Dr. Rajgopala Chidambaram passes away: भारत के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. राजगोपाला चिदंबरम का शनिवार(4 जनवरी) के तड़के निधन हो गया। वे 88 वर्ष के थे। परमाणु ऊर्जा विभाग (Department of Atomic Energy) के अधिकारी ने बताया कि उन्होंने मुंबई के जसलोक अस्पताल में 3:20 बजे अंतिम सांस ली। डॉ. चिदंबरम, जिन्होंने भारत को परमाणु शक्ति संपन्न देशों की कतार में खड़ा किया, के जाने से देश ने एक महान वैज्ञानिक को खो दिया है।
पोखरण परमाणु परीक्षण के नायक
डॉ. राजगोपाला चिदंबरम की भूमिका भारत के परमाणु कार्यक्रम में बेहद अहम रही। 1974 के पोखरण परमाणु परीक्षण में उनका सक्रिय योगदान था। वहीं, 1998 के पोखरण परीक्षण (Pokhran Test 2) में उन्होंने वैज्ञानिकों की टीम का नेतृत्व किया। यह परीक्षण भारत के वैश्विक शक्ति बनने की दिशा में मील का पत्थर साबित हुआ। उनकी विशेषज्ञता और नेतृत्व ने भारत को आत्मनिर्भर परमाणु शक्ति के रूप में स्थापित किया।
पद्म विभूषण से सम्मानित
डॉ. चिदंबरम को उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए 1975 में पद्म श्री और 1999 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। उन्होंने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) के निदेशक के रूप में 1990 में कार्यभार संभाला और 1993 में परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष बने। इस पद पर वे 2000 तक रहे। उनके योगदान ने भारत के वैज्ञानिक और कूटनीतिक ताकत को नई ऊंचाई दी।
प्रधानमंत्री मोदी ने व्यक्त की संवेदना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डॉ. चिदंबरम के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा, "डॉ. चिदंबरम ने भारत को वैज्ञानिक और कूटनीतिक ताकत के रूप में मजबूत किया। उनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।" पीएम मोदी ने X (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट कर उन्हें श्रद्धांजलि दी और उनके योगदान को 'अमूल्य' बताया।
Deeply saddened by the demise of Dr. Rajagopala Chidambaram. He was one of the key architects of India’s nuclear programme and made ground-breaking contributions in strengthening India’s scientific and strategic capabilities. He will be remembered with gratitude by the whole…
— Narendra Modi (@narendramodi) January 4, 2025
भारत का परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह आत्मनिर्भर
डॉ. चिदंबरम ने एक इंटरव्यू में बताया था कि भारत ने अपने परमाणु कार्यक्रम में हमेशा आत्मनिर्भरता को प्राथमिकता दी है। जहां दुनिया के अन्य देश आपस में सहयोग करते हैं, भारत ने अकेले अपने दम पर अपनी तकनीक विकसित की। उन्होंने कहा था कि भारत को किसी भी देश की तकनीक या ज्ञान की चोरी की जरूरत नहीं है।
परमाणु ऊर्जा विभाग ने जताया शोक
परमाणु ऊर्जा विभाग ने उनके निधन को 'अपूरणीय क्षति' बताया। विभाग ने कहा, "डॉ. चिदंबरम ने विज्ञान और तकनीक को नई ऊंचाई दी। उनके योगदान ने भारत को आत्मविश्वास और परमाणु शक्ति प्रदान की। वे विज्ञान के अग्रणी थे, और उनके जाने से एक युग का अंत हो गया।"