Single Parenting Tips: हर मां-बाप चाहते हैं कि उनका बच्चा समझदार और आत्मनिर्भर बनें। हालांकि कई बार ऐसी नौबत आती है जब मां या बाप में से किसी एक पर ही बच्चे की परवरिश की पूरी जिम्मेदारी आ जाती है। ऐसे में सिंगल पैरेंटिंग के दौरान बच्चे की परवरिश एक बड़ी चुनौती बन जाती है। सिंगल पैरेंट पर ही ये पूरी जिम्मेदारी आ जाती है कि बच्चे को जिंदगी में किस तरह ग्रूम किया जाए जिससे वह एक समझदार इंसान बनने के साथ आत्मनिर्भर बन सके।
आप भी अगर किसी वजह से अपने पार्टनर से अलग हो गए हैं और अब बच्चे को संभालने की जिम्मेदारी आप पर आ चुकी है, तो कुछ पैरेंटिंग टिप्स आपको बच्चे की बेहतर परवरिश में काफी मदद कर सकते हैं।
सेल्फ कॉन्फिडेंस बढ़ाएं - सिंगल पैरेंट्स की ये बड़ी जिम्मेदारी होती है कि वे बच्चे को मां या बाप की कमी महसूस न होने दें। इसके साथ ये भी उतना ही जरूरी होता है कि बच्चा लाड़ प्यार में जिंदगी से जुड़ी अहम बातें न सीख सके। बच्चे को आत्मनिर्भर बनाना सबसे बड़ा टास्क होता है। इसके लिए आप भले ही सिंगल पैरेंट हों पर बच्चे से घर से जुड़े हर छोटे बड़े काम में सहयोग जरूर लें। इससे उसमें सेल्फ डिपेंडेंट होने की आदत बनेगी।
अच्छा टाइम बिताएं - आप अगर सिंगल पैरेंट हैं तो ये बेहद जरूरी हो जाता है कि बच्चे को पर्याप्त समय दें और उसके साथ क्वालिटी टाइम स्पेंड करें। इसके लिए बच्चे के साथ रोज लंच या डिनर की आदत बनाएं। उसके साथ रात में टीवी देखें या पार्क में वॉकिंग करें। उसे अकेलेपन का एहसास न होने दें।
पार्टनर की ले सकते हैं मदद - आपका रिश्ता भले ही आपके पार्टनर के साथ खत्म हो गया है, लेकिन बच्चे के लिए मां और बाप दोनों की बराबर एहमियत होती है। ऐसे में आप चाहें तो बच्चे की बेहतर परवरिश के लिए बीच-बीच में अपने एक्स पार्टनर की हेल्प भी ले सकते हैं। दोनों इस बात को सुनिश्चित करें कि दोनों में से कोई एक बच्चे के साथ लगभग हर वक्त मौजूद रहे।
रूटीन करें फिक्स - बच्चे की बेहतर परवरिश के लिए उसका रूटीन फिक्स करना बेहद जरूरी होता है। सिंगल पैरेंटिंग में तो ये काम और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। इससे बच्चे टाइम मैनेजमेंट सीखेंगे और हर काम की वैल्यू समझेंगे।
नेगेटिविटी से रखें दूर - सिंगल पैरेंट होना बेहद चुनौतीभरा काम होता है। ऐसे में ये बेहद जरूरी हो जाता है कि आप भी नेगेटिव न रहें और अगर बच्चे में कहीं नेगेटिविटी नजर आने लगी है तो उसे तत्काल दूर करें। ऐसा न होने पर बच्चा स्ट्रेस और एंजाइटी का शिकार हो सकता है। बच्चे का हमेशा कॉन्फिडेंस बढ़ाने की कोशिश करें। उसके आस-पास पॉजिटिविटी को बनाए रखें।