DeepSeek AI: चीन की हांग्जो स्थित स्टार्टअप कंपनी DeepSeek ने अपने नए जनरेटिव एआई मॉडल से पूरी टेक इंडस्ट्री को चौंका दिया है। इस एआई मॉडल ने अमेरिका के एआई प्रभुत्व को खुली चुनौती दी है। कंपनी ने मात्र $5.6 मिलियन की लागत में यह मॉडल तैयार किया है, जो अमेरिकी दिग्गजों के अरबों डॉलर के निवेश के मुकाबले बहुत कम है। DeepSeek का चैटबॉट एप्पल ऐप स्टोर पर सबसे ज्यादा रेटिंग वाली मुफ्त एप्लिकेशन बन चुका है। इसका अचानक उभार अमेरिकी टेक इंडस्ट्री के लिए खतरे की घंटी बन गया है।
एनवीडिया के शेयरों में भारी गिरावट
DeepSeek AI के लॉन्च के बाद एनवीडिया, जो एआई और सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री में अग्रणी कंपनी है, के शेयरों में 17% की भारी गिरावट दर्ज की गई। इससे कंपनी के बाजार मूल्य में करीब $600 बिलियन का नुकसान हुआ। इस झटके ने केवल एनवीडिया को नहीं, बल्कि पूरे टेक-समृद्ध नैस्डैक इंडेक्स को प्रभावित किया, जो 3% से अधिक गिरावट के साथ बंद हुआ। ब्रॉडकॉम और एएसएमएल जैसी अन्य चिप निर्माता कंपनियों पर भी इसका नकारात्मक असर पड़ा।
चीन-अमेरिका के बीच एआई में वर्चस्व की लड़ाई
DeepSeek AI ने अमेरिका के एआई प्रभुत्व को चुनौती देकर नई प्रतिस्पर्धा शुरू कर दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि चीन अब तेज़, सस्ते और बेहतर एआई समाधान पेश करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। अमेरिका के ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म XTB की रिसर्च डायरेक्टर कैथलीन ब्रूक्स ने इसे अमेरिका के "तकनीकी प्रभुत्व के लिए खतरा" बताया। यह ऐप केवल कम लागत में ही नहीं, बल्कि उच्च प्रदर्शन के कारण भी चर्चा में है।
डोनाल्ड ट्रंप ने DeepSeek AI पर क्या कहा?
चीन की इस सफलता पर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी प्रतिक्रिया दी है। डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि DeepSeek AI की बढ़ती लोकप्रियता से अमेरिकी टेक कंपनियों को सतर्क हो जाना चाहिए। उन्होंने इसे एक नई चुनौती के रूप में देखा, जो अमेरिका के लिए तकनीकी क्षेत्र में नया खतरा बन सकती है। ट्रंप ने यह भी माना कि कम लागत में विकसित यह एआई मॉडल एक सकारात्मक विकास है, लेकिन अमेरिकी कंपनियों को अपनी रणनीति में बदलाव करना होगा।
टेक कंपनियों के लिए आगे की चुनौती क्या है
DeepSeek AI ने जहां अमेरिकी टेक कंपनियों को सोचने पर मजबूर किया है, वहीं आने वाले दिनों में यह प्रतिस्पर्धा और बढ़ सकती है। मेटा और माइक्रोसॉफ्ट जैसी बड़ी कंपनियां जल्द ही अपनी आय रिपोर्ट पेश करने वाली हैं। इसके अलावा, अमेरिकी फेडरल रिजर्व और यूरोपीय सेंट्रल बैंक के ब्याज दरों के फैसले भी निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण होंगे। यह देखना दिलचस्प होगा कि अमेरिकी टेक कंपनियां इस चुनौती का सामना कैसे करती हैं।