Chandrayaan-5 Mission: केंद्र सरकार ने चंद्रयान-5 मिशन को मंजूरी दे दी है। चंद्रयान-5 मिशन चंद्रमा की सतह का अध्ययन करने के लिए 250 किलोग्राम वजनी रोवर लेकर जाएगा। यह चंद्रयान-3 से 10 गुना ज्यादा वजनी है। इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) के अध्यक्ष वी नारायणन ने रविवार (16 मार्च) को ऐलान किया है। बेंगलुरु में ISRO चीफ का पदभार संभालने के बाद नारायणन ने कहा कि 3 दिन पहले ही चंद्रयान-5 मिशन के लिए मंजूरी मिली है। इसमें जापान हमारा सहयोग करेगा।
Tamil Nadu: ISRO Chairman V Narayanan announced that the rocket to bring back Indian-American astronaut Sunita Williams from space has been launched, ensuring her safe return.
— IANS (@ians_india) March 15, 2025
He also stated that India and Japan have received approval to jointly launch the Chandrayaan-5 mission… pic.twitter.com/IbQNLdY8Fb
जानिए कब लॉन्च होगा चंद्रयान-4 मिशन
अध्यक्ष वी.नारायणन ने आगे के प्रोजेक्ट के बारे में बात करते हुए कहा कि चंद्रयान-4 मिशन साल 2027 में प्रक्षेपित किया जाएगा। चंद्रयान-4 मिशन का मकसद चंद्रमा से इकट्ठा किए गए नमूनों को वापस लाना है। गगनयान सहित कई मिशनों के अलावा अंतरिक्ष में भारत का अपना स्पेस स्टेशन स्थापित करने की योजनाओं पर काम चल रहा है।
लक्ष्य: चंद्रमा की मिट्टी और चट्टानों को पृथ्वी पर लाना
बता दें कि कैबिनेट ने पिछले साल सितंबर में चंद्रयान-4 मिशन को मंजूरी दी थी। इस मिशन का उद्देश्य स्पेसक्राफ्ट को चंद्रमा पर उतारना है। चंद्रमा की मिट्टी और चट्टानों के सैंपल इकट्ठा करना और उन्हें सुरक्षित पृथ्वी पर वापस लाना है। इस मिशन पर 2104 करोड़ रुपए की लागत आएगी। इस स्पेसक्राफ्ट में पांच अलग-अलग मॉड्यूल होंगे।
जानिए ISRO का फ्यूचर प्लान
2025 में गगनयान में 3 सदस्यों के दल को 400 KM ऊपर पृथ्वी की कक्षा में भेजा जाएगा। भारत के अंतरिक्ष स्टेशन में 5 मॉड्यूल होंगे। पहला मॉड्यूल 2028 में लॉन्च होगा। इसकी रिपोर्ट मंजूरी के लिए सरकार को सौंप दी है। वीनस ऑर्बिटर मिशन मार्च 2028 में लॉन्च किया जाना है। ISRO 2040 तक अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर भेजने पर काम कर रहा है।
चंद्रयान-3 मिशन में 25 किलो का रोवर गया था
बता दें कि चंद्रयान-3 मिशन में 25 किलोग्राम का रोवर ‘प्रज्ञान’ ले जाया गया था। 23 अगस्त 2023 को लैंडर विक्रम ने चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग की थी। इसके बाद भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बना था। चंद्रयान-3 में प्रपल्शन मॉड्यूल (इंजन), लैंडर और रोवर तीन मॉड्यूल थे।