Anna University sexual Assault Case:मद्रास हाई कोर्ट ने शनिवार(28 दिसंबर) को अन्ना यूनिवर्सिटी रेप केस मामले में सुनवाई की। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान चेन्नई पुलिस को जमकर फटकार लगाई। जस्टिस एमएम सुब्रमणियम और वी लक्ष्मीनारायण की बेंच ने कहा कि पुलिस इस मामले में विक्टिम ब्लेमिंग कर रही है। इसके साथ ही कोर्ट ने मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित करने का आदेश दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि पीड़िता को सरकार की ओर से 25 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाए। कोर्ट ने पीड़िता की पहचान उजागर होने पर भी नाराजगी जाहिर की। कोर्ट ने कहा कि दुष्कर्म पीड़िता की पहचान उजागर होना संविधान के आर्टिकल 21 का उल्लंघन है।
आरोपी ने पीड़िता को धमकी देकर किया दुष्कर्म
घटना 23 दिसंबर की है जब दूसरी वर्ष की छात्रा अपने पुरुष मित्र के साथ कैंपस में बैठी थी। आरोपी, 37 वर्षीय ज्ञानेशकरन, ने पहले छात्रा के मित्र को पीटा और फिर उसे एक सुनसान जगह ले जाकर यौन उत्पीड़न किया। आरोपी ने पीड़िता और उसके मित्र के निजी क्षणों को रिकॉर्ड कर वीडियो लीक करने की धमकी भी दी। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है और मामले में FIR दर्ज की गई है।
FIR की भाषा पर कोर्ट ने जताई आपत्ति
कोर्ट ने FIR में इस्तेमाल की गई भाषा को "शर्मनाक और विक्टिम ब्लेमिंग" का उदाहरण बताया। जजों ने कहा कि FIR पढ़ने पर ऐसा लगता है जैसे इसे किसी ब्यॉज हॉस्टल में लिखा गया हो। कोर्ट ने कहा कि FIR की भाषा ऐसी है जिसने पीड़िता का दर्द और बढ़ा दिया है। यह महिलाओं के प्रति समाज की दकियानूसी सोच का प्रतीक है।
संविधान पुरुष और महिलाओं में भेदभाव नहीं करता
कोर्ट ने कहा कि संविधान पुरुष और महिलाओं के बीच भेदभाव नहीं करता, लेकिन समाज की सोच महिलाओं को स्वतंत्र रूप से चलने और अपनी मर्जी से कपड़े पहनने तक की इजाजत नहीं देती। कोर्ट ने कहा कि यौन उत्पीड़न का दोष केवल अपराधी का है, न कि पीड़िता का। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार और समाज को महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने का अपना दायित्व निभाना चाहिए।
NCW ने गठित की जांच समिति
राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) ने भी इस मामले पर स्वत: संज्ञान लिया है। एनसी डब्ल्यू ने मामले की जांच के लिए एक फैक्ट-फाइंडिंग कमेटी का गठित की है। आयोग ने तमिलनाडु पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाया है। आयोग ने कहा है कि पुलिस की ऐसी लापरवाहियों की वजह से ही अपराधियों का हौसला बुलंद होता है। राष्ट्रीय महिला आयोग ने पुलिस से कहा है कि पीड़िता को मुफ्ट ट्रीटमेंट उपलब्ध करवाए और उसकी सुरक्षा का ध्यान रखे।
कोर्ट ने समाज की मानसिकता पर भी उठाए सवाल
मद्रास हाई कोर्ट ने कहा कि यह मामला केवल पीड़िता का नहीं बल्कि समाज की मानसिकता का है। महिलाओं को अपने अधिकार और सम्मान के लिए खड़े होने की जरूरत है। कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा कि वह महिलाओं की सुरक्षा के लिए सख्त कदम उठाए। राज्य सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसी घटनाएं दोबारा नहीं घटे।