हरिभूमि के लिए पोलिश अनुवादिका अना रुसिंस्का

Exclusive: भारत की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं से पूरी दुनिया प्रभावित है। हिंदू धर्मगृंथों के हरेक शब्द इतने प्रभावी हैं कि विदेशी भी उनके कायल हो जाते हैं। पोलैंड में रहने वाली अना रुसिंस्का की कहानी भी कुछ ऐसा ही संदेश देती है। क्रिश्चिन फैमिली में पली-बढ़ी अना ने संस्कृत के श्लोकों से इतना प्रभावित हुईं कि उन्होंने न सिर्फ संस्कृत भाषा सीखी, बल्कि हिंदू धर्मग्रंथों का पोलिश (पोलैंड की भाषा)  साहित्य रच डाला। अब परिवार के साथ वह इनके प्रचार प्रसार में जुटी हैं। 

अना रुसिंस्का मूल रूप से गृहणी हैं। वह भारतीय भाषाओं से भी अज्ञान थीं, लेकिन संस्कृत के श्लोकों से प्रभावित होकर संस्कृत भाषा सीखने का निर्णय लिया। संस्कृत सीखने के बाद उन्होंने रामायण सहित कई अन्य हिंदू साहित्य का अध्ययन किया। इसके बाद वाल्मिकी रामायण, शिव सूत्र और दुर्गा सप्तशती सहित गुरुगीता के कई अध्यायों का पोलिश भाषा में अनुवाद किया। 

अना रुसिंस्का ने रामायण से लेकर शिव सूत्र, दुर्गा सप्तशती का अनुवाद 90 के दशक में उस समय किया था, जब गूगल सहित अन्य टेक्नोलॉजी का विस्तार नहीं हुआ था। उन्हें कोई शब्द समझ नहीं आते थे तो वह शब्दकोश की मदद से समझती थीं। 1950 में जन्मी अना मूलत: गृहणी हैं, लेकिन अपने जिद भरे प्रेम से उन्होंने साहित्य का अनूठा संसार रच डाला।

पोलैंड की अना रुसिंस्का द्वारा अनुवादित हिंदू धर्मग्रंथ। 

भारतीय साहित्य को पहुंचाना मकसद
अना ने बताया कि रामायण सहित अन्य हिंदू धर्मग्रंथों का कई भाषाओं में अनुवाद हुआ है, लेकिन कई बार उनकी मौलिकता गायब हो जाती है। ऐसे में अना ने असली भारतीय साहित्य को लोगों मौलिक स्वरूप में पहुंचाने का संकल्प लिया। अनुवाद में उन्होंने हर संभव सावधानी बरती।

पोलैंड में पढ़े जा रहे हिंदू धर्मग्रंथ 
1990 के दशक में भारतीय साहित्य का अनुवाद करने के बाद अना ने इनका प्रकाशन भी कराया। पोलैंड में बड़ी संख्या में लोग इनका अध्ययन करते हैं। अना ने बताया कि इच्छुक लोगों तक इसे पहुंचाने की हर संभव कोशिश कर रही हूं। 

इंग्लैंड तक किया प्रचार
अना रुसिंस्का के साथ उनके पति और बेटे भी भारतीय साहित्य के प्रचार प्रसार में जुटे हुए हैं। अना के पति टोमाज़ रुसिन्स्की पोलैंड में अध्यापक हैं। वह भी हर संभव मदद करते हैं। बेटे कैस्पर, योगानंद रुसिन्स्की और फिलिप रुसिंस्की भी इसमें सहायक बने। योगानंद ने हरिभूमि से विशेष बातचीत में बताया कि वह आधिकारिक तौर पर क्रिश्चिन हैं, लेकिन हिंदू धर्म का अनुपालन करते हैं। रामायण और गीता श्लोकों नियमित रूप से पाठ करते हैं। हिंदू तीज त्योहार भी मनाते हैं। 

1997 से भारत में रह रहे, अब मिली नागरिकता 
योगानंद 1997 से भारत में रह रहे हैं, लेकिन अगस्त 2024 में उन्हें भारतीय नागरिकता मिली है। उनके भाई इंग्लैंड में रहते हैं। वह भी अनुवादित रामायण का अध्ययन करते हैं।

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भारतीय संस्कृति के प्रचार प्रसार का संकल्प
गुजरात में रहकर इलेक्ट्रॉनिक्स और हार्डवेयर का कारोबार करने वाले योगानंद ने संकल्प लिया है कि वह भारतीय संस्कृति के मूल स्वरूप की रक्षा करने में जीवन व्यतीत करेंगे। इसके लिए उन्होंने शादी भी नहीं की।