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Delhi New CM Atishi: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के घर पर मंगलवाई को हुई AAP विधायकों की बैठक में नए सीएम के तौर पर आतिशी का नाम तय किया गया।

Delhi New CM Atishi: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आज, सोमवार(17 सितंबर को) अपने पद से इस्तीफा देंगे। केजरीवाल ने 11:30 बजे मुख्यमंत्री आवास पर विधायक दल की बैठक शुरू हुई। केजरीवाल की मौजूदगी में आतिशी के नाम का प्रस्ताव रखा गया है। माना जा रहा है कि सभी विधायकों ने आतिशी के नाम पर सहमति दे दी है। 

आतिशी बनेंगी दिल्ली की नई सीएम
आतिशी को दिल्ली का नया सीएम बनाया जाएगा।AAP की ओर से गोपाल राय ने नए मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान किया। आतिशी के पास मौजूदा समय में दिल्ली के 45 से ज्यादा अहम विभागों का प्रभार है। वह शिक्षा और वित्त जैसे अहम विभागों की मंत्री हैं।  बता दें कि  केजरीवाल दोपहर 4:30 बजे दिल्ली के उपराज्यपाल विनय सक्सेना से मिलकर अपना इस्तीफा सौंपेंगे। 

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अरविंद केजरीवाल को दोबारा सीएम बनाना लक्ष्य: आतिशी
दिल्ली के मुख्यमंत्री के तौर पर चुने जाने के बाद आतिशी ने कहा कि दिल्ली के लोग, आप विधायक और मैं - चुनाव तक कुछ महीनों के लिए मुख्यमंत्री के रूप में, केवल एक लक्ष्य के साथ काम करेंगे। हमें अरविंद केजरीवाल को एक बार फिर दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाना है। जब तक मैं इस बड़ी जिम्मेदारी को संभाल रहा हूं, मेरा केवल एक लक्ष्य रहेगा... मैं दिल्ली के लोगों की रक्षा करने और अरविंद केजरीवाल के मार्गदर्शन में सरकार चलाने का प्रयास करूंगी।"

आतिशी संभालेंगी सीएम पद की जिम्मेदारी: गोपाल राय
दिल्ली के मंत्री और आप नेता गोपाल राय ने कहा कि जब अरविंद केजरीवाल ने इस्तीफा देने का फैसला किया है, इसलिए आज विधायक दल की बैठक हुई। बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि अगले चुनाव तक आतिशी नई सीएम के तौर पर जिम्मेदारी निभाएंगी। जनता अरविंद केजरीवाल को भारी बहुमत से फिर से दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाएंगी। 

दिल्ली विधानसभा सत्र 26-27 सितंबर को
दिल्ली विधानसभा का विधानसभा सत्र 26 और 27 सितंबर को बुलाया गया है। इस विधानसभा सत्र से पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री का शपथ ग्रहण पूरा किया जा सकता है। दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष ने विधानसभा सत्र बुलाए जाने की पुष्टि की है।  

किसी का भी नाम किया जा सकता है आगे: प्रियंका कक्कड़
AAP की राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने कहा, "दिल्ली के सीएम पद के लिए किसी का भी नाम  आगे किया जा सकता है। यह खुशी की बात है कि दिल्ली को नया मुख्यमंत्री मिलेगा। लेकिन साथ ही हमें दुख है कि भाजपा की साजिशों के कारण अरविंद केजरीवाल को अग्निपरीक्षा देनी पड़ रही है। हम सब यह सुनिश्चित करेंगे कि अरविंद केजरीवाल जल्द से जल्द मुख्यमंत्री पद पर वापस आएं ताकि दिल्ली के लोगों को जो सुविधाएं मिल रही हैं, वे मिलती रहें..."

अरविंद केजरीवाल के घर पहुंचे गोपाल राय
AAP के विधायक गोपाल राय अरविंद केजरीवाल के घर पहुंचे। मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि पार्टी की ओर से विधायक दल की बैठक बुलाई गई है। सीएम अरविंद केजरीवाल ने ऐलान किया है कि जब तक जनता उनका समर्थन नहीं करती और उन्हें दोबारा नहीं जिताती, तब तक वह सीएम नहीं रहेंगे। तब तक पार्टी सीएम का चुनाव करेगी और उसी सीएम के नेतृत्व में सरकार चलेगी। दिल्ली में एक बार फिर सीएम केजरीवाल के नेतृत्व में सरकार बनेगी।"

अगले चुनाव तक हम में से कोई एक संभालेगा कुर्सी, लेकिन भरत की तरह
AAP के नेता और दिल्ली के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने विधायकों की बैठक से पहले कहा कि यह कोई बात नहीं है। कि कुर्सी पर कौन बैठेगा, क्योंकि लोगों ने अरविंद केजरीवाल को वोट दिया था। लोगों ने अरविंद केजरीवाल को चुना था। सौरभ भारद्वाज ने कहा कि हम में से कोई एक चुनाव होने तक कुर्सी संभालेगा। यह ठीक उसी तरह होगा जिस तरह भरत ने भगवान राम की गैर मौजूदगी में राजगद्दी संभाली थी। आज विधायकों की बैठक में इस पर चर्चा होगी और एक नाम तय किया जाएगा।

दिल्ली के नए मुख्यमंत्री के नाम पर होगी चर्चा (Delhi new CM candidate)
विधायकों की बैठक के दौरान नए मुख्यमंत्री के नाम पर फैसला होगा। सूत्रों के अनुसार, आतिशी, कैलाश गहलोत, गोपाल राय और सुनीता केजरीवाल में से किसी एक को अगला मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। उम्मीद है कि इस सप्ताह नए मुख्यमंत्री और उनकी कैबिनेट का शपथ ग्रहण भी हो जाएगा। केजरीवाल का इस्तीफा  राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बना हुआ है, क्योंकि इससे दिल्ली की राजनीति में एक बड़ा बदलाव होगा। 

केजरीवाल ने क्यों दिया इस्तीफा, जानें 3 वजह

पहली वजह: अदालत की शर्तों के कारण सीमित शक्तियां
अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली की शराब नीति मामले में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद यह फैसला किया। कोर्ट ने उन्हें शर्तों के साथ जमानत दी थी, जिसमें उन्हें मुख्यमंत्री कार्यालय न जाने और सरकारी फाइलों पर हस्ताक्षर न करने की पाबंदी थी। इसका मतलब था कि मुख्यमंत्री होने के बावजूद उनके पास कोई अधिकार नहीं था। केजरीवाल ने सत्ता में रहते हुए बिना शक्तियों के काम करना मुश्किल माना, और इसीलिए इस्तीफा देना उचित समझा।

दूसरी वजह: कार्यकाल के खत्म होने में सिर्फ 5 महीने
दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल फरवरी 2025 में समाप्त हो रहा है। यानी सरकार के पास केवल पांच महीने का समय बचा है। इस अवधि में आमतौर पर सरकारें चुनावी लाभ के लिए लोकलुभावन योजनाओं की घोषणा करती हैं। (Delhi politics) हालांकि, कोर्ट की शर्तों के कारण केजरीवाल ऐसा नहीं कर सकते। उन्हें लगा कि यह सही समय है जब जनता से समर्थन मांगकर अपनी ईमानदारी साबित की जाए और चुनावों की तैयारी की जाए।

तीसरी वजह: ईमानदार छवि को मजबूत करने की कोशिश
शराब नीति मामले में गिरफ्तारी के बाद से बीजेपी नेताओं ने केजरीवाल से इस्तीफा देने की मांग की थी। केजरीवाल ने बार-बार कहा कि भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते उन्हें मुख्यमंत्री पद छोड़ देना चाहिए। इस्तीफा देकर केजरीवाल ने अपनी ईमानदारी की छवि को और मजबूत करने की कोशिश की है। वे अपने समर्थकों को यह संदेश देना चाहते हैं कि वह सत्ता में चिपके रहने के बजाय अपनी ईमानदारी पर भरोसा करते हैं। केजरीवाल ने कहा है कि जनता मेरी सच्चाई का फैसला करेगी और अगले चुनाव में मुझे फिर से चुनेगी।

15 सितंबर को किया था इस्तीफे का ऐलान
केजरीवाल ने 15 सितंबर को दिल्ली के शराब नीति मामले में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद इस्तीफा देने का ऐलान किया था। उन्होंने कहा था कि अब जनता को तय करना चाहिए कि वे ईमानदार हैं या नहीं। अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि अगर जनता मुझे अगले विधानसभा चुनाव में जीत दिलाती है, तो मैं फिर से मुख्यमंत्री पद संभाल सकता हूं। इससे पहले केजरीवाल को 177 दिनों के बाद जेल से जमानत मिली थी, लेकिन कोर्ट ने उन्हें किसी भी सरकारी फाइल पर हस्ताक्षर करने या सीएम ऑफिस जाने से रोक दिया था।

इस्तीफे के बाद क्या करेंगे केजरीवाल
मुख्यमंत्री पद छोड़ने के बाद केजरीवाल का पूरा ध्यान हरियाणा विधानसभा चुनाव पर रहेगा। (AAP Haryana election) वे आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक बने रहेंगे। कांग्रेस के साथ गठबंधन की संभावना खत्म होने के बाद आप सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। केजरीवाल हरियाणा के सिरसा जिले के सिवानी गांव के रहने वाले हैं, इसलिए वहां उनका विशेष प्रभाव है। इसके बाद उनका ध्यान झारखंड और महाराष्ट्र के चुनावों पर भी रहेगा।

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