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Happiness Life: सैटिस्फेक्शन या सुकून किसी वस्तु, व्यक्ति, पैसा या शोहरत पाने से नहीं मिलता है। इसे पाने के लिए जरूरत से ज्यादा मोह यानी लगाव को छोड़ना जरूरी है। यह कैसे संभव है, आप जरूर जानना चाहेंगे।

Happiness Life: अगर गौर करें तो पाएंगे कि हमारा बहुत सारा सुकून महज इसलिए छिन जाता है कि हम बहुत सारी चीजों के पीछे एक साथ भागते हैं। ज्यादातर हम अपनी जरूरत और इस्तेमाल की क्षमता से ज्यादा चीजें इकट्ठा करने की जद्दोजहद में अपना सुख, चैन, सुकून और मन की शांति खो देते हैं। अगर हम जरा सा मोह त्यागने में सक्षम हो जाएं और डिटैचमेंट के अभ्यस्त हो जाएं तो बहुत सारा सुकून और चैन हासिल कर सकते हैं।

क्या है डिटैचमेंट
डिटैचमेंट या मोह त्यागने का मतलब संन्यासी बन जाना या दुनिया से वैराग्य ले लेना कतई नहीं है। इसका इतना सा अर्थ है कि हम अपनी मूल जरूरतों को समझें और उतना हासिल करके संतुष्ट होने का भाव खुद में जागृत कर सकें।

इनसे होता है अधिक अटैचमेंट
आध्यात्मिक विद्वान जैनीना गोम्स कहती हैं, ‘हमारा अटैचमेंट कई चीजों से हो सकता है-धन, सोशल स्टेटस, पावर और कुछ खास रिश्ते। साथ ही हमारी कई तरह की भावनाएं (जैसे एंग्जायटी, गुस्सा, ईर्ष्या, हताशा, निराशा, उदासी, घमंड और दिखावा आदि) चीजों, स्थानों या व्यक्तियों से अटैचमेंट के कारण उत्पन्न होती हैं। कहने का अर्थ है कि जरूरत से ज्यादा अटैचमेंट हमें सुख देने की बजाय असंतुष्टि, उदासी, दुख और निराशा के भाव ही देता है। 

कैसे हो डिटैचमेंट
सर्टिफाइड मेडिटेशन इंस्ट्रक्टर तमारा लेचनर ने डिटैचमेंट के कई सरल और व्यावहारिक उपाय बताए हैं। इन पर आप भी अमल कर सकते हैं। 

अपने विचारों पर गौर करें 
सबसे पहले हमें अपने मन और विचारों का अवलोकन करना चाहिए। हमें गौर करना चाहिए कि आखिर क्यों हम कुछ लोगों, चीजों या स्थानों से इतना अटैचमेंट महसूस करते हैं? हमें यह भी समझना होगा कि हमारा अटैचमेंट कितना भावनात्मक और कितना वास्तविक है? जब हम यह समझ लेंगे तो जरूरत से ज्यादा चीजों से डिटैच होने में हमें आसानी होगी।

आप पर हावी ना हों चीजें 
आपको हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि कोई भी चीज, व्यक्ति या स्थिति आप पर इस कदर हावी ना हो जाए कि आप उसके अधीन या उसके गुलाम हो जाएं। डिटैचमेंट यह नहीं कि आप किसी चीज पर स्वामित्व हासिल ना करें, बल्कि यह है कि कोई भी चीज आप पर स्वामित्व हासिल ना कर सकें।

अनिश्चितताओं की आदत डालें 
मान लें और जान लें कि इस जीवन में कुछ भी निश्चित नहीं होता है। चीजें और घटनाएं हमेशा ऐसी नहीं हो सकतीं, जैसा हमेशा होती रही हैं या आपने जैसी उम्मीद की है। कोई व्यक्ति आपको अचानक छोड़ सकता है या आपसे दूर हो सकता है। कोई वस्तु टूट सकती है या खो हो सकती है। इनकम और रुतबा भी हमेशा एक जैसा नहीं रह सकता है। इन वास्तविकताओं के लिए आप मानसिक रूप से तैयार रहेंगे तो कभी भी नकारात्मक भावनाएं आप पर हावी नहीं होंगी।

ध्यान का अभ्यास करें 
ध्यान यानी मेडिटेशन वह प्रक्रिया है, जो आपके दिमाग को गहराई तक सोचने के लिए तैयार करती है। मेडिटेशन की मदद से आप अपने दिमाग को कूल रख सकते हैं। नियमित मेडिटेशन से आप अपने अवचेतन मन को पढ़ सकते हैं और अवांछित आदतों से मुक्ति पा सकते हैं। साथ ही आप इसकी मदद से तमाम मानसिक समस्याओं और नकारात्मक भावनाओं से भी दूर रह सकते हैं।

खुद को समझें एक दर्शक
ऑस्ट्रेलिया में एक कहावत है, ‘हम सब यहां एक कालखंड और स्थान के दर्शक या पर्यटक मात्र हैं। हम यहां से गुजर रहे हैं। हमें यहां से गुजरते हुए चीजों को ऑब्जर्व करना है, सीखना है, अपना विकास करना है, उनसे स्नेह रखना है और फिर से अपने घर लौटना है।’ कुछ ऐसा ही प्रख्यात अंग्रेजी साहित्यकार विलियम शेक्सपियर ने कहा है, ‘यह दुनिया एक रंगमंच है और सभी स्त्री-पुरुष सिर्फ पात्र हैं। उनका प्रवेश और प्रस्थान होता है और एक व्यक्ति अपने जीवन काल में कई किरदार निभाता है।’ जाहिर है, इस दुनिया में कुछ भी स्थायी नहीं है। यह बात अगर आप समझ लेंगे तो किसी वस्तु या स्थिति से मोह नहीं होगा, आप हमेशा सुकून में रहेंगे।

शिखर चंद जैन 

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