटीसी) का हिस्ससा होगा। यह ईरान और अजरबैजान को रेलवे ट्रैक के जरिए जोड़ेगा और अंत में रूस के रेलवे ग्रिड में जाकर मिल जाएगा।
कई देशों से सुधरेगा व्यापार
नया रेल लिंक न केवल रूस, भारत और चीन के बीच व्यापार को सुविधाजनक बनाएगा बल्कि सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और पाकिस्तान के साथ व्यापार के अवसर भी खोलेगा। चीन के साथ रूस का व्यापार 2023 में 61% बढ़कर 19.88 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया, जबकि भारत के साथ व्यापार 2021 से चौगुना होकर 5.38 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है।
भारत से मशीन खरीदता है रूस
पश्चिमी व्यापार प्रतिबंधों के बीच, रूस अपने बिजनेस पार्टनर में बदलाव ला रहा है, भारत से मशीनरी और ईरान से हथियार खरीद रहा है। इसके अलावा, आवश्यक वस्तुओं को खाड़ी देशों और तुर्की से मंगाया जा रहा है। ऐसे में भविष्य में ऐसी किसी भी स्थिति से निपटने की बात पर गौर करते हुए रूस ने यह रेलेवे प्रोजेक्ट शुरू करने का फैसला किया है।