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एड्स एक लाइलाज बीमारी है...सिर्फ जागरूकता से ही बचाव संभव है। इसके कारण, लक्षण के साथ एड्स और एचआईवी इंफेक्शन में अंतर को भी समझना जरूरी है। वर्ल्ड एड्स-डे पर एक रिपोर्ट-

डॉ. विकास अग्रवाल, सीनियर फिजिशियन, कोलकाता

World AIDS Day, 1 December: एड्स ऐसी लाइलाज बीमारी है, जिसका जिक्र आते ही घबराहट होने लगती है। लेकिन कई लोग एचआईवी इंफेक्शन को ही एड्स मान लेते हैं। लोगों में इनके बीच अंतर को समझाने, इसके होने के कारण, लक्षण और इससे बचने के उपायों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए ही 1 दिसंबर को वर्ल्ड एड्स-डे मनाया जाता है। आपको भी इस बारे में पता होना चाहिए। 

हाथों की सर्जरी के कारण मोहित को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। ऑपरेशन से पहले अस्पताल में तमाम प्रकार के रुटीन चेकअप किए गए। शाम को जब नर्स ने उसे बताया कि उसके ब्लड की जांच में पता चला है कि वह एचआईवी से संक्रमित है तो मानो उसके पैरों तले से जमीन खिसक गई। उसे हर कोई अजीब नजरों से देख रहा था। जब डॉक्टर विजिट पर आए तो मोहित ने रोते हुए कहा, ‘डाक्टर साहब! मैं ईश्वर की शपथ लेकर कहता हूं कि मैंने कभी किसी के साथ असुरक्षित यौन संबंध नहीं बनाया है। फिर मुझे यह शर्मिंदा करने वाली बीमारी कैसे हो गई?’

डॉक्टर साहब ने परिजनों के सामने ही कहा, ‘आप गलत समझ रहे हैं। यह बीमारी असुरक्षित यौन संबंधों से ही हो, यह जरूरी नहीं है। आपको कभी संक्रमित रक्त चढ़ा दिया गया हो या संक्रमित इंजेक्शन लगा दिया गया हो, तो भी यह बीमारी हो सकती है। संतोष की बात यह है कि अभी आपकी बीमारी शुरुआती स्तर पर है और इसकी रोकथाम हो सकती है, यानी इसे कंट्रोल किया जा सकता है। अभी आपको एड्स नहीं हुआ है।’ डॉक्टर के ऐसा कहने पर मोहित सहित उसके परिजन भी कंफ्यूज हो गए। मोहित के पापा ने पूछा, ‘डॉक्टर साहब, मैं समझा नहीं। आप इसे एचआईवी पॉजिटिव भी बता रहे हैं और यह भी कह रहे हैं कि इसे एड्स नहीं है?’ डॉक्टर साहब ने कहा, ‘जी, मैंने बिल्कुल सही कहा है। इनकी बीमारी अभी शुरुआती स्तर पर है।’ मोहित के पापा की तरह ज्यादातर लोगों को भी एचआईवी पॉजिटिव और एड्स के बीच का अंतर नहीं पता होता है।

एड्स-एचआईवी संक्रमण के लक्षण 

एचआईवी संक्रमित और एड्स के ज्यादातर मरीजों में फ्लू जैसे लक्षण दिखते हैं, जैसे- बुखार होना, ठंड लगना, गले में खराश, मांसपेशियों में दर्द, शरीर पर चकत्ते, रात को पसीना आना, जोड़ों में दर्द, ग्रंथियों में सूजन आदि। महिलाओं और पुरुषों में ये लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं।

पुरुषों में लक्षण : यह बीमारी जनन अंगों को विशेष रूप से प्रभावित करती है। पुरुषों में इसके संक्रमण से टेस्टीकल्स में दर्द, प्रोस्टेट ग्रंथि में सूजन, पेनिस में सूजन, इरेक्टाइल डिस्फंक्शन, बांझपन, रेक्टम में दर्द और हाइपोगोनेडिज्म के लक्षण महसूस हो सकते हैं।

महिलाओं में लक्षण : महिलाओं में एचआईवी संक्रमण के प्रमुख लक्षणों में शामिल हैं- मेंस्ट्रूअल साइकिल में बदलाव, अचानक वेट लॉस, भूख कम हो जाना, पेट में हर वक्त पाचन संबंधी समस्या रहना, लंबे समय तक बुखार बने रहना, लिंफ नोड्स में सूजन और स्किन पर रैशेज होना।

अगर ऊपर बताए गए लक्षण नजर आते हों तो डॉक्टर से मिलकर ब्लड टेस्ट करवा लेना चाहिए। ताकि शुरुआती दौर में ही इसका इलाज शुरू हो सके।

एचआईवी संक्रमण के कारण 

एचआईवी संक्रमण के कई कारण हो सकते हैं। 

संक्रमित रक्त चढ़ाने से : अगर किसी स्वस्थ व्यक्ति को एचआईवी संक्रमित व्यक्ति का रक्त चढ़ा दिया जाए, तो स्वस्थ व्यक्ति भी एचआईवी संक्रमित हो सकता है।

असुरक्षित यौन संबंध : एचआईवी संक्रमित के साथ किसी भी प्रकार के यौन संबंध बनाने से स्वस्थ इंसान को यह संक्रमण हो सकता है। जो लोग एक से ज्यादा पार्टनर रखते हैं, उनमें इसका जोखिम ज्यादा होता है। समलैंगिक संबंधों से भी इसके संक्रमण का खतरा बढ़ता है। 

संक्रमित इंजेक्शन लगाने से : किसी एचआईवी संक्रमित व्यक्ति को लगाया गया इंजेक्शन अगर स्वस्थ इंसान को लगा दिया जाए, तो उसे संक्रमण हो सकता है। इंजेक्शन से नशा करने वाले भी एचआईवी संक्रमण की चपेट में ज्यादा आते हैं।
गर्भस्थ शिशु को या फिर स्तनपान से : एचआईवी संक्रमित महिला द्वारा अपने गर्भस्थ शिशु को या उसके द्वारा नवजात को स्तनपान कराने से भी बच्चे को एचआईवी संक्रमण हो सकता है।

संक्रमण से बचने के उपाय 

एचआईवी एक वायरल संक्रमण है। समुचित सावधानी बरतकर इससे बचा जा सकता है।

  • असुरक्षित यौन संबंध ना बनाएं। कंडोम का इस्तेमाल इससे सुरक्षा दे सकता है।
  • प्रेग्नेंसी से पहले महिलाओं को एहतियात के तौर पर एचआईवी का टेस्ट जरूर करवा लेना चाहिए।
  • हमेशा सील पैक किए हुए नए इंजेक्शन का ही इस्तेमाल करना चाहिए। पुराने इंजेक्शन पर कतई भरोसा ना करें।

एड्स और एचआईवी पॉजिटिव में अंतर

ज्यादातर लोग एड्स और एचआईवी पॉजिटिव में अंतर को लेकर भ्रमित रहते हैं। किसी को एचआईवी संक्रमित बताया जाता है तो किसी को एड्स पीड़ित। दरअसल, एचआईवी एक वायरस का नाम है। इस वायरस से जब कोई गंभीर रूप से संक्रमित हो जाता है तो उसे एड्स पीड़ित या एड्स का मरीज कहा जाता है। एचआईवी का पूरा नाम ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस है। यह वायरस संक्रमित व्यक्ति के इम्यून सिस्टम को कमजोर कर देता है। साथ ही यह वायरस शरीर में मौजूद सीडी4 सेल्स (एक प्रकार की व्हाइट ब्लड सेल्स), जिन्हें टी सेल्स भी कहते हैं, को नष्ट कर देता है। ये कोशिकाएं हमारी रोग प्रतिरक्षा प्रणाली का अहम हिस्सा होती हैं।  यहां एक बात विशेष रूप से जान लेनी चाहिए कि एचआईवी इंफेक्शन के अंतिम चरण में ही एड्स की बीमारी होती है, यानी जरूरी नहीं है कि एचआईवी पॉजिटिव होते ही आपको एड्स हो जाए। लेकिन किसी को अगर एड्स हो गया है तो यह पक्का है कि वह एचआईवी पॉजिटिव है।

प्रस्तुति: शिखर चंद जैन

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