Fever Symptoms and Prevention methods: मध्यप्रदेश में मौसम के करवट बदलने से रोज 8 हजार लोग बीमार होते हैं। समय पर डॉक्टर को दिखाने वाले 5469 लोगों का वायरल फीवर 7 दिन के अंदर ठीक हो गया। इलाज में देरी के कारण 2526 लोगों को बुखार की पीड़ा 7 दिन से ज्यादा सहनी पड़ी। रोज 51 मरीज ऐसे भी सामने आए जिन्हें बुखार के साथ शरीर में Rashes निकले। 4 लोगों की हालत इतनी ज्यादा बिगड़ गई कि उन्हें बुखार के साथ Bleeding भी हुई।
मौसमी बुखार क्यों बिगड़ा? लोगों को ज्यादा तकलीफ क्यों सहनी पड़ी? बुखार आने पर क्या करें? यहां जानें मिसरोद स्वास्थ्य केंद्र के मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर वीके श्रीवास्तव से सुझाव...लक्षण और बचाव के तरीके।
11 लाख को हफ्तेभर से ज्यादा बुखार
मध्यप्रदेश में संक्रामक बीमारियों की रोकथाम और नियंत्रण को लेकर हर साल एकीकृत रोग निगरानी (IDSP) कार्यक्रम चलाया जाता है। कार्यक्रम के तहत सभी सरकारी और निजी अस्पतालों में संक्रामक बीमारियों की निगरानी और रिपोर्टिंग की जाती है। 1 जनवरी 2023 से मार्च 2024 तक संक्रामक बीमारियों के लक्षण के आधार पर डेटा जारी किया गया। डेटा के मुताबिक, MP में 11 लाख 51 हजार 895 मरीज ऐसे मिले, जिन्हें 7 दिन से ज्यादा बुखार सहना पड़ा।
24 लाख 7 दिन में ठीक
24 लाख 94 हजार 306 मरीजों का बुखार हफ्तेभर के अंदर उतर गया। 23 हजार 614 मरीजों को ज्यादा तकलीफ सहनी पड़ी। बुखार के साथ इन मरीजों की त्वचा पर चकत्ते यानी Recess भी निकल गए। इससे भी ज्यादा चिंता की बात यह रही कि 2167 मरीजों को बुखार इस कदम चढ़ा कि उनके शरीर से Bleeding होने लगी। हालांकि समय पर अस्पताल पहुंचे मरीजों का बेहतर इलाज कर डॉक्टरों ने तकलीफ देर की।
बिना डॉक्टर को दिखाए न लें दवा....
मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर वीके श्रीवास्तव ने बताया कि बुखार एक कॉमन बीमारी है। यह किसी को भी हो सकती है। कई लोगों को सालभर में 1 से 2 बार बुखार आता है। मौसम बदलने पर अक्सर लोग बीमार होते हैं। बुखार आने पर कुछ लोग बिना डॉक्टर की सलाह के मेडिकल से दवाइयां लेकर खा लेते हैं। ऐसा करना गलत है। क्योंकि कई बार कुछ दवाइयां हमारे शरीर को रिएक्शन कर जाती हैं। दवाइयों के रिएक्शन से शरीर में रेसेस निकल आते हैं। कई लोगों को ब्लीडिंग होने लगती है तो कइयों की हालत गंभीर हो जाती है। इसिलए बिना डॉक्टर को दिखाए, जांच कराए बिना दवाइयां न लें....।
क्या हैं बुखार के लक्षण
डॉक्टर वीके श्रीवास्तव ने बुखार आने के लक्षण बताए हैं। डॉक्टर श्रीवास्तव का कहना है कि बुखार अलग-अलग तरीके का होता है। अभी डेंगू-चिकनगुनिया, मलेरिया भी तेजी से फैल रहा है। तेज बुखार होने पर शरीर का तापमान 100°F (37.8°C) से अधिक हो जाता है। कंपकपी और ठंड लगती है। सिरदर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, थकान और कमजोरी, भूख में कमी, पसीना आना, डिहाइड्रेशन, उल्टी या दस्त, चिड़चिड़ापन होता है।
बुखार ज्यादा हो तो क्या करें?
अगर बुखार 104°F (40°C) से अधिक हो जाए या अन्य गंभीर लक्षण जैसे सांस लेने में कठिनाई, गले में सूजन, या त्वचा पर चकत्ते दिखाई दे तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। बुखार के लक्षण आमतौर पर उसके कारण पर निर्भर करते हैं। यदि यह किसी संक्रमण के कारण है, तो अन्य लक्षण जैसे खांसी, गले में खराश, या पेट दर्द भी हो सकते हैं। डॉक्टर सभी जरूरी जांच करने के बाद आपको दवाइयां लिखेंगे।
बुखार से बचाव के उपाय
डॉक्टर वीके श्रीवास्तव ने बताया कि बुखार से बचाव के लिए कई उपाय किए जा सकते हैं। सबसे पहले, संक्रामक रोगों से बचने के लिए नियमित रूप से हाथ धोना और सैनिटाइज़र का उपयोग करना आवश्यक है। मास्क पहनना और सामाजिक दूरी बनाए रखना भी महत्वपूर्ण है, खासकर जब कोई व्यक्ति बीमार हो। इसके अलावा, इन्फ्लूएंजा और कोविड-19 जैसी बीमारियों के लिए टीकाकरण कराना चाहिए।
इन सावधानियों का रखें ध्यान
बुखार के जोखिम को कम करने के लिए नाक, मुंह या आंखों को छूने से बचें और खाने से पहले, शौचालय का उपयोग करने के बाद, या किसी बीमार व्यक्ति से मिलने के बाद हाथों को अच्छी तरह धोएं। पर्याप्त तरल पदार्थों का सेवन करें, जैसे पानी, जूस या सूप, ताकि शरीर हाइड्रेटेड रहे। इसके साथ ही, बुखार आने पर आराम करना और चिकित्सकीय सलाह लेना भी आवश्यक है। इन उपायों को अपनाकर बुखार से बचाव किया जा सकता है।
क्या हैं डेंगू बुखार के लक्षण
डेंगू बुखार के लक्षणों में तेज बुखार (104°F/40°C तक), सिरदर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, उल्टी, जी मिचलाना, आंखों के पीछे दर्द, ग्रंथियों में सूजन, और त्वचा पर लाल चकत्ते शामिल हैं। आमतौर पर, डेंगू के मरीजों को इन लक्षणों के साथ कम से कम दो लक्षण अनुभव होते हैं। इसके अलावा, कुछ गंभीर मामलों में डेंगू रक्तस्रावी बुखार या डेंगू शॉक सिंड्रोम भी हो सकता है, जिसके कारण रक्तस्राव, गंभीर थकान और शारीरिक कमजोरी हो सकती है। यदि किसी व्यक्ति को ये लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत चिकित्सकीय सहायता लेनी चाहिए। समय पर पहचान और उपचार से डेंगू के प्रभाव को कम किया जा सकता है।