Aparajita Bill: पश्चिम बंगाल के राज्यपाल आनंद बोस ने अपराजिता बिल को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा है। राज्यपाल ने इस बिल में कई खामियां बताईं है और ममता सरकार पर जल्दबाजी करने का आरोप लगाया। यह बिल महिलाओं की सुरक्षा से जुड़ा है, जिसे पश्चिम बंगाल विधानसभा ने पारित किया था। राज्यपाल ने इस मामले में कई गंभीर सवाल उठाए हैं। :
राज्यपाल का बड़ा आरोप: कई खामियां हैं बिल में
राज्यपाल आनंद बोस ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर जानकारी दी कि अपराजिता बिल में कई खामियां हैं। सबसे पहले, तकनीकी रिपोर्ट जिसे बिल के साथ भेजा जाना चाहिए था, उसे नहीं भेजा गया। राज्यपाल ने कहा कि ममता सरकार को जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए, बल्कि सोच-समझकर काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि तकनीकी रिपोर्ट मिलने के बावजूद, डिस्कशन और उसका ट्रांसलेशन अब तक पेश नहीं किया गया है।
ये भी पढें: बंगाल गवर्नर CV Ananda Bose पर यौन शोषण का आरोप: कोलकाता पुलिस ने राजभवन का मांगा CCTV फुटेज, जल्द गवाहों से होगी पूछताछ
ममता सरकार के फैसले पर सवाल
राज्यपाल ने कहा कि ममता सरकार को इस बिल को लाने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि ममता सरकार को जल्दबाजी में लिए गए फैसले का पछतावा हो सकता है। दरअसल, यह बिल महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दे पर बना है, जिसे राज्य सरकार ने 3 सितंबर को पेश किया था। बिल के तहत पुलिस को 21 दिनों के अंदर रेप के मामलों की जांच पूरी करनी होगी।
ये भी पढें: बंगाल के गवर्नर ने राजभवन स्टाफ को जारी किया निर्देश: पुलिस समन का ना दें जवाब, राज्य मशीनरी राज्यपाल पर नहीं ले सकती एक्शन
राज्यपाल ने राष्ट्रपति को भेजा बिल
राज्यपाल आनंद बोस ने बिल को राष्ट्रपति के पास यह कहते हुए भेजा कि इसमें कई खामियां हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि यह बिल जल्दबाजी में पारित किया गया है। यह बिल अब राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ही कानून बनेगा। इस तरह का बिल पहले महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में भी लंबित है, जो राष्ट्रपति की मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं।
ये भी पढें: बंगाल विधानसभा में बवाल: ममता बोलीं- जिन राज्यों में दुष्कर्म हो रहे वहां के CM, पीएम मोदी और शाह दें इस्तीफा
ममता सरकार पर तीन बड़े आरोप
राज्यपाल ने ममता सरकार पर तीन बड़े आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने संवैधानिक सीमाओं का उल्लंघन किया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने यहां तक कि राजभवन के बाहर धरने पर बैठने की धमकी दी थी। राज्यपाल ने कहा कि ममता सरकार ने कानून के दायरे का पालन नहीं किया। अब यह बिल भी महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश के बिलों की कतार में शामिल हो गया है।
मौजूदा कानून के तहत ही दिया जा सकता है न्याय
राज्यपाल ने कहा कि यह बिल जल्दबाजी में पारित किया गया है और न्याय के लिए लोगों को और इंतजार नहीं करना चाहिए। राज्यपाल ने कहा कि मौजूदा कानून का इस्तेमाल करके ही न्याय किया जा सकता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि लोगों को न्याय के लिए इंतजार नहीं करवाना चाहिए और बिल के कानून बनने का इंतजार नहीं किया जा सकता।
राज्यपाल ने रोके 8 और बिल
राज्यपाल ने अपराजिता बिल के अलावा 8 और बिलों को भी रोका है। इनमें यूनिवर्सिटी लॉज़ (संशोधन) बिल, एनिमल एंड फिशरीज साइंसेज यूनिवर्सिटी (संशोधन) बिल, प्राइवेट यूनिवर्सिटी लॉज़ (संशोधन) बिल और अन्य विधेयक शामिल हैं। उन्होंने कहा कि अपराजिता बिल आंध्र और महाराष्ट्र के बिल की कॉपी-पेस्ट है। राज्यपाल ने कहा कि बांग्ला समाज न्याय चाहता है और इसमें कोई बहाना नहीं होना चाहिए।