Syria Rebellion: सीरिया में हालात दिनोंदिन गंभीर होते जा रहे हैं। विद्रोहियों ने अब तक तीन प्रमुख शहरों—अलेप्पो, होम्स और दारा—पर कब्जा कर लिया है। दमिश्क की ओर बढ़ते हुए, विद्रोहियों ने सरकार के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। इसी बीच खबरें आई हैं कि सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद अपने परिवार के साथ देश छोड़कर रूस भाग गए हैं। हालांकि, सेना के अफसरों के हवाले से रॉयटर्स ने पुष्टि की है कि असद एक विशेष विमान से देश छोड़कर भागे हैं। सेना ने ऐलान कर दिया है कि अब सीरिया राष्ट्रीय बशर अल-असद से आजाद हो गया है।
राजधानी दमिश्क पर विद्रोहियों का कब्जा
रविवार की सुबह विद्रोही गुटों ने राजधानी दमिश्क पर कब्जा कर लिया है। सीरिया की डिफेंस मिनस्ट्री और रेडियाे टीवी ब्रॉडकास्टिंग सेंटर पर विद्रोहियों ने कब्जा कर लिया है। राजधानी दमिश्क में सीरिया असद से आजाद हुआ के नारे लगाए जा रहे हैं। सीरिया की सेना राजधानी छोड़कर भाग गई है। सीरिया के पीएम ने विद्रोहियों को सरकार बनाने का प्रस्ताव दिया है। वहीं, दूसरी ओर दमिश्क में जश्न का माहौल है। लोग अपने घरों से बाहर निकलकर विद्रोहियों का स्वागत कर रहे हैं।
24 साल से सीरिया की सत्ता पर काबिज थे असद
बता दें कि राष्ट्रपति बशर अल-असद बीते 24 साल से सीरिया की सत्ता पर काबिज थे। बशर अल-असद के खिलाफ 2011 में विरोध शुरू हुआ। यह नागरिक युद्ध में बदल गया। इसके बाद इस मसले में कई विदेशी ताकतों की एंट्री हो गई। कई इस्लामी जिहादी ताकतें भी यहां कूद पड़ीं। मौजूदा समय में इस विद्रोह में कई गुट शामिल हैं। सबसे मजबूत विद्रोही गुट हयात तहरीर अल-शाम (HTS) है। यह सीरिया में अल कायदा से जुड़ा हुआ है, जिसे अमेरिका और अन्य लोग आतंकवादी संगठन मानते हैं।
विद्रोह का चेहरा है अबु मोहम्मद अल गोलानी
हयात तहरीर अल-शाम की अगुआई अबु मोहम्मद अल गोलानी करता है। एचटीएस के मजबूत होने से कई सीरियाई लोग इस बात को लेकर डरे हुए हैं कि यह क्रूर इस्लामी शासन लागू करेगा। वहीं, गोलानी ने अल्पसंख्यकों को आश्वस्त करने की कोशिश की है कि वह लोगों के जीवन में कोई दखल नहीं देगा। इस बीच अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने कहा कि वह विदेशों में इस्लामी हमलों का विरोध करते हैं।
देश में गृहयुद्ध की आशंका तेज
बशर सरकार की पकड़ कमजाेर हो गई है। सीरिया की सेना विद्रोहियों के साथ मोर्चों से पीछे हट रही है। विद्रोहियों की ताकत बढ़ रही है। यही वजह है कि देश में गृहयुद्ध की आशंका तेज हो गई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अब तक 3.70 लाख से अधिक लोग विस्थापित हो चुके हैं। दारा, जहां 2011 में विद्रोह की शुरुआत हुई थी, अब फिर से विद्रोहियों के कब्जे में है। इस्लामी चरमपंथी गुट हयात तहरीर अल-शाम (HTS) ने अलेप्पो और होम्स पर कब्जा जमा लिया है।
Syrians in Germany are celebrating the rebels’ takeover of northern Syria.
— Dr. Maalouf (@realMaalouf) November 30, 2024
They all applied for asylum claiming persecution by Assad.
Now that Assad is being defeated, isn’t it time to send them back since they’re so happy?!
pic.twitter.com/XQBlz4mfPf
विद्रोहियों का बढ़ता जा रहा दबदबा
27 नवंबर को विद्रोहियों और सीरियाई सेना के बीच शुरू हुए संघर्ष ने अब विकराल रूप ले लिया है। 1 दिसंबर को विद्रोहियों ने अलेप्पो पर कब्जा कर लिया, और उसके कुछ दिनों बाद होम्स और दारा पर भी नियंत्रण हासिल कर लिया। दमिश्क से मात्र 90 किमी की दूरी पर दारा में विद्रोहियों का कब्जा । विद्रोही होम्स और दारा समेत देश के कई शहरों की सड़कों पर खुलेआम घूमते नजर आ रहे हैं। हथियार लहरा रहे हैं और असद सरकार को हराने का जश्न मना रहे हैं।
भारत ने जारी की एडवाइजरी
सीरिया की स्थिति को देखते हुए भारतीय विदेश मंत्रालय ने वहां रह रहे भारतीय नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी की है। मंत्रालय ने नागरिकों से तत्काल देश छोड़ने और सीरिया यात्रा से बचने की सलाह दी है। दमिश्क स्थित भारतीय दूतावास से संपर्क में रहने की सलाह दी गई है। भारतीय नागरिकों से कहा गया है कि ऐसे किसी भी स्थान पर नहीं जाएं, जहां पर विद्रोही एक्टिव हैं।
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ट्रंप बोले- ये अमेरिका की लड़ाई नहीं
सीरिया में बिगड़ते हालात के लिए अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा और रूस की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। नवनिर्वाचित अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह अमेरिका की लड़ाई नहीं है। वहीं, रूस, जो अब तक असद सरकार का समर्थन करता आया है, ने भी इस बार पर्याप्त मदद नहीं दी है।
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विद्रोह का क्या होगा दुनिया पर असर?
विशेषज्ञों का कहना है कि सीरिया पर नियंत्रण पश्चिम एशिया में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। इसके परिणाम न केवल सीरिया बल्कि रूस, ईरान और अन्य पड़ोसी देशों पर भी इसका असर होगा। तेल की कीमतों में उछाल आ सकती है। इसके साथ ही कई देशों के अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर भी इसका असर पड़ने की संभावना है।