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UGC Guidelines: शिक्षा और रोजगार का अनोखा संगमराष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने शैक्षणिक सत्र 2025-26 से स्नातक पाठ्यक्रमों में अप्रेंटिसशिप को अनिवार्य कर दिया है।

UGC Guidelines: शिक्षा और रोजगार का अनोखा संगमराष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने शैक्षणिक सत्र 2025-26 से स्नातक पाठ्यक्रमों में अप्रेंटिसशिप को अनिवार्य कर दिया है। यह कदम छात्रों को व्यावहारिक ज्ञान प्रदान करने, कौशल विकास को बढ़ावा देने और रोजगार के अवसरों को बढ़ाने के लिए उठाया गया है।

क्या है यूजीसी की नई अप्रेंटिसशिप गाइडलाइन?
यूजीसी द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, तीन वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम में एक से तीन सेमेस्टर और चार वर्षीय पाठ्यक्रम में दो से चार सेमेस्टर तक अप्रेंटिसशिप अनिवार्य होगी। छात्रों को तीन महीने की अप्रेंटिसशिप करने पर 10 क्रेडिट स्कोर भी प्रदान किए जाएंगे।

इस नई व्यवस्था के तहत:

  1. पहले सेमेस्टर में अप्रेंटिसशिप अनिवार्य नहीं होगी।
  2. अंतिम सेमेस्टर में छात्रों को अनिवार्य रूप से अप्रेंटिसशिप करनी होगी।
  3. छात्रों की मार्कशीट में अप्रेंटिसशिप और क्रेडिट स्कोर की जानकारी दर्ज की जाएगी।

संस्थानों के लिए पंजीकरण प्रक्रियाउच्च शिक्षण संस्थान अपने संसाधनों और उद्योगों में उपलब्ध सुविधाओं के अनुसार अप्रेंटिसशिप सीटों का निर्धारण करेंगे। संस्थानों को सीधे राष्ट्रीय प्रशिक्षुता प्रशिक्षण योजना (National Apprenticeship Training Scheme - NATS) के पोर्टल पर पंजीकरण करना होगा। छात्रों को उद्योगों और केंद्र सरकार से स्टाइपेंड भी मिलेगी, जिससे उन्हें वित्तीय सहायता प्राप्त होगी।

छात्रों को कैसे मिलेगा लाभ?
रोजगार के अवसरों में वृद्धि: उद्योगों में काम करने का प्रत्यक्ष अनुभव मिलने से छात्रों की नौकरियों की संभावनाएं बढ़ेंगी।
कौशल विकास: केवल सैद्धांतिक ज्ञान ही नहीं, बल्कि व्यावहारिक प्रशिक्षण से छात्रों की कार्यकुशलता में सुधार होगा।
सिद्धांत और व्यवहार का तालमेल: विश्वविद्यालयों और उद्योगों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित होगा, जिससे छात्रों को वास्तविक कार्यक्षेत्र का अनुभव मिलेगा।
वित्तीय सहायता: स्टाइपेंड मिलने से छात्रों को आर्थिक सहायता भी प्राप्त होगी।

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