Car Safety: आज के समय में सीएनजी कारों की मांग पेट्रोल कारों से भी अधिक हो गई है। पिछले साल टाटा मोटर्स ने सीएनजी के क्षेत्र में नई तकनीक पेश की थी, जिसमें दो सिलेंडर तकनीक का इस्तेमाल किया गया था। इस टेक्नोलॉजी के चलते कार के बूट स्पेस में ज्यादा जगह मिलती है। इसके बाद हुंडई ने भी इसी तकनीक को अपनाकर एक्सटर जैसी कार में इसे लागू किया। हालांकि, आपने अक्सर देखा होगा कि जब भी सीएनजी पंप पर गाड़ियों में गैस भरी जाती है, तो उसमें बैठे लोगों को बाहर निकाल दिया जाता है। आइए जानते हैं, इसके पीछे का कारण क्या है?
1) गैस भरने की प्रक्रिया आसान बनती है
जब कार में बैठे लोग बाहर निकल जाते हैं, तो सीएनजी भरने की प्रक्रिया ज्यादा सुगम और तेज हो जाती है। सीएनजी भरते समय पाइप में 200-250 बार तक का हाई प्रेशर होता है, इसलिए कार में अतिरिक्त भार को हटाना जरूरी होता है ताकि वाहन में किसी भी तरह की दरार या अन्य क्षति न हो।
2) सेफ्टी पहली प्राथमिकता
सीएनजी भरते समय सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण होती है। हाई-प्रेशर पर गैस सिलेंडर में भरी जाती है और यदि किसी कारणवश गैस लीक हो जाए, तो बड़ा नुकसान हो सकता है। आग लगने की संभावना को कम करने के लिए यात्रियों को कार से बाहर निकलने की सलाह दी जाती है।
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3) मीटर मॉनिटरिंग की सुविधा
पेट्रोल और डीजल के मुकाबले सीएनजी के मीटर का सिस्टम थोड़ा अलग होता है। इसलिए, जब भी आप सीएनजी भरवाएं, तो बाहर रहकर सुनिश्चित करें कि गैस सही मात्रा में भरी गई है।
4) गैस की महक से बचाव
कुछ लोगों को सीएनजी गैस की गंध से सिरदर्द या चक्कर जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इस परेशानी से बचने के लिए भी यात्रियों को कार से बाहर रहने की सलाह दी जाती है।
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5) ओवरफिलिंग से बचाव
सीएनजी भरवाते समय यह ध्यान रखना जरूरी है कि गैस अधिक मात्रा में न भरी जाए। ओवरफिलिंग से टंकी में अत्यधिक प्रेशर बढ़ सकता है, जिससे दुर्घटना की संभावना बढ़ जाती है।
सीएनजी कार में गैस भरवाने के दौरान यात्रियों को बाहर निकालने का मुख्य कारण सुरक्षा होता है। हाई-प्रेशर पर गैस भरने से किसी भी प्रकार की लीकेज, ओवरफिलिंग या आग लगने जैसी घटनाओं से बचा जा सकता है। इसलिए, अगली बार जब आप अपनी कार में सीएनजी भरवाने जाएं, तो सुरक्षा नियमों का पालन करें और खुद भी सतर्क रहें।
(मंजू कुमारी)