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Economic Survey 2025 Tabled In Parliament: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 31 जनवरी को संसद में आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया। इसमें बताया गया कि वित्त वर्ष 2025-26 के दौरान भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.3% से 6.8% के बीच रह सकती है।

Economic Survey 2025 Tabled In Parliament: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 31 जनवरी को संसद में आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया। इसमें बताया गया कि वित्त वर्ष 2025-26 के दौरान भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.3% से 6.8% के बीच रह सकती है। यह अनुमान 1 अप्रैल 2025 से 31 मार्च 2026 तक की अवधि के लिए है। सर्वेक्षण के मुताबिक, अर्थव्यवस्था की स्थिति स्थिर बनी हुई है और आगे भी सुधार की संभावना है। इससे देश की वित्तीय नीतियों को दिशा मिलेगी और सरकार को विकास योजनाओं को लागू करने में मदद मिलेगी।  

महंगाई दर में आई गिरावट
रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2024 में खुदरा महंगाई दर 5.4% रही, जो अप्रैल-दिसंबर 2024 के बीच घटकर 4.9% हो गई। महंगाई में यह गिरावट खाद्य आपूर्ति में सुधार और सरकारी प्रयासों का नतीजा मानी जा रही है। हालांकि, खराब मौसम और कम उत्पादन के कारण खाद्य महंगाई में कुछ बढ़ोतरी देखी गई थी। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 2025-26 की पहली छमाही में रबी फसल के अच्छे उत्पादन से खाद्य वस्तुओं की कीमतें स्थिर रह सकती हैं।  

आर्थिक सर्वेक्षण का महत्व और इसकी प्रक्रिया
आर्थिक सर्वेक्षण को देश की वित्तीय सेहत का आकलन माना जाता है। यह बजट से एक दिन पहले पेश किया जाता है और इसमें बीते वर्ष की आर्थिक गतिविधियों, चुनौतियों और संभावित समाधानों का विस्तृत विश्लेषण होता है। इसे वित्त मंत्रालय के अधीन आर्थिक मामलों के विभाग द्वारा तैयार किया जाता है। मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) की देखरेख में यह रिपोर्ट बनाई जाती है। वर्तमान में सीईए डॉ. वी. अनंत नागेश्वरन इस रिपोर्ट को तैयार करने में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं।  

आर्थिक सर्वेक्षण क्यों जरूरी?
यह रिपोर्ट सरकार को अर्थव्यवस्था की वास्तविक स्थिति को समझने में मदद करती है। इससे यह पता चलता है कि देश की अर्थव्यवस्था किस दिशा में आगे बढ़ रही है और किन क्षेत्रों में सुधार की जरूरत है। हालांकि, सरकार इस रिपोर्ट में दी गई सिफारिशों को मानने के लिए बाध्य नहीं होती, लेकिन यह बजट बनाने में उपयोगी साबित होती है।  

भारत में आर्थिक सर्वेक्षण की शुरुआत
भारत में पहला आर्थिक सर्वेक्षण 1950-51 में केंद्रीय बजट के साथ पेश किया गया था। 1964 से इसे बजट से अलग कर दिया गया और तब से यह बजट से ठीक एक दिन पहले पेश किया जाता है। यह दस्तावेज न केवल सरकार बल्कि उद्योगों और निवेशकों के लिए भी एक महत्वपूर्ण गाइडलाइन का काम करता है। 

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